Paris Agreement : दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक, आर्थिक और तकनीकी शक्ति होने की वजह से अमेरिका कुछ हद तक ब्राजील के COP30 लक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है. लेकिन ब्राजील का कहना है कि इसके बाद भी वह सफल आयोजन करेगा.
Paris Agreement : बेलेम में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (United Nations Climate Conference) की मेजबानी करने के लिए ब्राजील तेजी से तैयारी में जुट गया है. इसी बीच ब्राजील का कहना है कि पेरिस समझौते से हटने के बाद भी वह जलवायु वार्ता में केंद्रीय भूमिका निभा सकता है. वहीं, COP30 के अध्यक्ष आंद्रे कोरेया डो लागो ने कहा कि भले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जलवायु वार्ता में भाग न ले, इस सम्मेलन में किसी भी प्रकार से अमेरिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि यूएसए इस अभियान के लिए प्रमुख देश है.
क्या सम्मेलन को अमेरिका करेगा प्रभावित
ब्राजील की पर्यावरण और जलवायु मंत्री मरीना सिल्वा ने पिछले हफ्ते भारत की यात्रा के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक, आर्थिक और तकनीकी शक्ति होने की वजह से अमेरिका कुछ हद तक ब्राजील के COP30 लक्ष्यों को प्रभावित करेगा और इसे हम किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं. हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया किया कि जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में अमेरिका के शामिल होने से उन्हें कोई बाधा नहीं आएगी. बता दें कि जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पार्टनरशिप (JETP) से भी हाथ खींच लिया है, क्योंकि 2021 में ग्लासगो में COP26 में एक बहुपक्षीय पहल की गई जिसके तहत विकसित देश कोयले पर निर्भर विकासशील देशों को अक्षय ऊर्जा में बदलने में मदद करेंगे.

USA ने किया सम्मेलन को फंड देना बंद
वहीं, ओवल ऑफिस में वापसी करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप काफी एक्टिव होकर काम कर रहे हैं और इसी कड़ी में उन्होंने पेरिस समझौते से हाथ खींच लिया है. साथ ही अमेरिका जो फंड COP को देता आ रहा था वह बंद हो गया है. यह फंड मुख्य रूप से विकसित देश जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान और क्षति के लिए विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए आर्थिक सहायता के लिए यूज होता आ रहा था. दूसरी तरफ कोरेया डू लागो ने कहा कि COP30 का सर्वोच्च लक्ष्य बहुपक्षवाद की ओर रक्षा करना और उसे मजबूत करना है.
साथ ही संस्थान की तरफ से लिए गए फैसले और वास्तविक जीवन के बीच की खाई को कम करना है. कई बार ऐसा होता है कि जिसका हम विचार करते हैं वह पूरी तरह से अमल में नहीं लाया जाता है. यही कारण है कि COP30 का लक्ष्य बहुपक्षीय जलवायु व्यवस्था से परे संरचनात्मक समाधानों के माध्यम से पेरिस समझौते के कार्यान्वयन में तेजी लाने की बात कही गई है.
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