Home Entertainment Bollywood का ‘धरम’, जो He-Man बनकर 60 सालों से कर रहा है लोगों के दिलों पर राज

Bollywood का ‘धरम’, जो He-Man बनकर 60 सालों से कर रहा है लोगों के दिलों पर राज

by Preeti Pal
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Dharmendra

Introduction

Dharmendra: हिंदी सिनेमा के इतिहास में अब तक कई दिग्गज एक्टर हुए हैं, कुछ अपनी छाप छोड़कर दुनिया से रुख्सत हो चुके हैं तो कई आज भी अपनी चमक से फिल्म इंडस्ट्री को रौशन कर रहे हैं. उन्हीं बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं धर्मेंद्र जिन्हें लोग प्यार से बॉलीवुड का ‘धरम’ या -ही-मैन- भी कहते हैं. उन्हें सिर्फ एक बेहतरीन एक्टर कहना ही काफी नहीं है बल्कि वो बड़े दिल वाले भी हैं. ‘ए मैन विद गोल्डन हॉर्ट’ धर्मेंद्र. एक वक्त था जब पंजाब से आने वाले हर इंसान के लिए धर्मेंद्र के घर के दरवाजे खुले रहते थे. 60 के दशक में ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्मों से अपना करियर शुरू करने वाले धर्मेंद्र ने अपनी जिंदगी के 60 साल से भी ज्यादा सिनेमा को दे दिए. इस दौरान उन्होंने एक्शन के अलावा कॉमेडी और सीरियस फिल्में भी कीं.

Table of Content

  • हैंडसम हीमैन
  • ऐसे शुरू हुआ करियर
  • देवानंद भी चाहते थे ऐसा चेहरा
  • धर्मेंद्र की पहली फिल्म
  • मां से करते थे बेहद प्यार
  • 19 साल की उम्र में पहली शादी
  • जब कुबूल किया इस्लाम
  • यारी निभाने वाले धर्मेंद्र
  • जब पैसे लेकर पहुंच गए बिमल रॉय की पत्नी के पास

हैंडसम हीमैन

इस बात में कोई शक नहीं है कि धर्मेंद्र की पर्सनालिटी बहुत ही अट्रैक्टिव रही है. जब उन्होंने अपना करियर शुरू किया तब उनके लुक्स को लेकर हर तरफ चर्चा होती थी. हालांकि, उनकी अच्छा दिखना एक सिरदर्द भी था, क्योंकि धर्मेंद्र के ‘लुक्स’ की बात इतनी ज़्यादा होती थी कि लोग उनके काम की बात करना भूल जाते थे. यही वजह है कि एक एक्टर के तौर पर धर्मेंद्र को वो मुकाल कभी नहीं मिला जिसके वो हकदार थे.

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ऐसे शुरू हुआ करियर

पंजाब के साहनेवाल गांव के रहने वाले एक स्कूलमास्टर का बेटा धरम सिंह देओल जो अनाज से भरे ट्रक में बैठकर एक दिन मुंबई आ गया. दरअसल, उसी दौरान फिल्मफेयर टैलेंट हंट चल रहा था जिसमें धर्मेंद्र ने भी अपनी किस्मत आजमाई और उन्हें चुन लिया गया. इसी कंपटीशन में भाग लेने के लिए वो पंजाब से मुंबई चले आए थे. हालांकि, टैलेंट हंट में जिस फिल्म के लिए उन्हें साइन किया गया वो कभी बनी ही नहीं. इसके बाद उन्हें काफी वक्त तक काम पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा. उस वक्त धर्मेंद्र के पास ना तो मुंबई में रहने के लिए और ना ही खाने के लिए पैसे थे. धर्मेंद्र के साथ उनका एक दोस्त भी पंजाब से आया था. दोनों ने मिलकर एक रेलवे क्वाटर की बालकनी किराए पर ले ली जिसमें वो दोनों रात को सोते थे. पैसों की इतनी किल्लत थी कि धर्मेंद्र और उनके दोस्त को कई बार बिना खाना खाए ही सोना पड़ता था. लेकिन जिंदा रहने के लिए खाने की जरूरत थी और खाने के लिए पैसों की. ऐसे में धर्मेंद्र ने एक ड्रिलिंग फर्म में पार्ट टाइम जॉब शुरू कर दी, जिसके लिए उन्हें 200 रुपये महीना सैलरी मिलती थी. हां, मगर इसके साथ-साथ उन्होंने ऑडिशन देने बंद नहीं किए. भले ही धर्मेंद्र के शुरुआती साल मुफलिसी में गुजरे मगर आज वो करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं.

