Pakistan Suicide Blast: आतंकी ने दारुल उलूम हक्कानिया मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान आत्मघाती विस्फोट कर दिया. इसे ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ भी कहा जाता है.
Pakistan Suicide Blast: आतंकियों ने अब पाकिस्तान में ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ में बम फोड़ दिया. ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ में शुक्रवार को हुए आत्मघाती विस्फोट में आतंकी समूह अफगान तालिबान के जनक मौलाना समी-उल-हक के बेटे हामिद-उल-हक की मौत हो गई.
हमले में 5 से ज्यादा लोगों की भी मौत हुई है. माना जा रहा है कि आत्मघाती विस्फोट उसे ही निशाना बनाकर हमला किया है. पाकिस्तानी ARY न्यूज चैनल के मुताबिक दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे में जुमे की नमाज खत्म होने के तुरंत बाद ही एक आतंकी ने खुद को उड़ा लिया.
इसे अफगान तालिबान का ऐतिहासिक प्रशिक्षण स्थल माना जाता है. JUI-S यानि जमीयत उलेमा इस्लाम-सामी ग्रुप के प्रमुख हामिद-उल-हक की मौत की भी पुष्टि हो गई है. बता दें कि साल 2018 में अज्ञात हमलावरों ने तालिबान के फादर यानि समी-उल-हक को सोते समय चाकू और गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हिंसक जिहाद के कारण हुई है बदनामी
बता दें कि दारुल उलूम हक्कानिया धार्मिक मदरसा को ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ भी कहा जाता है. दारुल उलूम हक्कानिया का मौलाना और केयरटेकर हामिद-उल-हक था. हामिद-उल-हक तालिबान के जनक माने जाले वाले समीउल हक का बेटा था. रेडियो फ्री यूरोप/रेडियो लिबर्टी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ के पूर्व छात्रों में विश्व के कुछ सबसे कुख्यात आतंकी शामिल हैं.
माना जाता है कि इस मदरसे को अफगानिस्तान और पाकिस्तान सरकार से लाखों डॉलर की सहायता मिलती है. उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के अकोरा खट्टक में स्थित दारुल उलूम हक्कानिया धार्मिक मदरसे को इस्लाम के कट्टरपंथी ब्रांड का प्रचार करने के लिए जाना जाता है. साथ ही मदरसे में अफगान तालिबान और TTP यानि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के लड़ाकों को प्रशिक्षित किया जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक तीन हजार से अधिक युवा पढ़ाई के लिए आते हैं. यह भीड़ इसे दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी शिक्षण केंद्रों में से एक बनाती है. मदरसे की शिक्षाएं सुन्नी देवबंदी आंदोलन पर आधारित हैं, लेकिन हिंसक जिहाद के लिए उकसाने के कारण मदरसे की बदनामी होती है. बताया जाता है कि जैसे कंपनियों में लोगों की भर्ती होती है. ठीक उसी तरह ‘यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद’ से तालिबान समूह में भी आतंकियों की भर्ती होती है.
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मुल्ला उमर था मदरसे का सबसे फेवरेट स्टूडेंट
मुल्ला मोहम्मद उमर भी इसी मदरसे का छात्र था, जिसने समी-उल-हक के साथ अफगानिस्तान में तालिबान आंदोलन की स्थापना की थी. वहीं, पाकिस्तान स्थित हक्कानी नेटवर्क का नेता जलालुद्दीन हक्कानी ने भी यहीं से पढ़ाई की है. माना जाता है कि अल-कायदा के दक्षिण एशिया विंग का प्रमुख असीम उमर भी दारुल उलूम हक्कानिया में का छात्र रह चुका है.
पाकिस्तान के न्यूज पेपर ‘डॉन’ ने भी अपने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2007 में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के दो संदिग्धों ने भी इसी मदरसे में पढ़ाई की थी. हालांकि, मदरसे की ओर से इन दावों को खारिज कर दिया गया. समी-उल हक ने साल 2009 में एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके छात्रों को अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ना चाहिए.
उसने मुल्ला उमर को देवदूत और अपने बेहतरीन शिष्यों में से एक भी बताया था. इस मदरसे की स्थापना समी-उल हक के पिता ने साल 1947 में की थी. अफगान जिहाद में भी इस मदरसे की भूमिका अहम थी. साल 1979-80 के दौरान अफगान-सोवियत युद्ध के दौरान मदरसे को लाखों डॉलर की फंडिंग के बदले में लड़ाके देने का दावा भी किया जाता है. जेल में बंद इमरान खान की पार्टी PTI यानि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के भी समी-उल हक से संबंध बताए गए हैं. ऐसे में इसे इस्लामी आतंकियों का ‘इनक्यूबेटर’ भी कहा जाता है.
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