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Maha Kumbh Mela Stampede: मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में कैसे मची भगदड़? ये 6 कारण आए सामने

by Live Times
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Maha Kumbh Mela Stampede: महाकुंभ में भगदड़ मचने की वजह से करीब 30 लोगों की जान चली गई है. मेला क्षेत्र में कड़े पुलिस और प्रशासन की तैयारी के बाद ये हादसा कई सवाल खड़ा करता दिख रहा है.

Maha Kumbh Mela Stampede: महाकुंभ में भगदड़ मचने की वजह से करीब 30 लोगों की जान चली गई है. मेला क्षेत्र में कड़े इंतजामों, पुलिस और प्रशासन की तैयारियों के बाद भी ये हादसा कई सवाल खड़े कर रहा है.

Maha Kumbh Mela Stampede: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर दूसरे शाही स्नान से पहले करोड़ों श्रद्धालु ने अपनी मौजूदगी दर्ज की, जिसके चलते मेला क्षेत्र में भगदड़ मच गई . ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के लिए देर रात संगम नोज पर भारी भीड़ इकट्ठी होने की वजह से ये हादसा हुआ, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. ऐसा नहीं है कि प्रशासन को श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा नहीं था, फिर ऐसा क्या हुआ कि इतनी सतर्कता के बावजूद सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं और इतना बड़ा हादसा हो गया. ऐसे में जानते हैं कि इतने चौकस प्रबंध के बावजूद क्या कारण थे कि इतना बड़ा हादसा हुआ.

1- संगम नोज की ओर जाते श्रद्धालु

महाकुंभ मेला में भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन की ओर से होल्डिंग एरिया बनाए गए थे. ऐसा माना जा रहा है कि शायद मेला प्रशासन ने इन सभी होल्डिंग एरिया का यूज नहीं किया. जब भारी संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेले में पहुंच रहे थे तो वो कहीं भी बैठ रहे थे क्योंकि रात के समय में स्नान नहीं करना था. जब श्रद्धालु अलग-अलग जत्थों में बैठे हुए थे तो उन्हें रात 8 बजे के बाद ही संगम की ओर भेजना शुरू कर दिया गया. ऐसे में संगम पर रात नौ बजे से ही भारी भीड़ उमड़ी और फिर भगदड़ जैसे हालात पैदा हो गए.

2- वन-वे प्लान नहीं किया काम

वहीं, प्रशासन ने महाकुंभ के हर स्नान के लिए वन-वे का प्लान बनाया था. इसके चलते, श्रद्धालु काली सड़क से त्रिवेणी बांध पार कर संगम अपर रास्ते से होते हुए संगम नोज तक जाएंगे और फिर अक्षयवट रास्ते से होते हुए त्रिवेणी मार्ग से बाहर निकल जाएंगे. हालांकि, प्रशासन के इस वन-वे प्लान का कोई उपयोग नहीं हुआ. श्रद्धालुओं की भीड़ संगम अपर मार्ग पर छाई रही, अक्षयवट रास्ते पर बहुत कम लोग गए. इस भगदड़ के पीछे की ये एक बड़ी वजह रही क्योंकि लोग एक ही रास्ते से आने-जाने की कोशिश कर रहे थे.

3- पांटून पुलों का बंद रखना

महाकुंभ नगर मेला क्षेत्र में प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए 30 पांटून पुलों को तैयार किया था, लेकिन 10 से ज्यादा पुलों को हमेशा बंद रखा गया. इसकी वजह से झूंसी की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है. इनमें बुजुर्ग और महिला तीर्थयात्री थककर संगम नोज पर काफी देर बैठ जाते हैं. इसकी वजह से संगम पर भीड़ जमा होती रही और ये हादसा हो गया.

4- बैरिकेडिंग से बिगड़े हालात

प्रशासन ने कुंभ मेला में सड़कों को खूब चौड़ा किया, लेकिन उनमें से कई सड़कों को बंद रखा. इसके अलावा कई मुख्य रास्तों पर बैरिकेडिंग भी की गई थी. इसकी वजह से श्रद्धालुओं को लगातार चलना पड़ा और पैदल चलकर जाने में श्रद्धालु थक जाते हैं. वो फिर संगम के किनारे बैठ जाते हैं और जल्दी नहीं निकलना चाहते. संगम पर भारी भीड़ का रहना भी हादसे की वजह बना.

5- सुरक्षाबलों का कैंप

महाकुंभ के सेक्टर-10 में CISF का कैंप था. प्रशासन ने अलग-अलग सेक्टरों में ये कैंप नहीं लगाए थे. जब देर रात भगदड़ मची तो कंपनी को बुलाया गया, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उन्हें सेक्टर-3 तक आने में बहुत समय लग गया, जिसकी वजह से हालात बिगड़े. अगर हर सेक्टर में CISF का कैंप लगा होता तो ऐसे हालात से आसानी से निपटा जा सकता था.

6- श्रद्धालुओं को रात में भेजना

मौनी अमावस्या के शाही स्नान के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे. इसलिए दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में नहाने के लिए संगम तट के निकट जल्दी पहुंचना चाहते थे. ज्यादा भीड़ की वजह से जगह की कमी हो गई. प्रशासन को उनके लिए संगम से पहले ही व्यवस्था करनी थी ताकि श्रद्धालुओं को रात 8 बजे से नहीं बल्कि दो बजे के बाद वहां से संगम नोज के लिए व्यवस्थित तरीके से रवाना किया जाए.

मेला अधिकारी और DIG ने दिया बयान

महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और DIG महाकुंभ वैभव कृष्ण ने इस हादसे को लेकर बताया था कि ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालुओं की भीड़ संगम नोज की तरफ बढ़ गई थी. रात के करीब 1 से 2 बजे के बीच भीड़ बढ़ने लगी. अखाड़े की कुछ बैरिकेडिंग तोड़कर श्रद्धालु नीचे जमीन पर सो रहे थे. उनके ऊपर दूसरे श्रद्धालु अफरा-तफरी में चढ़ गए जिससे नीचे सोए हुए श्रद्धालु कुचल गए. तत्काल ग्रीन कॉरिडोर बनाया और एंबुलेंस के जरिए करीब 90 घायलों को अस्पताल में पहुंचाया गया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 30 भक्तों की मौत हो गई.

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