Holi 2025: मथुरा-वृंदावन में 40 दिन के होली उत्सव की शुरुआत हो गई है. हिंदू धर्म में ये त्योहार बेहद महत्वपूर्ण है. इस दिन पूरे देश में रंगों की धूम देखने को मिलती है.
Holi 2025 : होली हिंदू धर्म का बेहद पावन और महत्वपूर्ण त्योहार है. देश भर में ये त्योहार बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की रात को होलिका का दहन किया जाता है. इसके अगले दिन होली मनाई जाती है. होली के दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व की बधाई देते हैं. पिछले साल की तरह इस साल भी लोगों को होलिका दहन और होली की तारीखों को लेकर कुछ कंफ्यूजन हो रहा है. ऐसे में इस आर्टिकल के जरिए जानतें हैं होली और होलिका दहन की सही तारीख और शुभ मुहूर्त.
क्या है होलिका दहन की सही तारीख?
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च, 2025 की सुबह 10:25 बजे से शुरू हो रही है और 14 मार्च, 2025 की दोपहर 12:23 बजे खत्म हो रही है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च को होगा. वहीं होलिका दहन के लिए शुभ मुहुर्त 13 मार्च की रात 11:26 बजे से लेकर रात 12:30 बजे तक रहेगा. इस साल होलिका दहन के लिए देर रात 64 मिनट या करीब 1 घंटे का समय ही मिलेगा.
होली का इंतजार
हर साल की तरह इस साल भी लोग होली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि आखिर इस साल कब है होली ? इसे लेकर लोगों में कन्फ्यूजन बनी हुई है. कुछ लोगों का कहना है कि इस साल होली 13 मार्च को मनाई जाएगी. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि इस साल होली 14 मार्च को है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल होली कब मनाई जाएगी. यहां बता दें कि वैदिक पंचांग के मुताबिक, इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी. वहीं ये तिथि 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगी. इसलिए उदयातिथि के अनुसार, होली 14 मार्च को मनाई जाएगी.
क्यों मनाई जाती है होली?
होलिका दहन और होली का त्योहार मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है. इसके मुताबिक, पुराने समय में असुर राजा हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था. यह बात हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं था. तब उसने अपने बेटे प्रहलाद को मारने के लिए कई प्रयास किए लेकिन हर बार भगवान ने उसकी रक्षा की प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ. तब राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को मारने के लिए उसे आग में जलाने के लिए कहा. आपको बता दें कि होलिका को ब्रह्मा जी का वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती. ऐसे में होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल जाती है और प्रहलाद बच जाता है. तब से हर साल अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है.
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