मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा किसान पहचान पत्र (फार्मर आईडी) बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. मालूम हो कि किसान पहचान पत्र डिजिटल आइडेंटिटी है जो किसान के आधार कार्ड को उसके लैंड रिकॉर्ड यानि जमीन के ब्यौरे से जोड़ती है.
BHOPAL: मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा किसान पहचान पत्र (फार्मर आईडी) बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. मालूम हो कि किसान पहचान पत्र डिजिटल आइडेंटिटी है जो किसान के आधार कार्ड को उसके लैंड रिकॉर्ड यानि जमीन के ब्यौरे से जोड़ती है. सरकार के डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन का यह एक अहम हिस्सा है.
भारत सरकार की एग्रीस्टैक परियोजना के तहत मध्य प्रदेश में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में फार्मर रजिस्ट्री की शुरुआत की गई है. प्रत्येक किसान के लिए एक यूनिक किसान पहचान पत्र बनाया जा रहा है. प्रदेश में कुल 95 लाख 18 हजार 752 प्रधानमंत्री किसान योजना के हितग्राही हैं.
इनमें से अब तक 56 लाख 85 हजार 337 यानि कुल 59.73 प्रतिशत किसानों ने अपना पंजीयन कराया है. अब तक 56 लाख 82 हजार 234 पहचान पत्र बन चुके हैं. फार्मर रजिस्ट्री के माध्यम से किसानों का एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. इससे किसानों को आसान ऋण कम्प्यूटरीकृत प्रक्रिया से प्राप्त हो सकेगा. अन्य योजनाओं के लिये भूमि, फसल एवं कृषकों की जानकारी का सत्यापन इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकेगा.
भौतिक दस्तावेजों की नहीं होगी जरूरत
फार्मर रजिस्ट्री नवाचार में कलेक्टरों द्वारा राजस्व अमले एवं कृषकों के सहयोग से कैंप का आयोजन कर प्रदेश में 57 लाख से अधिक किसान पहचान पत्र (फार्मर आईडी) बनाए जा चुके हैं. पहचान पत्र बन जाने से किसानों को किसी भी काम के लिए भौतिक दस्तावेजों की जरूरत नहीं होगी. उन्हें कागजों के सत्यापन के झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी.
भारत सरकार की स्पेशल सेन्ट्रल असिसटेंस योजना में प्रदेश को 297 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हो रही है. फार्मर रजिस्ट्री के तहत फार्मर आईडी जनरेट करने में मध्यप्रदेश का देश में प्रथम स्थान हैं, जबकि गुजरात दूसरे, महाराष्ट्र तीसरे, आंध्रप्रदेश चौथे और उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर है.
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भोपाल से नितिन ठाकुर की रिपोर्ट