'कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त...' पढ़ें साहिर लुधियानवी के लाजवाब शेर.
गम और खुशी में फर्क न महसूस हो जहां,
मैं दिल को उस मकाम पे लाता चला गया.
फर्क न महसूस
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नजर तो है,
क्यूं देखें जिंदगी को किसी की नजर से हम.
देखें जिंदगी
कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया,
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया.
हालात पे रोना
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-जिंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहां को कहीं बे-दिली से हम.
कशमकश-ए-जिंदगी
कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त,
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया.
ऐ दोस्त
अपनी तबाहियों का मुझे कोई गम नहीं,
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी.
अपनी तबाहियों