Climate Change Impact: जलवायु परिवर्तन पर निष्क्रियता के कारण दुनिया तीन साल पहले की तुलना में बदतर स्थिति में है.
Climate Change Impact: दुनिया गंभीर खतरे में फंसने वाली है. संयुक्त राष्ट्र के जलवायु विज्ञान पैनल के प्रमुख ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन तेजी से देखने को मिल रहे हैं. इसके साथ ही वैज्ञानिक तापमान वृद्धि की गति से हैरान हैं. जलवायु विज्ञान पैनल के प्रमुख ने यह भी कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर निष्क्रियता के कारण दुनिया तीन साल पहले की तुलना में बदतर स्थिति में है. जंगलों में आग लगना और बाढ़ आने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.
साल 2015 से साल 2024 तक बढ़ती रही गर्मी
न्यूज एजेंसी PTI के साथ एक इंटरव्यू में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु विज्ञान पैनल के प्रमुख जिम स्की ने कई बड़ी बातों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि पांच सालों के नतीजों पर नजर डालें, तो वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि वैश्विक स्तर पर तापमान में इतनी तेजी से बढ़ोतरी क्यों हो रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु प्रभावों ने नतीजे हम साफ तौर पर देख रहे हैं. दुनिया के कई जंगलों में आग लगने और बाढ़ आने जैसी चरम मौसम के प्रभाव को झेल रहे हैं. उन्होंने बताया कि साल 2024 सबसे गर्म साल था. पिछले साल वैश्विक औसत तापमान औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक था.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक पिछले दस साल यानि साल 2015 से साल 2024 तक गर्मी बढ़ती ही रही है. जिम स्की ने बताया कि वैज्ञानिक एट्रिब्यूशन साइंस पर काम कर रहे हैं, जिससे पता चल सके कि मानवीय गतिविधियों से जलवायु घटनाएं कितनी प्रभावित हुई हैं. इसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बिना कई घटनाएं घटित नहीं हो पाती.
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43 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य पुराना
इसके अलावा जिम स्की ने कहा कि साल 2019 से साल 2030 तक 43 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन कटौती का लक्ष्य अब पुराना हो चुका है. अब हमें इसमें और ज्यादा कटौती करनी पड़ेगी. जिम स्की ने बताया कि 43 प्रतिशत का आंकड़ा अब लगभग तीन साल पुराना हो चुका है. हमने कोई कार्रवाई नहीं की.
अब कटौती के लक्ष्य में बदलाव करना पड़ेगा. हम उस स्थिति से भी बदतर स्थिति में हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या वैज्ञानिक लोगों को यह समझाने में असफल रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है, इस पर जिम स्की ने कहा कि कई लोग जलवायु नीतियों का विरोध करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उन पर थोपी चीज है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों को ऐसा लग रहा है कि उन्हें चीजें करने के लिए और बदलाव के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक तापमान का अधिकांश हिस्सा विकासशील देशों में हो रहा है. इसके अलावा यूरोप और चीन जलवायु परिवर्तन पर प्रकाशित नए शोध के सबसे बड़े स्रोतों में से हैं.
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