देवानंद भी चाहते थे ऐसा चेहरा

जब धर्मेंद्र फिल्मफेयर कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेने मुंबई आए तब सभी कंटेस्टेंट्स को शूटिंग दिखाने ले जाया गया. तब देवानंद की फिल्म की शूटिंग हो रही थी. देवानंद की नजर भीड़ में खड़े धर्मेंद्र पर पड़ी. तब उन्होंने कहा था हे भगवान तुमने ऐसी शक्ल मुझे क्यों नहीं दी? इतना ही नहीं, दूर खड़े धर्मेंद् की पर्सनालिटी से देवानंद इस कदर इम्प्रेस हुए कि उन्होंने धरम को अपने पास बुलाया और साथ में लंच भी किया. धर्मेंद्र ने कहा था कि उस दिन इंग्लिश टाइप का लंच बाक्स उन्होंने पहली बार देखा था.

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धर्मेंद्र की पहली फिल्म

कुछ सालों तक मुंबई में संघर्ष करने के बाद अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में कदम रखा जिसके लिए उन्हें सिर्फ 51 रुपये फीस मिली थी. इसके बाद उन्होंने ‘शोला और शबनम’, ‘सूरत और सीरत’, ‘दोस्त’ और ‘अनपढ़’ जैसी फिल्में कीं लेकिन इन फिल्मों ने उन्हें खास पहचान नहीं दिलाई. फिर साल 1966 में ओ पी रल्हन की फिल्म ‘फूल और पत्थर’ रिलीज हुई जिसमें मीना कुमारी के साथ धर्मेंद्र लीड रोल में थे. ये धर्मेंद्र के लिए बड़ा मौका था क्योंकि उस वक्त मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी एक्ट्रेस थीं. स्ट्रगल के दिनों में इतनी बड़ी हीरोइन के साथ लीड रोल करना कोई छोटी बात नहीं थी.

भले ही फिल्म मीना कुमारी के नाम से सुपरहिट हो गई, लेकिन इसे देखने के बाद लोगों और फिल्म मेकर्स को धर्मेंद्र के रूप में एक हैंडसम और अच्छा एक्टर मिल गया था. फिर जब ‘फूल और पत्थर’ कई महीनों तक सिनेमाघरों में टिकी रही. वैसे कम ही लोग जानते हैं कि इस फिल्म में धर्मेंद्र से पहले सुनील दत्त काम करने वाले थे लेकिन स्क्रिप्ट सुनने के बाद उन्हें लगा कि ‘फूल और पत्थर’ नाम की ये फिल्म चल नहीं पाएगी. ये अच्छा ही हुआ कि सुनील दत्त का ये अंदाजा गलत साबित हुआ, नहीं तो बॉलीवुड को अपना ‘ही-मैन’ कैसे मिलता? वैसे. इसी फिल्म के एक सीन को करते हुए धर्मेंद्र बुरी तरह से घायल भी हुए थे. दरअसल, उन्हें एक सीन में बच्ची फरीदा को जलती हुई सीढ़ी से नीचे लाना था जिसे शूट करते हुए धर्मेंद्र काफी चोटिल हो गए थे.

मां से करते थे बेहद प्यार

सोने से पहले धर्मेंद्र हमेशा अपनी मां के पैर दबाया करते थे. उन्होंने सिंगिंग रिएलिटी शो ‘सारेगामापा’ में बताया था कि वो हर रात तब तक मां के पैर दबाते थे जब तक खुद मां उन्हें सोने के लिए नहीं कहती थीं. एक रात धर्मेंद्र शराब पीकर आए और मां के पैर दबाने लगे. मां धर्मेंद्र को सोने के लिए कहना भूल गईं और उनकी आंख लग गई. जब आधी रात मां की आंख खुली तो देखा बेटा अभी भी पैर ही दबा रहा है. ये देखकर धर्मेंद्र की मां ने मजाक में कहा- बेटा, तू तो शराब पीकर बड़े अच्छे पैर दबाता है…

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19 साल की उम्र में पहली शादी

धर्मेंद्र के माता-पिता ने 19 साल की उम्र में ही उनकी शादी प्रकाश कौर से करवा दी थी. प्रकाश और धर्मेंद्र के 4 बच्चे हुए सनी देओल, बॉबी देओल, विजेता देओल और अजीता देओल. मगर साल 1975 में रिलीज हुई रमेश सिप्पी की कल्ट फिल्म ‘शोले’ की शूटिंग के वक्त धर्मेंद्र पूरी तरह से हेमा मालिनी के प्यार में गिरफ्तार हो गए. हेमा भी जानती थीं कि धर्मेंद्र शादीशुदा हैं लेकिन वो भी खुद को ही-मैन के चार्म से बचा नहीं पाईं और धीरे-धीरे वो भी धर्मेंद्र के प्यार में पड़ गईं. लेकिन दोनों की शादी आसान नहीं थी, पहले तो हेमा मालिनी के परिवार वाले इस रिश्ते से खुश नहीं थीं. जाहिर है कोई भी मां-बाप अपनी बेटी का हाथ किसी शादीशुदा आदमी के हाथ में क्यों देंगे? वहीं, संजीव कुमार, जितेंद्र और गिरीश कर्नाड जैसे कुंवारे एक्टर हेमा मालिनी से शादी करना चाहते थे. उनकी मां को भी बेटी के लिए ये रिश्ते ठीक लगे, लेकिन धर्मेंद्र कुछ ना कुछ करके हमेशा हेमा के लिए आए रिश्तों को तुड़वा दिया करते थे. बेटी और धर्मेंद्र की जिद और थक हारकर मां को दोनों की शादी के लिए मंजूरी देनी ही पड़ी.

