Canada New PM Mark Carney Impact On India: सवाल यह है कि मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते कैसे होंगे.
Canada New PM Mark Carney Impact On India: जस्टिन ट्रूडो के बाद कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी देश के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे. ऐसे में अब सवाल बन गया है कि 59 वर्षीय मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद भारत और कनाडा के रिश्ते कैसे होंगे. दरअसल, जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ के रिश्तों को सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया था. अब सभी की नजरें मार्क कार्नी पर टिकी हुई हैं.
भारत के साथ संबंधों को पुनर्निर्मित करने की कमस
दरअसल, कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नेता बनने के लिए मतदान का आयोजन किया गया था. रविवार को जारी परिणाम में मार्क कार्नी ने 86% वोट पाकर पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड को हराया. अब वह जल्द ही कनाडा के अगले प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.
बता दें कि लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी ने सत्ता में आने पर भारत के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने की कसम खाई है. लिबरल पार्टी के नेता को चुनने के लिए होने वाले चुनाव के समय ही उन्होंने कहा था कि वह अगर सत्ता में आए, तो भारत के साथ संबंधों को पुनर्निर्मित करेंगे.
उन्होंने यह भी कहा था कि कनाडा का मकसद समान विचारधारा वाले देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना है. ऐसे में भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर हैं. उन्होंने आगे कहा कि वाणिज्यिक संबंधों के लिए समान भावना होनी चाहिए और अगर मैं प्रधानमंत्री बनता हूं, तो मैं इसे विकसित करने के लिए सही मौकों की इंतजार करूंगा.
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से बिगड़े माहौल
बता दें कि जस्टिन ट्रूडो ने भारत के साथ संबंधों को हाल के समय में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया था. दरअसल, 18 जून 2023 को आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इस मामले में पिछले साल 13 अक्टूबर को कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने गंभीर आरोप लगाए थे.
सराकर ने कहा था कि कि उन्हें हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय उच्चायुक्त और कई अन्य राजनयिकों पर संदेह है. वह कनाडा सरकार के लिए पर्सन ऑफ इंटरेस्ट प्रतीत हो रहे हैं यानि वह आपराधिक जांच में शामिल है, लेकिन उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
एक दिन बाद इसी मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है. विदेश मंत्रालय ने यहां तक कहा था कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत के प्रति दुश्मनी लंबे समय से देखने को मिल रही है. साथ ही आरोप लगाया कि साल 2018 में भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों के वोट बैंक को लुभाने आए थे.
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अलगाववादियों से निपटना बड़ी जिम्मेदारी
बाद में कूटनीतिक गतिरोध इतना बढ़ गया कि दोनों देशों ने अपने राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया. अभी तक मार्क कार्नी ने खालिस्तान समर्थकों को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन भारत से रिश्ते सुधारने के लिए उन्हें खालिस्तान समर्थक अलगाववादियों और चरमपंथियों से निपटना ही होगा.
बता दें कि लिबरल पार्टी में अलगाववादी और चरमपंथी काफी प्रभाव रखते हैं. मार्क कार्नी के सत्ता संभालने के बाद भारत यही चाहेगा कि वह अलगाववादियों और चरमपंथियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें. हालांकि, कई विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि मार्क कार्नी राजनीतिज्ञ से बढ़कर अर्थशास्त्री हैं, ऐसे में वह भारत के साथ विवादास्पद मुद्दों को अलग रखकर व्यापार पर बातचीत फिर से शुरू कर सकते हैं.
हाल में कनाडा की ओर से अपनी माइग्रेशन और शिक्षा नीतियों में हाल में बदलाव किए गए हैं. इससे भारतीय छात्रों का कनाडा में भविष्य दांव पर लग गया है. दरअसल, कनाडा की सरकार ने छात्र परमिट पर बैन और वर्क परमिट जारी करने के नियमों में बदलाव किए हैं. इन मुद्दों पर भी मार्क कार्नी का बयान सामने नहीं आया है.
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