29 February 2024
29 दिन की फरवरी जब भी होती है, तो इसे लेकर एक खास चर्चा होती है. क्योंकि 29 दिन वाली फरवरी के साल को लीप इयर कहा जाता है. लेकिन इस दिन से जुड़े सियासी इतिहास को देखें, तो ये दिन एक जन्मदिन की वजह से खास होता है. 29 फरवरी 1896 को मोरारजी भाई देसाई का जन्म हुआ था. वो देश के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो लीप इयर में जन्मे. इस लिहाज से उनका जन्मदिन हर चार साल में एक बार ही मन पाता था.
मोरारजी का जन्म 1896 को तब के बंबई प्रेसीडेंसी के एक गुजराती परिवार में हुआ था. उनके पिता पेशे से शिक्षक थे. इसलिए शिक्षा-दीक्षा बेहद सख्त अनुशासन में हुई. 1918 मे गैजुऐशन की डिग्री हासिल की. राजनीति में आने से पहले आप ये जानकर हैरान होंगे कि मोरारजी देसाई 12 साल तक डिप्टी कलेक्टर भी रहे. लेकिन महात्मा गांधी से प्रभावित हो
1930 में अपनी नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए. 1931 में वो अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य बनाए गए. 1937 तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे।
आजादी की लड़ाई मे कई बार मोरारजी देसाई को जेल जाना पड़ा, 1937 में कांग्रेस ने जब अंतरिम सरकार बनाई तो मोरारजी देसाई राजस्व, कृषि, वन एवं सहकारिता मंत्री बने. आजादी से पहले की राजनीति और इसकी लड़ाई में मोरारजी देसाई अपनी भूमिका के साथ एक प्रशासक के तौर पर भी चर्चित रहे. स्वतंत्रता से पहले बंबई के गृह मंत्री से लेकर भारत के पहले गैरकांग्रसी प्रधानमंत्री तक का सफर काबिले तारीफ रहा.
मोरारजी देसाई का सियासी सफर 1952 मे देसाई बंबई के मुख्यमंत्री भी बने थे. राज्यों को पुनर्गठित करने के बाद श्री देसाई 14 नवंबर 1956 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए.. बाद में उन्होंने 22 मार्च 1958 से वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला.. 1963 में उन्होंने कामराज योजना के अंतर्गत केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।1967 में श्री देसाई श्रीमती इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप-प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के रूप में शामिल हुए। जुलाई 1969 में श्रीमती गांधी ने उनसे वित्त मंत्रालय का प्रभार वापस ले लिया 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के बाद श्री देसाई कांग्रेस संगठन के साथ ही रहे। वे आगे भी पार्टी में मुख्य भूमिका निभाते रहे। वे 1971 में संसद के लिए चुने गए। 1975 में गुजरात विधानसभा के भंग किये जाने के बाद वहां चुनाव कराने के लिए वे अनिश्चितकालीन उपवास पर चले गए। परिणामस्वरूप जून 1975 में वहां चुनाव हुए।आपातकाल घोषित होने के समय 26 जून 1975 को श्री देसाई को गिरफ्तार कर हिरासत में ले लिया गया था।उन्हें एकान्त कारावास में रखा गया था और लोकसभा चुनाव कराने के निर्णय की घोषणा से कुछ पहले ही 18 जनवरी 1977 को उन्हें बाहर निकाला गया.. उन्होंने देशभर में पूरे जोर-शोर से चुनावी अभियान चलाया और 1977 में आयोजित आम चुनाव में जनता पार्टी की जबर्दस्त जीत दर्ज हुई जिसमे उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्री देसाई ने 24 मार्च 1977 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, देसाई ने भारत के लोगों को निडर बनाया, लोकतंत्र को और भी मजबूती दी ,उन्होंने बार-बार यह कहा, “कोई भी, यहाँ तक कि प्रधानमंत्री भी देश के कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए”।
मोरारजी देसाई भारत के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री है जिन्हें पाकिस्तान ने भी नवाजा हैं.. पाकिस्तान ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से नवाजा था. पाकिस्तान ने उन्हें ये सम्मान दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए दिया था।