Mamta Kulkarni Expelled : ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े ने महामंडलेश्वर के पद से हटा दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि उन्होंने अखाड़े के नियमों का पालन नहीं किया है.
Mamta Kulkarni Expelled : बॉलीवुड में 90 के दशक में अपने शानदार अदाकारी और खूबसूरती के चलते जलवा बिखेरने वाली एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महांकुंभ में मोह-माया त्यागकर संन्यास लिया था. उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था, लेकिन अब उन्हें इस पद से हटाते हुए अखाड़े से भी निष्कासित कर दिया गया है. उनके साथ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी निष्कासित कर दिया गया है.
क्या थी पद से हटाने की वजह ?
अजय दास जो कि किन्नर अखाड़े के संस्थापक है उन्होंने प्रेस विज्ञापित कर शुक्रवार को एलान किया कि अब किन्नर अखाड़े गठन नए सिरे से होगा. साथ ही जल्द ही नए आचार्य महामंडलेश्वर का एलान भी किया जाएगा. यहां बता दें कि ममता को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद से ही विवाद जारी था. सवाल किए जा रहे थे कि एक स्त्री को इस अखाड़े का महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है! उन्हें पद से हटाने का सबसे बड़ा कारण अखाड़ों का नियम है.
पहली वजह
किन्नर अखाड़े को सबसे पहली इस बात से एतराज था कि ममता कुलकर्णी को डायरेक्ट महामंडलेश्वर की उपाधी दी गई. उन्हें पहले वैराग्य की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए था. उन्हें सन्यासी बनना चाहिए था. तब जाकर अगर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाती तो शायद दिक्कत नहीं होती. इसका जिक्र किन्नर अखाड़े के उस बयान में दिया गया है.
दूसरी वजह
ममता कुलकर्णी फिल्मी दुनिया से रही हैं. ये बड़ी वजह नहीं है कि वह फिल्मी दुनिया से हैं. उनका फिल्मों बोल्ड अवतार इसकी सबसे बड़ी वजह है. 90 के दशक में उन्होंने टॉलेस फोटो शूट कराया था. किन्नर अखाड़े में कई लोगों इसी बात से आपत्ति थी.
तीसरी वजह
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी का नाम अंडरवर्ल्ड से भी जुड़ा. ममता ने फिल्मी दुनिया छोड़ ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी रचा ली थी. उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट तक जारी हुआ था.
चौथी वजह
अखाड़ों के नियम के अनुसार जो व्यक्ति महामंडमलेश्वर बनता है, उसे संन्यासी होना चाहिए और उसका मुंडन होना चाहिए. बिना मुंडन के संन्यास नहीं माना जाता है. ममता कुलकर्णी न तो संन्यासी थीं और न ही उनका मुंडन संस्कार हुआ था.
पांचवीं वजह
किन्नर अखाड़े के नियम के अनुसार अखाड़े के संन्यासियों को वैजंती माला गले में पहननी होती है. मगर ममता कुलकर्णी ने रुद्राक्ष की माला पहनी थी. ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर वाली पदवी किन्नर अखाड़े के नियमों के अनुरूप नहीं थी.
महाकुंभ में किया था पिंडदान
गौरतलब है कि करीब 1 हफ्तें पहले ही ममता कुलकर्णी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ 2025 में अपना पिंडदान किया था और संन्यास अपना लिया था. इसके बाद भव्य पट्टाभिषेक कार्यक्रम में उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था. उनका नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया था. वो 7 दिनों तक महाकुंभ में रहीं, लेकिन लगातार इसको लेकर विवाद जारी था, कि एक स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया है!