5 March 2024
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को अंसैवधानिक करने के बाद भारतीय राजनीति गरमा गई, एक तरफ जहां शीर्ष अदालत ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से पूरी डिटेल चुनाव आयोग को सौंपने के लिए कहा है। तो वहीं, एसबीआई ने पूरी रिपोर्ट सौंपने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है। इसी बीच कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि, 25 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड को बैन किया जाएगा। तो इसका हम सब लोगों ने स्वागत किया था कि राजनीति में पारदर्शिता चाहिए जिसके लिए यह एक बड़ा कदम चाहिए। इस पर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मुझे याद है कि इसी प्लेटफॉर्म से हमारे साथियों ने इस फैसले का स्वागत किया था।
‘6 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर के नाम उजागर किए जाए’
सुप्रीया श्रीनेत ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दिया था कि 6 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर के नाम सार्वजनिक किए जाएं और चुनाव आयोग के साथ साझा करें। अब एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का वक्त मांगा है, क्योंकि वो इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा देने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि, विडंबना देखिए कि डिजिटल बैंकिंग के युग में कंप्यूटर की एक क्लिक पर 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा निकालने के लिए SBI को 5 महीने चाहिए!ये वही SBI है, जिसके 48 करोड़ बैंक अकाउंट हैं। जिसके देश में करीब 66,000 एटीएम हैं और लगभग 23,000 ब्रांच हैं।
‘BJP को इलेक्ट्रोल बॉन्ड से मिले 6500 करोड़ रुपए’
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, पिछले वित्तीय वर्ष के अंत तक करीब 12 हजार करोड़ रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को मिले। जिसमें सिर्फ बीजेपी को करीब 6500 करोड़ रुपए मिले। बीजेपी परेशान थी कि अगर चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक हो गए तो पता चल जाएगा कि उनका कौन सा मित्र कितना पैसा दे रहा था और क्यों दे रहा था। एक रिपोर्ट के अनुसार 30 कंपनियों ने BJP को करीब 335 रुपये करोड़ का चंदा दिया था, जिनके ऊपर 2018 से 2023 के बीच एजेंसियों की कार्रवाई हुई थी। इनमें से 23 कंपनियां ऐसी थीं, जिन्होंने पहले कभी किसी भी राजनितिक पार्टी को चंदा नहीं दिया था।
एसबीआई ने कांग्रेस से पूछे ये सवाल
इसी बीच कांग्रेस ने एसबीआई से कुछ सवाल पूछे हैं कि, देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को सिर्फ 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 5 माह का समय क्यों चाहिए? दूसरा- इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने की अंतिम तिथि से पहले SBI अचानक से क्यों जागा? तीसरा- SBI पर कौन दबाव बना रहा है? कौन है जो आर्थिक अनियमितता और कालेधन के इस गोरखधंधे को पनपने दे रहा था? और चौथा- क्या लोकतंत्र में जनता को यह हक नहीं है कि- किसने, किस पार्टी को, कितना पैसा दिया है, जिसे देखकर जनता वोटिंग का मन बना सके।