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जब कुबूल किया इस्लाम

धर्मेंद्र एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी कर नहीं सकते थे और उनकी पहली बीवी प्रकाश कौर अपने बच्चों की खातिर उन्हें तलाक के लिए तैयार नहीं थीं. ऐसे में हेमा मालिनी से शादी करने के लिए धर्मेंद्र ने इस्लाम धर्म अपनाने का फैसला किया. हिंदू धर्म में एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना अपराध है तो हेमा और धर्मेंद्र दोनों ने शादी करने के लिए इस्लाम धर्म कुबूल कर लिया. 1980 में शादी के वक्त जहां हेमा का इस्लामिक नाम आयशा बी रखा गया तो वहीं, धर्मेंद्र का दिलावर खान. शादी के बाद हेमा और धर्मेंद्र की दो बेटियां हुई ईशा और अहाना देओल.

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यारी निभाने वाले धर्मेंद्र

अपने स्ट्रगल के दिनों में धर्मेंद्र ने उस दौर के मशहूर डायरेक्टर बिमल रॉय से जब काम मांगा तो फिल्म मेकर ने भी उनका पूरा साथ दिया. धर्मेंद्र की साल 1963 में रिलीज हुई फिल्म ‘बंदिनी’ बिमल रॉय ने ही बनाई थी. वहीं, सालों बाद बिमल ने धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर को लेकर एक फिल्म की शूटिंग शुरू की जिसका नाम था ‘चैताली’. मगर ये आधी ही रह गई क्योंकि फिल्म पूरी होने से पहले ही बिमल रॉय का निधन हो गया. कुछ समय बाद शर्मिला टैगोर ने भी इस फिल्म से किनारा कर लिया. हालांकि, बिमल रॉय की पत्नी अपने पति की आखिरी फिल्म को पूरा करना चाहती थीं. हालांकि, इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे. दूसरी तरफ फिल्म अधूरी रहने की वजह से इससे जुड़े लोग अपने-अपने पैसों की डिमांड करने लगे. ऐसे में जब धर्मेंद्र को जब पता चला कि बिमल रॉय की पत्नी उनकी आखिरी फिल्म पूरी करना चाहती हैं तो वो उनके घर पहुंच गए.

जब पैसे लेकर पहुंच गए बिमल रॉय की पत्नी के पास

जब धर्मेंद्र बिमल रॉय के घर पहुंचे तो उनकी पत्नी मनोबिना रॉय को लगा कि वो भी बाकी लोगों की तरह यहां पैसे लेने आए हैं. लेकिन तभी धर्मेंद्र ने उनके हाथों में एक ब्रीफकेस पकड़ाया जो नोटों से भरा हुआ था. उन्होंने सबसे सामने वो ब्रीफकेस खोला और कहा कि मुझपर बिमल दा का बड़ा अहसान है. उनकी आखिरी फिल्म को पूरा करके मैं उनके अहसानों को उतारने की कोशिश करना चाहता हूं. इसके बाद ‘चैताली’ में काम करने के लिए धर्मेंद्र ने सायरा बानो से बात की और वो तैयार भी हो गईं. धर्मेंद्र और सायरा बानो के साथ बनी इस फिल्म को ऋषिकेश मुखर्जी ने डायरेक्ट किया था. धर्मेंद्र की ये फिल्म भी उसी साल रिलीज हुई थी जिस साल शोले रिलीज हुई, यानी 1975 में.

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Conclusion

89 साल की उम्र में भी धर्मेंद्र का चार्म कम नहीं हुआ है. अपने करियर की पहली हिट फिल्म ‘फूल और पत्थर’ के बाद धर्मेंद्र को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने ‘बंदिनी’, ‘आई मिलन की बेला’, ‘अनुपमा’, ‘आए दिन बहार के’, ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’, ‘आंखें’, ‘आया सावन झूम के’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘गुड्डी’, ‘सीता और गीता’, ‘राजा जानी’, ‘यादों की बारात’, ‘ब्लैक मेल’, ‘पत्थर औऱ पायल’, ‘चुपके चुपके’, ‘शोले’, ‘धरम वीर’, ‘शालीमार’, ‘बर्निंग ट्रेन’, ‘राम बलराम’, ‘नौकर बीवी का’, ‘हुकूमत’, ‘आग ही आग’, ‘लोहा’, और ‘गुलामी’ जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया.

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