Europe Last Dictator Alexander Lukashenko: 31 साल से बेलारूस की कमान संभाल रहे लुकाशेंको फिर 5 साल तक बेलारूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे.
Europe Last Dictator Alexander Lukashenko: यूरोप के आखिरी तानाशाह अलेक्जेंडर लुकाशेंको एक बार फिर बेलारूस के राष्ट्रपति बनेंगे. 31 साल से बेलारूस की कमान संभाल रहे अलेक्जेंडर लुकाशेंको अगले 5 साल तक फिर से बेलारूस के राष्ट्रपति बने रहेंगे. करीब 86.8 फीसदी वोट पाकर उन्होंने चार अन्य उम्मीदवारों को हरा दिया. पश्चिमी देशों ने इस चुनाव को दिखावा बताकर खारिज कर दिया.
1994 में पहली बने बेलारूस के राष्ट्रपति
बता दें कि अलेक्जेंडर लुकाशेंको को यूरोप का आखिरी तानाशाह कहा जाता है. अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने साल 1994 में पहली चुनाव जीता था. इस दौरान उनकी उम्र सिर्फ 39 साल थी. इस दौरान सोवियत संघ के पतन के बाद उन्हें बेलारूस का पहला राष्ट्रपति चुना गया था. भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा के रूप प्रचार करते हुए अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने देश में स्थिरता लाने का वादा किया था. इसके बाद से वह बेलारूस के राष्ट्रपति बने रहे.
पहली बार सत्ता संभालते ही उन्होंने संवैधानिक परिवर्तनों के जरिए राष्ट्रपति पद पर अपनी पकड़ मजबूत की. साथ ही किसी भी नेता को मजबूत होने का मौका ही नहीं दिया. पश्चिमी देशों ने कई बार दावा किया है कि अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने चुनाव में धोखाधड़ी के बाद चुनाव जीता. पश्चिमी सरकारों ने इस चुनाव प्रक्रिया की भी निंदा की है. जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बैरबॉक ने अपने X हैंडल पर इसे स्वतंत्रता और लोकतंत्र की चाह रखने वाले सभी लोगों के लिए एक कड़वा दिन बताया है.
अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने हजारों लोगों को रखा जेल में
मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक अलेक्जेंडर लुकाशेंको का विरोध करने वाले कुल 1,250 लोगों को जेल में रखा गया है. निर्वासित नेता त्सिखानोउस्काया जैसे प्रमुख विपक्षी नेता विदेश से अलेक्जेंडर लुकाशेंको के शासन की निंदा करते हैं. बता दें कि साल 2020 के चुनाव के बाद बेलारूस में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को हिंसक रूप से दबा दिया.
हजारों लोगों को गिरफ्तार किया और कई विपक्षी नेताओं को देश से निकाल दिया गया. इस तरह की कार्रवाई के कारण बेलारूस में तनाव की स्थिति देखने मिलती रहती है. मानवाधिकारों के मामले में अपने खराब रिकॉर्ड के लिए भी अलेक्जेंडर लुकाशेंको को तानाशाह माना जाता है. उन पर सुरक्षा बलों के जरिए प्रदर्शनकारियों को प्रताड़ित और स्वतंत्र मीडिया को दबाने का आरोप लगाया गया है. बता दें कि बेलारूस यूरोप का एकमात्र ऐसा देश है जहां मौत की सजा अभी भी दी जाती है. इस दौरान सिर के पीछे गोली मारकर हत्या कर दी जाती है.
यह भी पढ़ें: चीनी ड्रोन या तोप का हमला… सूडान में एक झटके में चली गई 70 लोगों की जान, कौन है जिम्मेदार?
रूसी परमाणु हथियारों की छत्रछाया में बेलारूस
अलेक्जेंडर लुकाशेंको के सार्वजनिक बयानों ने स्त्री विरोधी धारणा को भी उजागर किया है. कई मौकों पर उन्होंने विपक्षी महिला उम्मीदवार स्वियातलाना त्सिखानौस्काया का खुलेआम मजाक उड़ाया है. उन्होंने कहा है कि बेलारूस का नेतृत्व कभी भी एक महिला नहीं कर सकती. साथ ही उन्होंने मरते दम तक पद न छोड़ने का संकेत दिया है. अलेक्जेंडर लुकाशेंको राष्ट्रपति पद संभालते ही रूस और NATO सदस्य देशों के बीच लड़ाई का फायदा उठाते हुए रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की कोशिश की है. साल 2020 के विरोध प्रदर्शनों और बढ़ते पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच अलेक्जेंडर लुकाशेंको और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच दोस्ती और गहरी हो गई.
JUST IN: 🇷🇺🇧🇾 Russian President Putin greets Belarus President Lukashenko at the Commonwealth of Independent States summit in Saint Petersburg, Russia. pic.twitter.com/16FgACL415
— BRICS News (@BRICSinfo) December 25, 2024
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होते ही यूक्रेन पर आक्रमण के लिए अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने रूसी सेना को बेलारूस से हमला करने की अनुमति दी. रूस ने बेलारूस को रूसी परमाणु हथियारों की छत्रछाया में रखा है. वहीं, व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को धमकी दी है कि अगर बेलारूस पर हमला हुआ, तो वह इन हथियारों का बिना किसी हिचकिचाहट के इस्तेमाल करेंगे. कई जानकारों का मानना है कि अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने पहले कई बार पश्चिमी देशों और रूस के बीच मध्यस्थ के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया था, लेकिन बाद में वह शांत हो गए.
यह भी पढ़ें: क्या मानव सभ्यता के लिए खतरा बनेगा ‘Stargate Project’? क्यों AI से डर रहे हैं एलन मस्क
Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube | Instagram