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Lok Sabha Election 2024: बस्तर के पशु मेला को लेकर क्यों हुई चर्चा तेज, जानें कौन हैं कांग्रेस उम्मीदवार कवासी लखमा

by Rashmi Rani
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Lok Sabha Election 2024: बस्तर के पशु मेला को लेकर क्यों हुई चर्चा तेज, जानें कौन हैं कांग्रेस उम्मीदवार कवासी लखमा

Lok Sabha Election 2024: बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कवासी लखमा राजनीति में आने से पहले पशु व्यापारी हुआ करते थे और लोगों को उनसे काफी उम्मीद है कि वो विकास के लिए काम करेंगे.

15 April, 2024

Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में जगदलपुर शहर के बाहरी इलाके में लगने वाला पशु मेला काफी मशहूर है. लोग हर हफ्ते यहां पशुओं का व्यापार करने के लिए आते हैं. लोकसभा चुनाव में इस पशु मेला की चर्चा काफी तेज हो गई है. जिसकी वजह यह है कि बस्तर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार कवासी लखमा राजनीति में आने से पहले पशु व्यापारी हुआ करते थे और लोगों को उनसे काफी उम्मीद है कि वो विकास के लिए काम करेंगे.

6 बार बन चुके हैं विधायक

कांग्रेस ने कवासी लखमा 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कोंटा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक है. कवासी लखमा 6 बार विधायक बन चुके है. कवासी लखमा बस्तर जिले के रहने वाले हैं. लखमा कभी भी स्कूल नहीं गए हैं. हालांकि उन्होंने आदिवासी जीवन से बहुत कुछ सीखा है. भूपेश बघेल की सरकार में वो आबकारी और उद्योग विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं.

पहले चरण में होगा मतदान

बस्तर में वोटिंग सिर्फ चार दिन दूर है और यहां के वोटरों के मन में विकास से जुड़े मुद्दे सबसे ऊपर हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यहां मुकाबला एकतरफा है और भाजपा उम्मीदवार महेश कश्यप आसानी से जीत हासिल कर लेंगे.बस्तर छत्तीसगढ़ की एकमात्र सीट है, जहां 2024 के आम चुनाव के पहले चरण में मतदान होगा. राज्य की बाकी 10 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल और सात मई को दूसरे और तीसरे चरण में वोट डाले जाएंगे. बस्तर सीट को BJP का गढ़ माना जाता है. BJP ने 1996 से लगातार सात बार इस सीट पर जीत हासिल की है. हालांकि, 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट जीत ली थी. इस बार BJP फिर से ये सीट अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है.

क्या है पशु मेला

पशु मेला में देसी नस्ल की गायों, भैंसों और बैलों से लेकर रस्सियों और कुल्हाड़ी तक ऐसी कई चीजों का व्यापार होता है. यहां होने वाली मुर्गों की लड़ाई आकर्षण का एक और केंद्र बनी हुई है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया है, बावजूद ये बस्तर की जनजातीय संस्कृति का हिस्सा बनी हुई है. ये बाजार बस्तर के साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी लोगों को आकर्षित करता है.

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