Rahat Indori Sher : अगर शेरों को कोई इशारों में समझाना हो तो वहां पर बड़े अदब के साथ राहत इंदौरी का नाम ले लिया जाता है. राहत साहब हर शब्द के साथ इश्क की नई शुरुआत करते थे.
Rahat Indori Sher : राहत इंदौरी को अदबी दुनिया में दिलचस्पी रखने वाले लोग अपनी पलकों पर बैठाकर रखते थे. यह दुनिया का कमाल नहीं था बल्कि राहत इंदौरी की कलम, हाजिरी-जवाबी, लहजा और वाक्पटुता का कमाल था. किसी मुशायर में उनकी उपस्थिति से ही पागलपन की बयार आ जाया करती थी. इसी कड़ी में उनके कुछ चुनिंदा शेर को पढ़िये और उनके अंदाज को महसूस करने की कोशिश कीजिए…
खुश्क आंखों
मैं ने अपनी खुश्क आंखों से लहू छलका दिया,
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए.
मैं भी दुनिया
मजा चखा के ही माना हूं मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे.
रोज पत्थर
रोज पत्थर की हिमायत में गजल लिखते हैं,
रोज शीशों से कोई काम निकल पड़ता है.
मुलाकात का जादू
इक मुलाकात का जादू कि उतरता ही नहीं,
तिरी खुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है.
पथराव रोक दें
खयाल था कि ये पथराव रोक दें चल कर,
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे.
रात की धड़कन
रात की धड़कन जब तक जारी रहती है,
सोते नहीं हम जिम्मेदारी रहती है.
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