RIP Ratan Tata: रतन टाटा 2 दशकों से ज्यादा समय तक ग्रुप की मेन होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष रहे. उस दौरान समूह ने तेजी से विस्तार करने की कोशिश की.
देश के दिग्गज उद्योगपति रतन नवल टाटा (Ratan Naval Tata ) ने बुधवार (9 अक्टूबर, 2024) को 86 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. बेहद सादगी भरा जीवन जीने वाले रतन टाटा दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे. बावजूद इसके रतन टाटा का नाम कभी भी अरबपतियों की सूची में नहीं आया. यह भी जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने छह महाद्वीपों के 100 से ज्यादा देशों में चलने वाली 30 से ज्यादा कंपनियों को संचालित किया था.
RIP Ratan Tata: शुरुआत में शॉप फ्लोर पर किया काम
सही मायनों में रतन टाटा ऐसे कॉर्पोरेट टाइटन थे, जिन्हें ‘जिंदा संत’ भी माना जाता था. पढ़ाई पूरी करने के बाद रतन टाटा पारिवारिक फर्म में शामिल हो गए थे. उन्होंने शुरुआती दौर में शॉप फ्लोर पर काम किया. इसके बाद वर्ष 1971 में नेशनल रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के प्रभारी निदेशक बनने से पहले रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के कई बिजनेस में काम करके अनुभव पाया. रतन टाटा को जिंदा संत इसलिए भी कहा जाता था क्योंकि वह हमेशा परोपकार के बारे में सोचते रहे और लगातार उन्हें ऐसे काम किए जिससे आम लोगों को फायदा मिल रहा है.
RIP Ratan Tata: 5 दशक से भी अधिक समय तक रहे टाटा ग्रुप के चेयरमैन
एक दशक बाद वो टाटा इंडस्ट्रीज के चेयरमैन बने और 1991 में उन्होंने अपने चाचा जेआरडी से टाटा ग्रुप के चेयरमैन का पद संभाला और लगभग आधी सदी से भी ज्यादा समय तक इस पद पर कायम रहे. बताया जाता है कि 1868 में एक छोटी कपड़ा और बिजनेस फर्म के रूप में शुरू हुई. इसके बाद टाटा ग्रुप नमक से स्टील, कारों से सॉफ्टवेयर, पावर प्लांट और एयरलाइंस तक ग्लोबल पावरहाउस में परिवर्तित हो गया.
RIP Ratan Tata: टेटली टी का अधिग्रहण
टाटा ग्रुप ने साल 2000 में 431.3 मिलियन अमरीकी डॉलर में लंदन के टेटली टी का अधिग्रहण किया, दक्षिण कोरिया के देवू की ट्रक-मैन्युफैक्चरिंग को खरीदा. साल 2004 में टाटा मोटर्स ने 102 मिलियन अमेरिकी डॉलर में एंग्लो-डच स्टील मैन्युफैक्चरर कोरस ग्रुप का अधिग्रहण करने के लिए 11.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर चुकाया और फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने के लिए 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए.
RIP Ratan Tata: अस्पतालों की शुरुआत
भारत के सबसे सफल बिजनेस टायकून में से एक होने के साथ-साथ वे अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी जाने जाते थे. 1970 के दशक में उन्होंने भारत के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में से एक की नींव रखते हुए, आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रोजेक्ट की शुरुआत की.
1991 में टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के बाद रतन टाटा ने लोगों की भलाई के लिए तेजी से पहल की. उन्होंने अपने परदादा जमशेदजी की तरफ से बनाए गए टाटा ट्रस्ट को अहम सामाजिक जरूरतों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ाया और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज जैसे एजुकेशनल इंस्टीट्यूट की स्थापना की और पूरे भारत में शैक्षिक पहलों को फाइनेंस किया.
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RIP Ratan Tata: 30 से अधिक स्टार्ट अप में किया इंवेस्ट
टाटा ने अक्टूबर 2016 से कुछ समय के लिए अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और जनवरी 2017 में रिटायर हुए तो नटराजन चंद्रशेखरन को टाटा समूह का चेयरमैन बनाया. तब से टाटा संस के एमिरेट्स चेयरमैन हैं. इस दौरान उन्होंने 21वीं सदी के युवा उद्यमियों की मदद करते हुए नए युग के टेक्नोलॉजी वाले स्टार्ट-अप में इन्वेस्ट किया. टाटा ने ओला इलेक्ट्रिक, पेटीएम, स्नैपडील, लेंसकार्ट और ज़िवामे समेत 30 से ज्यादा स्टार्ट-अप में इन्वेस्ट किया.
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