Bangladesh News: बांग्लादेश के संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ शब्द को हटाने की मांग की जा रही है. यह मांग की है बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल ने.
Bangladesh News: भारत का एक और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के नक्शेकदम पर चलने लगा है. दरअसल, बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी सियासी हलचल जारी है. इस बीच बड़ी जानकारी सामने आ रही है.
बांग्लादेश के संविधान से ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ शब्द को हटाने की मांग की जा रही है. यह मांग की है बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असज्जमां ने. साथ ही उन्होंने मृत्युदंड के प्रावधान को भी खत्म करने की मांग रखी है.
अटॉर्नी जनरल ने अवामी लीग पर लगाए गंभीर आरोप
दरअसल, कुछ बांग्लादेशियों की ओर से दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असज्जमां बड़ी मांग की है.
उन्होंने बांग्लादेश के संविधान के चार सिद्धांत यानी राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र में से धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को हटाने का प्रस्ताव रखा है.
इसके साथ ही संविधान के इतर शासन परिवर्तन यानी तख्तापलट के लिए मृत्युदंड की सजा को भी हटाने का प्रस्ताव रखा है. तख्तापलट के बाद सत्ता में आई अंतरिम सरकार ने शेख मुजीबुर्रहमान का भी नाम बदलने की मांग की है.
शेख मुजीबुर्रहमान को राष्ट्रपिता के रूप में नामित करने की भी मांग की. अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के निर्विवाद नेता थे, लेकिन अवामी लीग ने पार्टी के हित में उनका राजनीतिकरण कर दिया.
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शेख हसीना की सरकार ने किया था 15वां संशोधन
बता दें कि रिट याचिका में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार की ओर से साल 2011 में किए गए संविधान के 15वें संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई थी.
इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की पीठ ने एक नियम जारी कर अंतरिम सरकार से इस मामले पर अपना रुख बताने को कहा था. साल 2011 में 15वें संशोधन को संसद में अवामी लीग के भारी बहुमत से पारित किया था. इसके तहत कई प्रावधानों को शामिल किया गया और हटाया गया था.
इसी साल बांग्लादेश में जुलाई-अगस्त के महीने में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान गोली मारकर मारे गए दो छात्रों का जिक्र करते हुए असदुज्जमां ने कहा बांग्लादेश के संविधान के 15वें संशोधन के प्रावधान अबू सईद और मुग्धो जैसे शहीदों के बलिदान को धोखा देते हैं.
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