Shahrukh Khan: बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान 59 साल के हो चुके हैं. इस खास मौके पर जानते हैं एक्टर की जिंदगी के बारे में कुछ खास बातें
02 November, 2024
Shahrukh Khan: बॉलीवुड का बादशाह कहो या किंग… इसके आगे शाहरुख खान का नाम ही आता है… जब भी वो बांहें फैलाकर हीरोइन को अपने पास बुलाते हैं तो स्क्रीन के सामने बैठी हर लड़की का दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है… फिर चाहे वो किसी भी उम्र की क्यों ना हो… ऐसा नहीं है कि लड़कियां उन्हें सिर्फ इसलिए ही प्यार करती हैं कि वह रोमांस के किंग हैं. या उन्होंने करोड़ों लोगों को सही मायने में रोमांस का मतलब सिखाया है… या फिर वो बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं, बल्कि जिस तरह से वह पब्लिक प्लेसेस में हर महिला का सम्मान करते हैं या उन्हें इम्पोर्टेंस देते हैं. उनका यह अंदाज वाकई में किसी का भी दिल छू सकता है. खासकर लड़कियों का… कहते हैं एक लड़की को और क्या चाहिए… एक ऐसा इंसान जो उसकी रिस्पेक्ट करे उसे.. इम्पोर्टेंस दे. और शाहरुख ऐसे ही हैं..
वैसे यह भी कह सकते हैं कि उन्होंने बहुत से लड़कों के लिए एक बेंचमार्क सेट कर दिया है, क्योंकि आज भी ज्यादातर लड़कियों को रीयल लाइफ में शाहरुख जैसा ही पार्टनर चाहिए… लेकिन शाहरुख तो शाहरुख हैं… वो तो सिर्फ गौरी की किस्मत में थे… वहीं, हमें इस बात में जरा भी शक नहीं है कि शाहरुख खान का कोई रिप्लेसमेंट नहीं हो सकता… उनका स्क्रीन पर दिखना ही फैन्स के लिए किसी ट्रीट की तरह है.. खैर, शाहरुख खान की तारीफ में जितना कहूं कम है… क्योंकि मैं खुद उनकी फैन हूं… ऐसे में आज उनके करियर से लेकर पर्सनल लाइफ पर एक नजर डालेंगे…
30 साल पहले किया कमाल
टीवी से आए शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म ‘दीवाना’ जब 1992 में रिलीज हुई तो कई लोगों को एहसास हो गया था कि लड़के में दम है. इस फिल्म से उन्होंने ना सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि लोगों के दिलों में भी एंट्री मारी. वैसे दीवाना भले ही पहले रिलीज़ हुई हो लेकिन इस फिल्म से पहले शाहरुख़ खान दिल आशना है, राजू बन गया जेंटलमैन, चमत्कार और किंग अंकल जैसी फिल्में साइन कर चुके थे. उन्हें हेमा मालिनी की फ़िल्म दिल आशना है सबसे पहले मिली थी. इस फ़िल्म में भी शाहरुख़ लीड रोल में नहीं थे. बाकी फिल्मों से पहले दीवाना की शूटिंग पहले खत्म हो गई तो इसे रिलीज भी पहले कर दिया गया. खैर, दीवाना की रिलीज के अगले साल जब शाहरुख खान की ‘बाज़ीगर’ और ‘डर’ एक-के-बाद एक बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुईं तो यह साबित हो गया कि लड़का लंबी रेस का घोड़ा निकलेगा.
हालांकि, 30 साल पहले जब अब्बास-मस्तान की फ़िल्म ‘बाज़ीगर’ रिलीज हुई तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि एक नया लड़का जिसने सिर्फ कुछ सीरियल और फ़िल्में की हैं, वो एक ऐसा रोल करेगा जो बिना किसी पछतावे के एक के बाद एक क़त्ल करता है और उसके बाद भी उसके चेहरे पर शिकन नहीं आती. उस दौर में जहां सलमान ख़ान ‘मैंने प्यार किया’ और आमिर खान ‘क़यामत से क़यामत’ जैसी रोमांटिक फिल्म करके हर जवां लड़की की दिल की धड़कन बन गए थे तो वहीं, शाहरुख खान ने एंटी-हीरो बनकर लोगों का दिल जीतना शुरू कर दिया था.
