29 February 2024
संयुक्त राष्ट्र के 55वें मानवाधिकार परिषद में भारत ने तुर्की और पाकिस्तान को स्पष्ट जवाब देते हुए कहा कि किसी को हमारे आंतरिक मामले में टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। 55वें मानवाधिकार परिषद की प्रथम सचिव अनुपमा सिंह ने तुर्की को जवाब देते हुए कहा कि हमें दुख है कि टर्की ने हमारे इंटरनल मामले में टिप्पणी की है। हम उनसे उम्मीद करते हैं कि वह आगे से ऐसा गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देगा। वहीं, पाकिस्तान के जवाब में यूएन में सचिव ने कहा कि पाकिस्तान ने कई मुद्दों पर भारत का नाम लिया है और बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।
भारत के खिलाफ लगाए झूठे आरोप: अनुपमा सिंह
पाकिस्तान के मुद्दे पर अनुपमा सिंह ने कहा कि हम ध्यान देते हैं कि परिषद के मंच से एक बार फिर भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम तीन बिंदुओं पर इस मंच का ध्यान दिलाना चाहेंगे। पहला संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं। दूसरा, एक ऐसा देश (पाकिस्तान) जिसने अपने ही अल्पसंख्यकों के प्रणालीगत उत्पीड़न को संस्थागत बना दिया है, उस भारत पर टिप्पणी करना जो आर्थिक प्रगति और सामाजिक न्याय प्राप्त करने में बड़ी प्रगति कर रहा है, न केवल विडंबनापूर्ण है बल्कि विकृत भी है। तीसरा, एक ऐसा देश जो यूएनएससी द्वारा स्वीकृत आतंकवादियों को पकड़ता है और उनका जश्न मनाता है, ऐेसे देश के लिए भारत पर टिप्पणी करना हर किसी के लिए एक विरोधाभास है।
पाकिस्तान आतंकवाद के खून से सना हुआ है!
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश बना चुका है, जहां संस्थानिक रूप से अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया गया है और इस मामले में उस देश का भारत के प्रति टिप्पणी करना अमान्य है। अनुपमा ने कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि अगस्त 2023 में पाकिस्तान के जारनवाला शहर में माइनोरिटी ईसाई समुदाय पर क्रूरता की गई थी। जहां 89 ईसाई लोगों के घर जला दिए गए थे। अब उस देश पर ज्यादा समय बर्बाद नहीं कर सकते हैं जो आतंकवाद के खून से सना हुआ है, जो पूरी तरीके से कर्ज में डूबा हुआ है, अर्थव्यवस्था चौपट हुई पड़ी है और अपने ही नागरिकों की रक्षा करने में नाकाम है।