Home Education CBSE Board: दो बार होगी CBSE की बोर्ड परीक्षा, रिजल्ट के लिए के लिए भी बनाया गया प्लान

CBSE Board: दो बार होगी CBSE की बोर्ड परीक्षा, रिजल्ट के लिए के लिए भी बनाया गया प्लान

by Divyansh Sharma
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CBSE Board Exams: CBSE की ओर से जारी बयान में बताया गया कि कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा दो बार आयोजित करने के लिए मसौदा मानदंड जारी किए गए हैं.

CBSE Board Exams: CBSE यानि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है. CBSE की ओर से जारी बयान में बताया गया कि कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा दो बार आयोजित करने के लिए मसौदा मानदंड जारी किए गए हैं. बोर्ड परीक्षा का पहला चरण फरवरी-मार्च में होगा और दूसरा चरण मई में आयोजित किया जाएगा. मसौदा पर CBSE ने प्रतिक्रिया भी मांगी है.

मार्च और मई में होंगे एग्जाम

CBSE की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि साल 2026 में दो बार कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के मसौदा मानदंडों को मंजूरी दे दी गई है. अधिकारियों ने बताया कि मसौदा मानदंड अब सार्वजनिक डोमेन में डाल दिए जाएंगे और स्टेक होल्डर्स 9 मार्च तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. इसके बाद इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक बोर्ड परीक्षाओं का पहला चरण 17 फरवरी से 6 मार्च तक आयोजित किया जाएगा.

वहीं, दूसरा चरण 5 से 20 मई तक आयोजित किया जाएगा. बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों परीक्षाएं पूरे सिलेबस पर आयोजित की जाएंगी और परीक्षार्थियों को दोनों परीक्षाओं में एक ही परीक्षा केंद्र आवंटित किए जाएंगे. छात्र आवेदन दाखिल करने के समय दोनों परीक्षाओं के लिए के लिए एक ही केंद्र का विकल्प चुन सकते हैं. CBSE के अधिकारियों ने यह भी बताया कि इस नीति को लागू करने के बाद परीक्षा शुल्क बढ़ाया जाएगा.

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छात्रों पर से कम होगा दबाव

बता दें कि NEP यानि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस नीति की सिफारिश की गई थी. सिफारिश में कहा गया था कि सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान अधिकतम दो अवसरों पर परीक्षा देने की अनुमति दी जाए. ऐसे में छात्रों पर से दबाव कम होगा. लंबे समय से इस नीति को लागू करने की बात चल रही थी.

COVID के दौरान भी बच्चों को सहूलियत देने के लिए इसे लागू किया गया था. इस नीति के तहत CBSE बोर्ड परीक्षा साल में 2 बार होने पर वही रिजल्ट मान्य होगा, जिसमें छात्रों के मार्क्स ज्यादा होंगे. इससे स्टूडेंट्स को अपनी परफॉर्मेंस में सुधार का मौका मिल जाएगा. उदाहरण के लिए, अगर पहली परीक्षा में किसी छात्र को 50 फीसदी मार्क्स मिले हैं और दूसरी में 75 फीसदी मार्क्स मिले हैं, तो 75 प्रतिशत वाला रिजल्ट फाइनल माना जाएगा.

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