वैसे ‘बाज़ीगर’ में विक्की मल्होत्रा का रोल इतना डार्क था कि कई बड़े हीरो ने इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया था. इंडस्ड्री में नए होने के बावजूद शाहरुख़ खान ने ये दांव खेलने की हिम्मत दिखाई. वहीं, ‘डर’ में भी यश चोपड़ा ने उन्हें नेटेगिव रोल दिया जो उस दौर में किसी हीरो के लिए करना एक तरह से टैबू माना जाता था.’
श्रीदेवी करना चाहती थीं डबल रोल
वैसे जब दिसंबर 1992 में बाज़ीगर की शूटिंग शुरू हुई थी उसके कुछ समय बाद बॉम्बे दंगों की आग में झुलस रहा था. यही वजह है कि कई महीनों तक फिल्म की शूटिंग बंद रही. वैसे कम ही लोग जानते हैं कि हीरो के साथ-साथ कई हीरोइनों ने भी बाजीगर में काम करने से मना कर दिया था. उस वक्त श्रीदेवी, माधुरी से लेकर कई एक्ट्रेसेस से फिल्म के लिए बात की गई थी. श्रीदेवी मान भी गई थीं लेकिन उनकी शर्त थी कि काजोल और शिल्पा वाला रोल वो ही करेंगी… यानी श्रीदेवी बाजीगर में डबल रोल करना चाहती थीं.
मगर डायरेक्टर को लगा कि शाहरुख़ के हाथों श्रीदेवी जैसी बड़ी एक्ट्रेस का मर्डर शायद ऑडियन्स को रास न आए. खैर, कई एक्ट्रेसेस के रिजेक्ट करने के बाद यह फिल्म गिरी काजोल और शिल्पा शेट्टी की झोली में. 2 करोड़ रुपये के बजट में बनी ये फिल्म जब रिलीज हुई तो इसने दुनिया भर में लगभग 14 करोड़ रुपये का शानदार कलेक्शन किया.
राज-सिमरन का जादू
शाहरुख खान और काजोल की सुपरहिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ को देखने वाली जवां पीढ़ी आज अधेड़ उम्र की हो चुकी है, और इसके बाद आई पीढ़ी जवान हो चुकी है. इसके बावजूद फिल्म का जादू बरकरार है. 20 अक्टूबर 1995 को रिलीज़ हुई DDLJ न सिर्फ़ भारत में बल्कि विदेश में रहने वाले हिंदुस्तानियों को भी ख़ूब पसंद आई. यही वो फिल्म थी जिसने शाहरुख खान को एक रोमांटिक हीरो बनाकर खड़ा कर दिया. मुंबई के मराठा मंदिर में यह फ़िल्म 1,000 हफ़्ते तक चली. 10 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड जीतने वाली डीडीएलजे सिर्फ चार करोड़ रुपये में बनी थी. 1995 में फ़िल्म ने कुल 102.50 करोड़ रुपये का बिज़नेस किया, जिसमें से 89 करोड़ रुपये की कमाई भारत से और 13.50 करोड़ रुपये की कमाई विदेश से हुई.
इसके बाद उन्होंने ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘चक दे इंडिया’, ‘यस बॉस’, ‘परदेस’, ‘करण-अर्जुन’, ‘दिल तो पागल है’, ‘कुछ कुछ होता है’, ‘जोश’, ‘मोहब्बतें’, ‘अशोका’, ‘देवदास’, ‘चलते-चलते’, ‘कल हो ना हो’, ‘मैं हूं ना’, ‘वीर जारा’, ‘डॉन’, ‘रब ने बना दी जोड़ी’, ‘माइ नेम इज खान’, ‘जब तक है जान’, ‘चेन्नई एक्सप्रेस’, ‘पठान’ और ‘जवान’ जैसी कई हिट फिल्मों की झड़ी लगाई…
वैसे ये तो रही शाहरुख खान की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में बात.. अब एक नजर डालते हैं उनकी पर्सनल लाइफ पर भी.. कम ही लोग जानते हैं कि दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से शाहरुख का करीबी रिश्ता रहा है. दरअसल, उनके पिता 1974 तक NSD में मेस चलाते थे. उस दौरान शाहरुख़ अक्सर अपने पिता के साथ वहां आया- जाया करते थे. वहां किंग खान रोहिणी हटंगड़ी, राज बब्बर, सुरेखा सिकरी, रघुवीर यादव जैसे कलाकारों को एक्टिंग करते हुए देखते. ऐसे में एक्टिंग से उनका जुड़ाव तो होना ही था.
