24 February 2024
हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्री मांग में सिंदूर भरती हैं। भारतीय संस्कृति में सिंदूर लगाना एक पुरानी परंपरा है। सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। हिंदू शास्त्रों रामायण से लेकर महाभारत में सिंदूर का ज्रिक मिलता है। शादी के समय दुल्हा सिंदूर से दुल्हन की मांग भरता है। जानते हैं सिंदूर लगाने के फायदे और धार्मिक महत्व…
सिंदूर से जुड़ी कथा
हिंदू धर्म में पुराने समय से ही सिंदूर लगाने की प्रथा चली आ रही है। रामायण में भी इस बात का वर्णन मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, रोजाना मां सीता अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं। एक बार भगवान हनुमान ने मां सीता से पूछा तो, उन्होंने बताया इससे भगवान राम प्रसन्न होते हैं और उनकी आयु बढ़ती है। साथ ही सिंदूर लगाने से शरीर हेल्दी भी रहता है। तब भगवान हनुमान ने सोचा, अगर मां सीता की मांग में जरा सा सिंदूर देखकर भगवान श्रीराम खुश होते हैं, तो मेरी पूरी बॉडी पर सिंदूर देखकर कितने खुश होंगे। फिर हनुमान जी अपनी पूरी बॉडी पर सिंदूर लपेटकर सभा में चले जाते हैं। भगवान हनुमान को एसे देखकर सभी हंसते हैं, मगर भगवान श्रीराम खुश होते हैं। मान्यतानुसार, सिंदू लगाने की प्रभा तभी से चली आ रही है।
लगाने के फायदे
धार्मिक मान्यतानुसार, जो पत्नी अपनी मांग में सिंदूर भरती है उसके पति के ऊपर से संकट टल जाते हैं और दोनों के बीच रिश्ता मजबूत बनता है। वहीं सुहागिन स्त्री के ऐसा करने से घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है।
सिंदूर ऐसे लगाएं
शास्त्रों के मुताबिक, जो स्त्री मांग में सिंदूर लंबा लगाती हैं, उसके पति का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। सुहागिन स्त्री को सिंदूर हमेशा नाक की सीध में लगाना चाहिए। मान्यतानुसार, टेढ़ा-मेढ़ा सिंदूर लगाने से पति का भाग्य खराब होता है।