India-China Border Dispute: LAC पर हुए समझौते को लेकर विशेषज्ञों का मानना है चीन की गिरती अर्थव्यवस्था उसके लिए भारत से कारोबार बढ़ाने की मजबूरी बन रही है
आदित्य द्विवेदी, लाइव टाइम्स: भारत-चीन उच्च स्तरीय विदेश मंत्रालय की बैठक के बाद तय हुआ है कि LAC यानी वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा पर (Line of Actual Control) से पीछे हटेंगी.
इस मामले पर रक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि चीन किसी भी सूरत में भरोसे लायक नहीं है. भारत और चीन पर अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति की मांग कर रहे हैं.
हालांकि, इस समझौते से इतना तो साफ है कि चीन के साथ लंबे अरसे के बाद एक पॉजिटिव शुरुआत हुई है.
विदेशी मामलों के जानकार और आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है चीन की गिरती अर्थव्यवस्था उसके लिए भारत से कारोबार बढ़ाने की मजबूरी बन रही है.
India-China Border Dispute: 10 सालों में कई बार हुए हिंसक झड़प
बता दें कि पिछले 10 सालों में भारत और चीन के बीच सीमा पर कई प्रमुख घटनाएं हुई हैं और कई बार समझौते भी हुए हैं.
सितंबर 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे के दौरान ही लद्दाख क्षेत्र के चुमार और डेपसांग में चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की.
इसी तरह 2017 में डोकलाम स्टैंडऑफ में चीन ने एक सड़क का निर्माण शुरू किया. इससे करीब 73 दिन का सैन्य गतिरोध उत्पन्न हुआ और बाद में दोनों सेनाएं पीछे हट गई.
इसी तरह साल 2020 में पैंगोंग झील पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. वहीं, 2020 में जून के महीने में ही गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच एक बेहद गंभीर झड़प हुई.
गलवान संघर्ष में भारत के 20 सैनिक हुए शहीद
गलवान संघर्ष में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए और चीन के भी कई सैनिक मारे गए. हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों की संख्या की स्पष्ट जानकारी नहीं दी.
यह 45 वर्षों में भारत-चीन सीमा पर सबसे गंभीर हिंसक घटनाओं में से एक थी.
अगस्त 2020 में भी पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे लद्दाख भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया, जिससे चीनी सेना पर दबाव बना.
यह कदम चीन की ओर से किए जा रहे घुसपैठ प्रयासों का करारा जवाब था. साल 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच फिर से झड़प हुई.
गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में भी जारी रहा तनाव
साल 2021-22 में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में भी भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध जारी रहा.
कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद दोनों सेनाओं ने सितंबर, 2022 में इस क्षेत्र से सेना हटाने का निर्णय लिया.
हालांकि, सीमा पर तनाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और गलवान घाटी की घटना ने दोनों देशों के बीच सैन्य और कूटनीतिक संबंधों को काफी प्रभावित किया.
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थायी समाधान और स्थिरता के लिए कूटनीतिक वार्ता की बेहद आवश्यकता है.
GDP कम होने के कारण झुका चीन
भारत चीन सीमा विवाद को लेकर रक्षा मामलों के विशेषज्ञ एवं पूर्व रिटायर्ड मेजर जनरल पीके सहगल का कहना है कि चीन किसी भी सूरत में भरोसे के लायक नहीं है. पीके सहगल ने कहा कि साल 1954 से लेकर अब तक चीन धोखा ही देता रहा.
चीनी मामलों की विशेषज्ञ सना हाशमी का कहना है कि यह अच्छी शुरुआत है, लेकिन चीन सुधर जाएगा इस पर कोई भरोसा नहीं. चीन कई बार संबंधों को काफी खराब मोड़ पर ला चुका है. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस आधार पर भविष्य का आकलन करना मुश्किल होगा.
विदेशी मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि चीन सीमा पर तनाव कम होना स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ सालों में चीन की GDP काफी कम हुई है. ऐसे में चीन की मजबूरी है कि वह भारत के साथ संबंध बेहतर बनाने की कोशिश करें.
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125 बिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार
बता दें कि भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध काफी जटिल हैं, लेकिन यह काफी महत्वपूर्ण भी हैं. दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और व्यापार साझेदारों में से हैं.
गौरतलब है कि चीन और भारत ने साल 2022 में 125 बिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार किया. बता दें कि चीन के साथ व्यापार में व्यापार में भारी असंतुलन है.
भारत चीन से अधिक आयात करता है. भारत से चीन को निर्यात होने वाले प्रमुख उत्पादों में लौह अयस्क, कपास, रत्न और आभूषण, जैविक रसायन और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं.
वहीं, चीन से भारत विद्युत मशीनरी, मोबाइल फोन, दूरसंचार उपकरण, रसायन, वस्त्र और फार्मास्युटिकल कच्चा माल (API) आयात करता है.
कई बहुपक्षीय मंचों का हिस्सा हैं भारत-चीन
दुनिया का कोई भी शक्तिशाली देश अब सैन्य शक्ति के साथ ही आर्थिक शक्ति भी बनना की चाहत रखता है.
इसी क्रम में चीन भी सीमा पर तनाव कम करने के साथ भारत की ओर से लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों को खत्म करने की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश करता दिखाई दे रहा है.
सीमा पर आंखें दिखाने वाला चीन भारत के साथ व्यापारिक दोस्ताना संबंध बढ़ाने को मजबूर होता दिख रहा है. भारत अपने आयात स्रोतों में विविधता लाने का प्रयास कर रहा है और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित कर रहा है.
साथ ही चीनी आयातों के विकल्प तलाश रहा है. वहीं, दोनों देश BRICS, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों का हिस्सा हैं.
सरल शब्दों में समझे तो, भारत-चीन व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन चुनौतियों से भरे हुए हैं. दोनों के आर्थिक संबंधों का भविष्य भू-राजनीतिक स्थिति और व्यापारिक नीतियों पर निर्भर करेगा.
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