Amma Thottil: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम का कार्यक्रम मदर्स क्रैडल लगभग 1000 बच्चों को नई जिंदगी दे चुका है. इसे मां का पालना या मलयालम में ‘अम्मा थोटिल’ कहते हैं. इसे केरल स्टेट काउंसिल फॉर चाइल्ड वेल्फेयर ऑफिस के दरवाजे पर रखा गया है.
25 May, 2024
Mothers Cradle Programme: केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में ये पालना 22 साल से है. ये केरल के करीब 1000 बच्चों को नई जिंदगी दे चुका है. इसे मां का पालना या मलयालम में ‘अम्मा थोटिल’ कहते हैं. इसे केरल स्टेट काउंसिल फॉर चाइल्ड वेल्फेयर ऑफिस के दरवाजे पर रखा गया है. इस साल अब तक पालने में 21 बच्चों को रखा जा चुका है. उनकी देखभाल केएससीसीडब्ल्यू के कर्मचारी तब तक करते हैं, जब तक उन्हें माता-पिता गोद नहीं ले लेते.
कब शुरू हुआ ये कार्यक्रम
केरल सरकार ने मदर्स क्रैडल का कॉन्सेप्ट 2002 में शुरू किया था. केएससीसीडब्ल्यू के सचिव अरुण गोपी का कहना है कि ‘पिछले 22 साल में राज्य भर में पालने में 970 बच्चे आए. इनमें तिरुवनंतपुरम में सबसे ज्यादा 544 बच्चे थे.’ केएससीसीडब्ल्यू उन माता-पिता के बच्चों को भी स्वीकार करता है जिनकी माली हालत कमजोर है और बच्चे की देखभाल नहीं कर सकते. राज्य सरकार कमजोर वर्गों के माता-पिता या सिंगल माता-पिता को अपने बच्चों को परिषद को सौंपने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि उन्हें बेहतर जीवन और पढ़ने के अच्छे मौके मिलें.
केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने की अपील
केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक, ‘हमारी माताओं से अपील है. ज्यादातर माताएं अविवाहित हो सकती हैं या आर्थिक संकट या दूसरी वजहों से बच्चों की देखभाल नहीं कर सकतीं. इसलिए हम उनसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध कर रहे हैं कि अगर आप बच्चे की देखभाल नहीं कर सकते तो कृपया उन्हें सरकार को दे दें. हम उनकी देखभाल कर सकते हैं. ‘अम्मा थोटिल’ के तहत वैसे सभी बच्चों को गोद लिया गया है या गोद लिया जा रहा है.’
बच्चों को गोद लेने का हो रहा इंतजार
सिर्फ केरल में 1500 से ज्यादा रजिस्टर्ड माता-पिता बच्चे को गोद लेने का इंतजार कर रहे हैं. बच्चों को गोद लेने के लिए खास पोर्टल बनाया गया है. कार्यक्रम की कामयाबी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे देश के सभी राज्यों में लागू किया है. गोद लेने के नियमों में 2022 में बदलाव किया गया. नए नियम में हर राज्य के लिए पालना रखना अनिवार्य हो गया है. यूनीसेफ भी इस कार्यक्रम के दस्तावेज तैयार कर रहा है. इसे बाल कल्याण के लिए दुनिया के सबसे बेहतरीन कार्यक्रमों में एक माना जा रहा है.
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