Smita Patil: स्मिता पाटिल ने अपने 12 साल के छोटे से करियर में ‘अर्थ’, ‘मंथन’, ‘मंडी’, ‘नमक हलाल’, ‘आखिर क्यों’ और ‘बाजार जैसी कई बेहतरीन फिल्में कीं.
19 October, 2024
Smita Patil: जिस उम्र में लोग अपना करियर शुरू करते हैं या फिर अपनी जिंदगी के लिए सीरियस होना शुरू करते हैं, उस उम्र में स्मिता पाटिल ने वो सब हासिल कर लिया था जिसे पाने में एक कलाकार पूरी जिंदगी खपा देता है. अपने 12 साल के करियर में स्मिता ने ‘अर्थ’, ‘मंथन’, ‘मंडी’, ‘नमक हलाल’, ‘आखिर क्यों’ और ‘बाजार जैसी कई बेहतरीन फिल्में कीं. अगर वो जिंदा रहती तो अपने काम से फिल्म इंडस्ट्री की चमक को और बढ़ातीं लेकिन 31 साल की उम्र में स्मिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया. आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वो कहते हैं ना कि अच्छा कलाकार कभी नहीं मरता… लोगों की यादों में ही सही वह सदियों तक अमर रहता है. यही वजह है कि आज हम आपके लिए स्मिता पाटिल की जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से लेकर आए हैं.
शुरू से शुरुआत
17 अक्टूबर, 1955 को पुणे में पैदा हुईं स्मिता पाटिल के पिता शिवाजीराव पाटिल महाराष्ट्र सरकार मे मंत्री और उनकी मां सोशल वर्कर थीं. स्मिता मराठी स्कूल में पढ़ीं. वैसे कम ही लोग जानते हैं कि स्मिता ने पहली बार फिल्मों के लिए नहीं बल्कि दूरदर्शन में न्यूज एंकर के तौर पर कैमरा फेक किया था और तभी से कैमरे को स्मिता पाटिल से मोहब्बत हो गई थी. दरअसल, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद स्मिता बंबई आईं और यहां उन्हें दूरदर्शन पर मराठी में समाचार पढ़ने की जॉब मिल गई. वैसे स्मिता को यह काम कैसे मिला इसके पीछे भी एक कहानी है.
दूरदर्शन की एंकर बनीं स्मिता
स्मिता पाटिल की बायोग्राफी ‘स्मिता पाटिल अ ब्रीफ़ इनकैनडिसेंस’ में मैथिली राव लिखती हैं कि स्मिता की एक दोस्त ज्योत्सना किरपेकर दूरदर्शन में काम करती थीं. उनके पति दीपक एक फोटोग्राफर थे जो स्मिता की तस्वीरें खींचा करते थे. एक बार दीपक स्मिता की कुछ तस्वीरें लेकर ज्योत्सना से मिलने दूरदर्शन के ऑफिर गए. ऑफिस के बाहर ही वह तस्वीरों को ठीक से रखने लगे.
उसी दौरान वहां से मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर पी वी कृष्णामूर्ति गुजर रहे थे कि अचानक उनकी नजर स्मिता की तस्वीरों पर पड़ी. उन्होंने तस्वीरों के बारे में पूछा तो दीपक ने स्मिता के बारे में बताया. कृष्णमूर्ति से कहा कि वह इस लड़की से मिलना चाहते हैं. पहले तो स्मिता दूरदर्शन जाने के लिए तैयार नहीं हुईं लेकिन ज्योत्सना और दीपक के बार-बार मनाने पर वह मान गईं. उन्होंने ऑडिशन में बांग्लादेश का राष्ट्र गान ‘आमार शोनार बांगला’ सुना दिया.’ बस फिर क्या था उन्हें चुन लिया और स्मिता बंबई दूरदर्शन पर मराठी समाचार पढ़ने लगीं.
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