Chambal Female Dacoit Kusuma Nain Death: डॉक्टर कुसमा के उपचार करने में जुटी थी, लेकिन उसकी मौत हो गई. उसके क्रूरता के किस्से मशहूर थे.
Chambal Female Dacoit Kusuma Nain Death: उत्तर प्रदेश की इटावा जिला जेल में सजा काट रही पूर्व डकैत कुसमा नाइन की मौत हो गई. उसने लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में आखिरी सांस ली. तबीयत बिगड़ जाने पर उसे पहले जिला अस्पताल और फिर सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में रेफर किया गया था.
इसके बाद हालत बिगड़ते ही उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया था. हॉस्पीटल में पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच डॉक्टरों की टीम उसके उपचार करने में जुटी थी, लेकिन शनिवार की रात उसकी मौत हो गई. बता दें कि डकैत कुसमा नाइन के क्रूरता के किस्से काफी मशहूर थे.
उत्तर प्रदेश में करीब 200 से अधिक अपराध
इटावा जिला जेल के अधीक्षक से मिली जानकारी के मुताबिक कुसमा एक महीने से बिमार चल रही थी. वह करीब 18 साल से इटावा जिला जेल में बंद थी. उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ और उसकी सहयोगी पूर्व डकैत सुंदरी कुसमा नाइन सहित पूरे गिरोह ने सरेंडर किया था.
साल 2004 में गैंग ने मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी में भिंड के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक साजिद फरीद शापू के सामने बिना शर्त और अपनी मर्जी आत्मसमर्पण किया था. आत्मसमर्पण में उनके साथ गिरोह के मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का राम चंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश वाजपेयी, घूरे सिंह यादव और मनोज मिश्रा, कानपुर का कमलेश निषाद और जालौन का भगवान सिंह बघेल भी शामिल थे.
फक्कड़ बाबा पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक लाख और कुसमा नाइन पर 20 हजार का इनाम था. वहीं, मध्य प्रदेश पुलिस ने फक्कड़ बाबा पर 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. दोनों के गिरोह ने उत्तर प्रदेश में करीब 200 से अधिक और मध्य प्रदेश में 35 अपराध किए थे, जिसमें से कई अपराध क्रूरता की श्रेणी में आते हैं. जानकारी के मुताबिक कुसमा नाइन मध्य प्रदेश के जालौन जिले के सिरसाकलार और फक्कड़ बाबा उत्तर प्रदेश के कानपुर का रहने वाला था.
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15 मल्लाहों को लाइन में खड़ा कर मारी गोली
फक्कड़ बाबा गिरोह ने विदेश में बने कई घातक हथियार भी पुलिस को सौंपे थे. इसमें अमेरिका निर्मित 306 बोर की तीन सेमी-आटोमेटिक स्प्रिंगफील्ड राइफल, एक आटोमेटिक कारबाइन और बारह बोर की एक डबल बैरल राइफल समेत कई हथियार शामिल थे.
दरअसल, मई 1981 में फूलन देवी डाकू लालाराम और श्रीराम से अपने दुष्कर्म का बदला लेने के लिए कानपुर देहात के बेहमई गांव में 22 ठाकुरों को लाइन से खड़ा करके गोली मार दी थी. उस समय तक लालाराम और उसकी माशूका बन चुकी कुसमा ने बदला लेने की ठान ली. हालांकि, बेहमई कांड के एक साल बाद ही फूलन देवी ने आत्मसमर्पण कर दिया. फिर भी लालाराम और कुसमा का गैंग एक्टिव रहा.
फूलन देवी के दुश्मन और लालाराम के प्रेम में डूब चुकी कुसमा ने अपने गैंग के साथ साल 1984 में औरैया के अस्ता गांव पहुंचकर गांव के 15 मल्लाहों को लाइन से खड़ा कर गोली मार दी. साथ ही उनके घरों में आग लगा दी. बताया जाता है कि साल 1996 में इटावा जिले के भरेह इलाके में कुसमा संतोष और राजबहादुर नाम के मल्लाहों की आंखें तक निकाल ली और जिंदा लाश की तरह छोड़ दिया. वह अपहरण किए हुए लोगों को लकड़ी से जलाती और हंटर से मारती थी. इस तरह की क्रुरता की वजह से उसे यमुना-चंबल की शेरनी भी कहा जाता था.
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