NEW DELHI: दिल्ली-NCR में सोमवार सुबह करीब 5:37 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई. इसका केंद्र नई दिल्ली का धौला कुआं और गहराई 5 किलोमीटर थी. नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार सुबह 5:37 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. अचानक आए झटकों से लोग घबराकर अपने घरों से बाहर निकल आए. भूकंप से फिलहाल किसी तरह के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ.
वहीं एनडीआर NDRF व अन्य एजेंसियां भी सतर्क हो गईं. नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) ने इसे गंभीरता से लेते हुए देशभर में अपनी बटालियन को अलर्ट पर रखा है. अधिकारियों के अनुसार ये झटका किसी बड़े भूकंप के पहले का संकेत भी हो सकता है, इसलिए सतर्कता बरती जा रही है. हालांकि दिल्ली-NCR में पहले भी हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप के झटके आते रहे हैं. 6 से अधिक तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है.
क्यों आता है भूकंप: दरअसल पृथ्वी की चार प्रमुख परतें हैं, जिसे इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट कहा जाता है. पृथ्वी के नीचे मौजूद प्लेट्स घूमती रहती हैं, जिसके आपस में टकराने पर पृथ्वी की सतह के नीचे कंपन शुरू हो जाता है. जब ये प्लेट्स अपनी जगह से खिसकती हैं तो भूकंप महसूस किया जाता है. भूकंप की तीव्रता अधिक होने पर इसके झटके दूर तक महसूस किए जाते हैं. भारत में भूकंपीय क्षेत्रों (जोन 2, 3, 4 और 5) में विभाजित किया गया है. जोन 5 भूकंप के उच्चतम स्तर को दर्शाता है जबकि जोन 2 भूकंप के निम्नतम स्तर को दर्शाता है.
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भारत के भूकंपीय जोनिंग मानचित्र में दिल्ली को भूकंपीय क्षेत्र IV में रखा गया है, जो देश में दूसरा सबसे ऊंचा स्थान है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हिमालयी भूकंपों जैसे 1803 में 7.5 तीव्रता वाले गढ़वाल हिमालय भूकंप, 1991 में 6.8 तीव्रता वाले उत्तरकाशी भूकंप, 1999 में 6.6 तीव्रता वाले चमोली भूकंप, 2015 में 7.8 तीव्रता वाले गोरखा भूकंप और हिंदुकुश क्षेत्र से कुछ मध्यम भूकंपों के कारण मध्यम से उच्च जोखिम वाली भूकंपीय गतिविधियों के संपर्क में है.
जबकि कश्मीर पहले स्थान पर है. यह क्षेत्र भारत में उच्च भूकंपीय क्षेत्र के अन्तर्गत आता है. कश्मीर , पश्चिमी और मध्य हिमालय , उत्तर और मध्य बिहार,उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह बहुत अधिक क्षति वाले जोन में आते हैं. दिल्ली जोन-4 में क्यों आती है और क्यों यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यह वर्गीकरण मुख्य रूप से दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और भूगर्भीय गतिविधियों के कारण है. दिल्ली हिमालय पर्वतमाला के करीब लगभग 200 से 300 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है.
भूकंप आने के साथ क्यों होती है तेज गड़गड़ाहट
भूकंप का केंद्र जितना उथला या कम गहराई में होगा, उतनी ही ज्यादा ऊर्जा पृथ्वी की सतह तक पहुंचती है.उच्च आवृति वाली भूकंपीय तरंगें जमीन से होकर गुजरती हैं, इसी की वजह से भूकंप के दौरान गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देती है. भूकंप के समय भूकंपीय तरंगे पैदा होती हैं, जिसकी आवृति 0.1 से 3.5 तक होती है. दिल्ली में आए भूकंप का केंद्र जमीन के अंदर महज 5 किलोमीटर ही था, जिसके कारण लोगों को तेज आवाज सुनाई दी.
दिल्ली में भूकंप की कितनी संभावना
दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र IV में आती है, जिससे यह मध्यम से लेकर तीव्र भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील है. अधिकारियों ने लोगों को भविष्य में भूकंप के दौरान जोखिम को कम करने के लिए आपातकालीन प्रक्रियाओं और संरचनात्मक सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक रहने की सलाह दी है.
दिल्ली में आखिरी भूकंप कब आया था
दिल्ली- NCR में 11 जनवरी 2024 को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. डर की वजह से लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए थे. इसके पहले 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में 3.0 तीव्रता से अधिक के कम से कम तीन भूकंप आए, जिसके बाद एक दर्जन से अधिक झटके महसूस किए गए . दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र 4 में स्थित है, जहां भूकंप का खतरा अधिक है.
दिल्ली में सबसे सुरक्षित स्थान
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, एम्स, छतरपुर और नारायणा सबसे सुरक्षित क्षेत्र में आते हैं. इसके अलावा हौज खास और वसंत कुंज जैसे क्षेत्र भी कम जोखिम वाले क्षेत्र में शामिल हैं. जबकि उच्च जोखिम वाले क्षेत्र ज्यादातर पूर्वी, मध्य और उत्तरी भागों में केंद्रित है.
भारत में सबसे ज्यादा जोखिम वाला क्षेत्र
भारत में सबसे ज्यादा भूकंप जम्मू-कश्मीर, गुजरात और असम में आते हैं. इसके अलावा उत्तर-पूर्वी भारत भी भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है.
भारत में सबसे कम भूकंप की संभावना वाला शहर
भारतीय मौसम विभाग के भूकंपीय मानचित्र के अनुसार, बेंगलूरु और कर्नाटक के अधिकांश हिस्से देश में सबसे कम (भूकंपीय) सक्रिय क्षेत्र में स्थित हैं.
भारत में सबसे बड़ा भूकंप कब हुआ था
‘1934 में नेपाल और बिहार में आयै भूकंप भारत के इतिहास में सबसे विनाशकारी भूकंप में से एक था. 8.0 तीव्रता का भूकंप रात में 2:13 बजे के आसपास 15 जनवरी को आया था. इस भूकंप के कारण बहुत तबाही मची थी. जान-माल का काफी नुकसान हुआ था.
भूकंप से बचाव के लिए क्या करें
- सबसे पहले शांत रहें और घबराएं नहीं.
- मजबूत चीजों के नीचे छुपें, जैसे टेबल, बेड या मजबूत फर्नीचर के नीचे बैठें.
- संभव हो तो दरवाजा खुला रखें, जिससे बाहर निकलने का रास्ता रहे.
- अगर बाहर हैं तो खुले मैदान में चले जाएं, लेकिन बिल्डिंग, बिजली के खंभों और पेड़ों से दूर रहें.
- सीढ़ियों व लिफ्ट का उपयोग न करें, क्योंकि ये गिर सकती हैं या फंस सकती हैं.
- इमरजेंसी किट तैयार रखें, जिसमें पानी, खाना, दवा, टॉर्च, सीटी व जरूरी दस्तावेज हों.
क्या न करें
- खिड़कियों, शीशों व भारी अलमारियों के पास न जाएं, क्योंकि वे ऊपर गिर सकते हैं.
- गाड़ी के अंदर न रहें. पुल या फ्लाईओवर के नीचे न जाएं.
- मोमबत्ती या माचिस न जलाएं, गैस लीक हो रही हो तो आग लग सकती है.
- फोन का अनावश्यक उपयोग न करें, जिससे आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध रह सकें
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