Home International भारत में कितना है Rare Earth Elements? जानें क्यों चीन से आगे निकलना चाहते हैं सभी देश?

भारत में कितना है Rare Earth Elements? जानें क्यों चीन से आगे निकलना चाहते हैं सभी देश?

by Divyansh Sharma
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Rare Earth Elements In World: रेयर अर्थ मिनरल्स में आखिर ऐसा क्या है, जिसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति सौदा कर रहे हैं. साथ ही कौन-कौन से देशों में यह पाया जाता है.

Rare Earth Elements In World: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं. इस दौरान वह एक ऐसे समझौते पर साइन करेंगे, जिससे अमेरिका को उसके दुर्लभ खनिजों के भंडार तक पहुंच मिल जाएगी.

डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि इस समझौते से अमेरिकी करदाताओं को युद्ध के दौरान यूक्रेन को भेजी गई सहायता के लिए अपना पैसा वापस पाने में मदद मिलेगी. ऐसे में बड़ा सवाल बन गया है कि रेयर अर्थ मिनरल्स में आखिर ऐसा क्या है, जिसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति सौदा कर रहे हैं. साथ ही कौन-कौन से देशों में यह पाया जाता है.

क्रूज मिसाइल में भी होता है इस्तेमाल

दरअसल, रेयर अर्थ मिनरल्स 17 रासायनिक रूप से समान तत्वों का एक समूह है. यह पृथ्वी की निचली सतह में पाए जाते हैं. इस सभी धातुओं का इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर मिलिट्री उपकरणों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही IT इंडस्ट्री, सौर ऊर्जा, केमिकल इंडस्ट्री के साथ ऑयल रिफाइनरी समेत कई अन्य इंडस्ट्रीज में भी इनका इस्तेमाल होता है.

रेयर अर्थ मटेरियल में सेरियम, प्रेसियोडीमियम, डिस्प्रोसियम, प्रोमेथियम, अर्बियम, समैरियम, युरोपियम, स्कैंडियम, गैडोलीनियम, टेरबियम, होल्मियम, थ्यूलियम, लैंथेनम, येटरबियम, ल्यूटेटियम, येट्रियम, नियोडिमियम शामिल हैं. यूक्रेन में यूरेनियम, लिथियम और टाइटेनियम के बड़े ज्ञात भंडार हैं. बता दें कि रेयर अर्थ मिनरल्स को नए तरह का तेल भी कहा जाता है.

क्रूज मिसाइल से लेकर कार बनाने तक में रेयर अर्थ मिनरल्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है. जानकारी के मुताबिक रेयर अर्थ मिनरल्स का खास इस्तेमाल कम कार्बन टेक्नोलॉजी में उत्प्रेरक और चुंबक के रूप में किया जाता है. जानकारी के मुताबिक रेयर अर्थ मिनरल्स पूरी दुनिया में पाए जाते है, लेकिन उनके खनन में भारी पैसा और लंबा समय लगता है. दुनिया में चीन रेयर अर्थ मिनरल्स का सबसे बड़ा उत्पादक है.

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चीनी रिफाइनरियां सबसे आगे

रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनिया भर में रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानों से धातु तक के शोधन में अकेले चीन का योगदान 85-90 प्रतिशत तक है. वहीं, चीन के बाद वियतनाम के पास दूसरा सबसे बड़ा दुर्लभ मृदा भंडार है, जो लगभग 19 प्रतिशत है. वियतनाम दुनिया के कच्चे रेयर अर्थ मिनरल्स का लगभग 38 प्रतिशत प्रदान करता है.

ब्राजील के पास 18.1 प्रतिशत, रूस के पास 10.4 प्रतिशत, भारत के पास 6 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया के पास 3.5 प्रतिशत और अंत में अमेरिका और ग्रीनलैंड के पास 1.3 प्रतिशत रेयर अर्थ मिनरल्स हैं. इनके अलावा किसी अन्य देश के पास एक प्रतिशत से अधिक रेयर अर्थ मिनरल्स का भंडार नहीं है. इसी एकाधिकार के कारण चीन 1990 के दशक के बाद से वैश्विक बाजार पर हावी है.

कुछ अन्य देशों में भी महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के महत्वपूर्ण भंडार हैं, लेकिन उनके पास बुनियादी ढांचे का अभाव है. बता दें कि रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानों से धातु तक के शोधन में के बाद चीनी रिफाइनरियां दुनिया के 68 प्रतिशत कोबाल्ट, 65 प्रतिशत निकल और 60 प्रतिशत EV-बैटरी-ग्रेड लिथियम की आपूर्ति करती हैं. ऐसे में सभी EV बैटरियों का 75 प्रतिशत हिस्सा चीन में ही बनता है. अमेरिका समेत कई देशों को चिंता है कि चीन अगर इस रेस में आगे रहा, तो उसे बहुत ज्यादा फायदा मिलता रहेगा.

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