Home International अगर US ने छोड़ा यूक्रेन का साथ, तो क्या रूस से टकरा पाएगा यूरोप, कौन पड़ेगा किस पर भारी?

अगर US ने छोड़ा यूक्रेन का साथ, तो क्या रूस से टकरा पाएगा यूरोप, कौन पड़ेगा किस पर भारी?

by Divyansh Sharma
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Russia-Ukraine War: सबसे बड़ा सवाल यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अगर अमेरिका यूक्रेन का साथ छोड़ देता है, तो क्या यूरोपीय देश यूक्रेन को उस तरह सैन्य सहायता दे पाएंगे.

Russia-Ukraine War: व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को जमकर लताड़ लगाई. साथ ही साफ कर दिया कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को सैन्य मदद नहीं देने वाले हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि यूक्रेन की रक्षा के लिए यूरोपीय देश आगे आ सकते हैं, क्योंकि वोलोडिमिर जेलेंस्की ब्रिटेन पहुंचे हैं और लंदन में रविवार को यूरोपीय नेताओं का शिखर सम्मेलन रविवार को होने वाला है.

इसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति यूक्रेन के लिए शांति योजना पर चर्चा करने के लिए भाग लेंगे. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि अगर अमेरिका ने यूक्रेन का साथ छोड़ा, तो क्या यूरोपीय देश यूक्रेन को सैन्य सहायता दे पाएंगे. बता दें कि रूसी सेना के लिए यूक्रेन में युद्ध महंगा साबित हुआ है. फिर भी रूस की सेना साल 2022 में युद्ध की शुरुआत की तुलना में काफी बड़ी, अधिक अनुभवी और बेहतर उपकरणों से लैस है. रूसी सेना और उसके जनरल स्टाफ के पास अब युद्धक्षेत्र का अनुभव है, जो हाल में यूक्रेन के अलावा किसी भी अन्य देश की सेना के पास नहीं है.

रूस तीन से दस साल के भीतर कर सकता है हमला

सैन्य शक्ति रैंकिंग वेबसाइट के मुताबिक साल 2024 के अंत तक यूक्रेन में रूसी सैनिकों की संख्या लगभग 7,00,000 थी, जो साल 2022 के आक्रमण बल से कहीं ज्यादा थी. रूस ने अपने रिटायर्ड सैनिकों भी वापस बुला लिया था. हमले के बाद रूसी रक्षा उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अकेले रूस ने साल 2024 में लगभग 1,550 टैंक, 5,700 बख्तरबंद वाहन और सभी प्रकार के 450 तोपों का उत्पादन और नवीनीकरण किया.

साथ ही 1,800 लंबी दूरी के लैंसेट लोइटरिंग म्यूनिशन भी तैनात किए हैं. साल 2022 की तुलना में टैंक उत्पादन में 220 प्रतिशत, बख्तरबंद वाहनों और तोपखाने में 150 प्रतिशत और लंबी दूरी के लोइटरिंग म्यूनिशन में 435 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. रूस ने ड्रोन हथियारों के मामले में काफी प्रगति की है. पहले पहले वह ईरान पर निर्भर था. ऐसे में माना जाता है कि रूस अभी भी यूक्रेन के साथ ही यूरोपीय देशों पर भी हमला करने में सक्षम है.

साथ ही रूस ने अपने क्षेत्र के अलावा बेलारूस में भी परमाणु हथियारों को तैनात कर रखा है, जिससे यूरोपीय देशों को निशाना बनाना पहले से ज्यादा आसान है. साथ ही माना जा रहा है कि रूस सैन्य निर्माण को जारी रखेगा. NATO में शामिल जर्मनी, पोलैंड, डेनमार्क और बाल्टिक देशों के आकलन के अनुसार रूस तीन से दस साल के भीतर हमला करने के लिए तैयार है. इसी साल गर्मियों में बेलारूस में हर चार साल में होने वाला जैपैड सैन्य अभ्यास होने वाला है, जिसमें रूस दुनिया को अपनी सैन्य शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेगा.

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1,50,000 यूरोपीय सैनिकों की जल्द से जल्द जरूर

वहीं, यूक्रेन और यूरोपीय देश कुछ महत्वपूर्ण अमेरिकी रणनीतिक सहायकों पर निर्भर हैं, जिनमें खुफिया और उपग्रह संचार शामिल हैं. इन सभी को तुरंत बदलना असंभव है. ऐसे में यूरोप, ब्रिटेन और नॉर्वे सहित सहयोगियों को तुरंत और बड़े पैमाने पर अपने सैन्य निर्माण में तेजी लाने की जरूरत पड़ेगी. रक्षा और सेना से जुड़े कई जानकारों का मामना है कि रूस को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए यूक्रेन को लगभग 1,50,000 यूरोपीय सैनिकों की आवश्यकता होगी.

साथ ही इन सैनिकों को उन जगहों पर तेजी से तैनात करने के लिए तैयार रहना होगा, जहां से रूस यूरोपीय देशों पर हमला करने का फैसला कर सकता है. साथ ही हमले की स्थिति में कम से कम 3,00,000 अमेरिकी सैनिकों की जरूरत होगी. अगर अमेरिकी सेना पीछे हटती है, तो यूरोपीय देशों इससे ज्यादा सैनिकों और सैन्य हथियारों की जरूरत होगी, क्योंकि 3,00,000 अमेरिकी सैनिकों की युद्ध शक्ति यूरोपीय देशों के सैनिकों संख्या से काफी अधिक है.

ब्रिटेन समेत पूरे यूरोप में वर्तमान में लगभग 14 लाख सक्रिय सैन्यकर्मी हैं, लेकिन नेतृत्व की कमी के कारण यह कमजोर है. वहीं, बाल्टिक क्षेत्र में रूस को रोकने के लिए कम से कम 1,400 टैंक, 2,000 पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और 700 तोपें, 155 मिमी हॉवित्जर और कई रॉकेट लांचर की आवश्यकता होगी, जो जल्द संभव नहीं है. यूरोप को एविएशन और परिवहन क्षमता के साथ मिसाइल, ड्रोन युद्ध और संचार और खुफिया क्षमताएं भी तेजी से विकसित करने की आवश्यकता होगी.

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