Reported By Rajeev Ojha
उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें फिर जोर पकड़ने लगी हैं. लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे नेताओं को होली का तोहफा देने की तैयारी है. कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव होगा. जिनके विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं या मंत्रियों का कामकाज ठीक नहीं है, उन्हें हटाया जाएगा.
LUCKNOW: उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें फिर जोर पकड़ने लगी हैं. लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे नेताओं को होली का तोहफा देने की तैयारी है. कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव होगा. जिनके विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं या मंत्रियों का कामकाज ठीक नहीं है, उन्हें हटाया जाएगा. BJP साफ-सुथरी छवि और समर्पित नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देने पर विचार कर रही है.
रालोद कोटे से जाट चेहरे को भी जगह दिए जाने की चर्चा
उधर, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि जयंत चौधरी अपनी पार्टी के कोटे से किसी जाट चेहरे को भी मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने के लिए दबाव बना रहे हैं. जबकि रालोद कोटे से मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री पहले से ही शामिल है. विस्तार में 75 वर्ष की आयु सीमा का भी ध्यान रखा जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं. मंत्रिमंडल में 21 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 19 राज्यमंत्री हैं, यानि कुल 54 मंत्री हैं. इस हिसाब से 6 मंत्री पद अभी भी खाली हैं.समीकरणों के हिसाब से तीन-चार नए चेहरे शामिल भी किए जा सकेंगे. कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव भी होगा. पूरब-पश्चिम का भी संतुलन साधा जाएगा.
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में नई प्रदेश कमेटी के साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी खासी उत्सुकता है. विस्तार में कुछ नए चेहरे सरकार में शामिल किए जाएंगे तो कुछ को संगठन में वापस भेजे जाने की भी संभावना है. हाल ही में सम्पन्न हुए विधान मंडल के बजट सत्र के दौरान भी मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना पुष्ट होती दिखी. भाजपा के विधायक पूरे बजट सत्र के दौरान अपने प्रदर्शन को लेकर खासे सतर्क रहे.
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को मंत्रिमंडल में मिल सकती है जगह
यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना इस कारण भी जताई जा रही है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को वापस मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से पहले वह पंचायतीराज विभाग में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में काम कर रहे थे. इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वतंत्र देव सिंह को भी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में जगह दी गई. इसके अलावा 2024 में लोकसभा का सांसद चुने जाने के बाद जितिन प्रसाद अब केंद्र सरकार में मंत्री हैं. पहले वह उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे. उनके इस्तीफे के बाद लोक निर्माण विभाग भी मुख्यमंत्री के पास है.
एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी और सपा-कांग्रेस गठबंधन को आशातीत सफलता मिल गई थी. प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 10 में से 8 सीटें जीत लेने के बाद भी भाजपा को सपा के पीडीए का दांव अखर रहा है. वह मंत्रिमंडल के विस्तार जरिए अपना जातीय समीकरण का ताना-बाना और दुरुस्त करना चाहती है.
जानकार सूत्रों का कहना है कि योगी मंत्रिमंडल में 6 से 7 नए सदस्य शामिल हो सकते हैं. मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रदेश के सभी जिलों में जिलाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती हो जाने की भी संभावना है. संगठन और सरकार में होने वाले इन बदलावों को भाजपा के मिशन 2027 से भी जोड़कर देखा जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सरकार के कुछ मंत्रियों की शिकायतों को लेकर भी गंभीर है. ऐसे में कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है.
कुछ विधायक दोबारा मंत्री बनने की कोशिश में
योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार में मंत्री का पद हासिल करने वाले विधायक भी दोबारा सरकार में जगह बनाने की कोशिश में लगे हैं. इसी तरह राष्ट्रीय लोक दल भी मंत्रिमंडल में अपने हिस्सेदारी बढ़ाए जाने के लिए दबाव बना रहा है. इनमें पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, सिद्धार्थ नाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा और अनुपमा जायसवाल का नाम शामिल है. फिलहाल रालोद कोटे से मंत्रिमंडल में एक कैबिनेट मंत्री शामिल है. भाजपा के सूत्रों को कहना है कि जयंत चौधरी अपनी पार्टी के कोटे से किसी जाट चेहरे को भी मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने के लिए दबाव बना रहे हैं.
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