Birthday Special : पद्मश्री पद्मभूषण मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड 90 साल के हो गए हैं. हाई ब्लड प्रेशर और कमजोर नजर की बात छोड़ दें तो उम्र का कोई असर उन पर नहीं दिखता.
Birthday Special : मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड आज भी हर मुद्दे पर बात करते हैं. अपने जीवन, बुढ़ापे, लेखन, भोजन सबके बारे में उन्हें बात करना पसंद है. उत्तराखंड के लंढौर में उनके सफेद IV कॉटेज में सब कुछ मौजूद है. 1956 में अपना पहला उपन्यास ‘द रूम ऑन द रूफ’ लिखने के बाद रस्किन बॉन्ड ने बच्चों के लिए 50 से ज्यादा पुस्तक और 500 से ज्यादा शॉर्ट स्टोरीज, निबंध और उपन्यास लिखे हैं. वैसे शुरुआती दौर में रस्किन बॉन्ड की लेखक बनने की इच्छा नहीं थी।वे एक्टर या टैप डांसर बनना चाहते थे.
कैसे था रस्किन बॉन्ड का बचपन?
1934 में कसौली में जन्मे रस्किन बॉन्ड का बचपन जामनगर, शिमला, दिल्ली और देहरादून में बीता. उन्होंने 1963 में लंढौर को अपना घर बनाया. शानदार लेखन के लिए बॉन्ड को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं.1992 में अंग्रेजी लेखन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1999 में पद्म श्री और 2014 में पद्म भूषण भी उन्हें मिल चुका है. रस्किन बॉन्ड का ज्यादातर जीवन भारत में ही बीता है। बॉन्ड चाहते भी हैं उन्हें भारतीय के तौर पर ही पहचाना जाए, ये बात अलग है कि उन्हें कुछ लोग विदेशी मानते हैं.
‘होल्ड ऑन टू योर ड्रीम्स’ जन्मदिन पर हुई लॉन्च
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की ओर से प्रकाशित बॉन्ड की ‘होल्ड ऑन टू योर ड्रीम्स’ उनके जन्मदिन पर लॉन्च की गई है. इसमें बॉन्ड की जिंदगी की पूरी कहानी है. बचपन और जवानी की यादें, पुराने दोस्त, खोया हुआ प्यार, खुशी के लम्हे, दुख-दर्द, जीत-हार और ट्रेजडी सब कुछ इसमें शामिल है. इसके साथ ही रस्किन बॉन्ड का कहना है कि मैं एक एक्टर बनना चाहता था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. मैं एक टैप डांसर बनना चाहता था, लेकिन इसके लिए मेरे पास कभी कोई फिगर नहीं था. तब मुझे एहसास हुआ कि मैं लिख सकता हूं।मैं स्कूल में प्राइज जीतता रहा और मैं एक ग्रेट किताबी कीड़ा था, जो हमेशा पढ़ता रहता था स्कूल की लाइब्रेरी से हफ्ते में दो किताबें या फिर घर पर भी मैं किताबों से बड़ा हुआ, तो मैंने सोचा कि एक किताब से बेहतर कुछ नहीं है, तो क्यों न कुछ लिखा जाए.
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