दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ पहली बार राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मैदान में है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के इतिहास में राष्ट्रीय दलों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है. 1998 और 2008 के चुनाव में सात राष्ट्रीय दलों ने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई थी. चुनाव पांच फरवरी को है और नतीजे आठ फरवरी को आएंगे.
DELHI: दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ पहली बार राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मैदान में है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के इतिहास में राष्ट्रीय दलों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है. 1998 और 2008 के चुनाव में सात राष्ट्रीय दलों ने चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाई थी. जबकि 2025 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सहित पांच राष्ट्रीय पार्टियां ही मैदान में हैं.
दिलचस्प बात यह है कि 2025 में ‘आप’ के लिए यह पहला मौका होगा जब वह राष्ट्रीय दल के रूप में उतरेगी. 2015, 2020 के चुनाव में उसे राज्य दल के रूप में चुनाव में उतरना पड़ा था. जबकि कांग्रेस और भाजपा 1993 के चुनाव से राष्ट्रीय दल के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. 1993 में दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा, CPI, CPM, कांग्रेस, जनता दल, जनता पार्टी सहित छह राष्ट्रीय पार्टियां मैदान में थीं.BSP, एआईएफबी, शिवसेना सहित तीन राज्य पार्टियां थीं। 1993 से अबतक क्षेत्रीय राजनीति का प्रभाव दिल्ली में समय-समय पर बढ़ा है.
हालांकि पहले विधानसभा चुनाव में सबसे कम केवल तीन राज्य दल चुनाव में उतरे थे. इस बार के विधानसभा चुनाव सात राज्य दल भाग ले रहे हैं. इनमें लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), जनता दल यूनाटेड (JDU), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी लिबरेशन (CPIMLL), भारतीय कम्युनिस्ट गदर पार्टी, ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक (एआईएफबी), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) सहित सात राज्य पार्टियां मैदान में हैं.
दिल्ली की सत्ता का स्वाद नहीं चख पाई BSP और CPM
राष्ट्रीय दल के रूप में चुनाव लड़ रही बीएसपी का दिल्ली में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2008 में ही रहा. इसमें पार्टी ने पहली बार जीत का स्वाद चखा और 2 सीटें हासिल की. पार्टी को 14 फीसदी वोट मिला. इस बार के चुनाव में जहां बसपा ने 69 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, वहीं सीपीएम का उम्मीदवार राजधानी में अब तक चुनाव नहीं जीत पाया है.
इस बार पार्टी ने दो सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. पार्टी के प्रत्याशी न्यूनतम मजदूरी,रोजगार गारंटी,बेरोजगार मासिक भत्ता, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने सहित अन्य मांग के साथ चुनाव प्रचार में हैं. बसपा और सीपीएम अबतक दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने में नाकाम रही है.
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