गौरी से पहली मुलाकात
शाहरुख़ को गौरी से अपनी पहली मुलाकात की तारीख़ आज तक याद है जो 09 सितंबर, 1984 है, ये वही तारीख़ है जब शाहरुख को ड्राइविंग लाइसेंस भी मिला था. उन दिनों दोनों ही स्कूल में पढ़ते थे. गौरी छिब्बा एक आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं. दोनों ने पहली बार एक डांस पार्टी में बातचीत की. पहली मुलाकात में ही गौरी शाहरुख के दिल में घर कर गई थीं. वहीं, एक बार जब गौरी अपने दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने मुंबई गई थीं तो शाहरुख़ ख़ान भी उनके पीछे-पीछे मुंबई पहुंच गए. उस वक्त वो ये भी नहीं जानते थे कि गौरी मुंबई में कहां मिलेंगी.
उन्हें सिर्फ इतना पता था कि गौरी को स्विमिंग करना पसंद है तो वह मुंबई के बीचों पर गौरी को ढूंढते रहे और फाइनली उन्हें वह मिल भी गईं. वैसे, उन्हीं की फिल्म का डायलॉग है कि अगर किसी को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है… और शाहरुख दिल से गौरी को चाहते थे और आज भी चाहते हैं. ये भी बता देती हूं कि आज बॉलीवुड के सबसे अमीर एक्टर बन चुके शाहरुख के पास उस वक्त इतने पैसे भी नहीं थे कि वह मुंबई में किसी होटल में रुक सकें, इसलिए उन्हें सड़कों पर ही रात गुजारनी पड़ी थी.
शाहरुख के बंगले मन्नत की कहानी
जो स्टार मुंबई से बाहर के हैं, उन्हें खुद के लिए बड़ा आशियाना भाता है, जैसे शाहरुख़ ख़ान. वो दिल्ली से थे यही वजह है कि उन्होंने मन्नत लेने के लिए पूरी जान लगा दी. दरअसल, शाहरुख जब से मुंबई आए थे तभी से मन्नत खरीदने का सपना देखते थे. शाहरुख के घर से पहले मन्नत एक शूटिंग लोकेशन हुआ करता था. हालांकि, उसे खरीदने के लिए शाहरुख खान ने यश चोपड़ा, प्रेम लालवानी और रतन जैन जैसे कई फिल्म मेकर्स से पैसे एडवांस लिए, सबकी फिल्में पूरी कीं और फिर ये बंगला खरीदा.
मन्नत शाहरुख ख़ान के लिए बड़ा लकी निकला. इसी बंगले में रहते हुए शाहरुख एक एक्टर से बॉलीवुड के किंग बने. वैसे ये बात साल 2001 की है तब शाहरुख खान ने 13 करोड़ रुपये के करीब अपना बंगला खरीदा है जिसे उन्होंने सबसे पहले जन्नत नाम दिया. हालांकि, बाद में शाहरुख ने इसका नाम बदलकर मन्नत रखा. वैसे कम ही लोग जानते हैं कि शाहरुख से पहले मन्नत के मालिक केकू गांधी थे. उस वक्त इस बंगले को ‘केकी मंजिल’ के नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि इस बंगले में गांधीजी के गार्डियन रहते थे. कई पीढ़ियों के बाद ये बंगला नरीमन दुबाश को विरासत में मिला. शाहरुख खान ने इन्हीं से मन्नत खरीदा था. आज 13 करोड़ रुपये में खरीदे गए मन्नत की कीमत 200 करोड़ रुपये से ज्यादा है. जहां शाहरुख खान अपने पूरे परिवार के साथ बादशाह की तरह रहते हैं.
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