Home National Budget 2025: क्या निकलेगा वित्त मंत्री के बही-खाते से ? नौकरीपेशा व किसानों की क्या हैं उम्मीदें

Budget 2025: क्या निकलेगा वित्त मंत्री के बही-खाते से ? नौकरीपेशा व किसानों की क्या हैं उम्मीदें

by Sanjay Kumar Srivastava
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Budget 2025: सरकार बजट में सेविंग बैंक अकाउंट पर मिली सालाना ब्याज छूट को बढ़ा सकती है. अभी तक 10 हजार रुपये तक की ब्याज पर कोई भी इनकम टैक्स नहीं लगता है.

27 January, 2025

Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में सुबह 11 बजे केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी. इस बजट में नौकरीपेशा से लेकर स्टार्टअप कंपनियों और कारोबारियों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं. यह उनका 8वां बजट होगा. इस बजट पर टैक्सपेयर्स से लेकर किसान, महिलाएं, इंडस्ट्री आदि की नजरें टिकी हैं. बजट में इनके लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की जा सकती हैं.

FD पर लगने वाले वाले टैक्स में बदलाव

माना जा रहा है कि इनकम टैक्स में छूट की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है. जिसकी मांग रेलवे, रक्षा सहित कई सरकारी संगठन कर रहे हैं. उधर, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने सरकार से सिफारिश की है कि FD पर लगने वाले इनकम टैक्स में बदलाव किया जाए. इसके लिए SBI ने फ्लैट 15 फीसदी टैक्स की बात कही है.

अभी तक FD से हुए मुनाफे पर स्लैब आधारित टैक्स लगता है. FD पर मिलने वाली ब्याज अभी स्लैब सिस्टम पर आधारित है. यह सालाना 5 से 30 फीसदी है. FD से मिली ब्याज को उस जमाकर्ता के इनकम में जोड़ दिया जाता है फिर उसकी इनकम जिस स्लैब में आती है, उसे उसी के अनुरूप इनकम टैक्स देना पड़ता है. इसके अलावा सेविंग अकांउट पर छूट बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है. इस दौरान सरकार कई नई योजनाएं भी शुरू करने की घोषणा कर सकती है. जानें बजट के बारे में जानकारियां:

मिल सकती है ज्यादा छूट

सरकार बजट में सेविंग बैंक अकाउंट पर मिली सालाना ब्याज छूट को बढ़ा सकती है. अभी तक 10 हजार रुपये तक की ब्याज पर कोई भी इनकम टैक्स नहीं लगता है. एसबीआई ने सुझाव दिया है कि इस छूट की सीमा 20 हजार रुपये कर देनी चाहिए. ऐसा होने पर लोगों को काफी फायदा होगा. अभी तक नौकरीपेशा लोगों के लिए 7 लाख 75 हजार तक का इनकम टैक्स फ्री है.

केंद्रीय बजट 2024 में वित्त मंत्री की ओर से किए गए एलानों के बाद अगर किसी नौकरीपेशा करदाता की सालाना आय 7 लाख 75 हजार रुपये तक है तो उसे आयकर नहीं चुकाना पड़ता है. क्योंकि स्टैंडर्ड डिडक्शन के 75,000 रुपये घटाने के बाद उसकी आमदनी 7 लाख रुपये रह जाती है. ऐसे में उसे कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. लेकिन अब बजट 2025 में वित्त मंत्री से मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए 10 लाख तक की आमदनी को टैक्स फ्री करने की मांग की जा रही है.

रेलवे का भी रखा जा सकता है ध्यान

बजट में रेलवे को लेकर भी कई नई घोषणाएं की जा सकती हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में रेलवे ने वंदे भारत समेत कई नई ट्रेनें चलाई हैं. साथ ही श्रीनगर भी दिल्ली से जुड़ने वाला है. रेलवे नए साल में स्लीपर वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है. साथ ही कई और प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार रेलवे का बजट पिछले साल के मुकाबले 15 से 20 फीसदी बढ़ाया जा सकता है.

टेक्सटाइल इंडस्ट्री को मिल सकती है वित्त मंत्री की कृपा

इस बार बजट में टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बूस्ट मिल सकता है. दरअसल, बांग्लादेश में चल रहे विवाद को लेकर वहां की कपड़ा इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे में सरकार भारत को गारमेंट इंडस्ट्री का हब बना सकती है. ऐसे में टेक्सटाइल सेक्टर को ज्यादा बजट आवंटित किया जा सकता है. माना जा रहा है कि सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए टेक्सटाइल मिनिस्ट्री के बजट को 10 से 15 फीसदी तक बढ़ा सकती है. बाजार के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आगामी बजट में भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कई उपायों पर ध्यान दिया जाएगा.

रोजगार सृजन को प्राथमिकता की उम्मीद

बजट में कृषि, एमएसएमई, घरेलू खपत और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दिए जाने की उम्मीद है. बजट से क्या आम आदमी को महंगाई से राहत मिलेगी या करों का भार बढ़ेगा, फिलहाल यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है. वाराणसी के अर्थशास्त्री वशिष्ठ नारायण सिंह का कहना है कि उम्मीद है कि इसके लिए सरकार विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों को इस बजट में प्राथमिकता देगी. विशेषकर कम आय वाले लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है.

वहीं बजट में फोकस के प्रमुख क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश,टिकाऊ ऊर्जा की पहल, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा और रक्षा तथा रेलवे पर निरंतर खर्च शामिल होने की संभावना है. यह सभी क्षेत्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और एसएमई की मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने बताया कि सरकार इस बजट में स्वास्थ्य सेवा और आवास जैसे सामाजिक क्षेत्रों पर भी व्यय में वृद्धि, प्रत्यक्ष कर स्लैब में बढ़ोतरी कर सकती है. कहा कि बाजार के नजरिए से देखें तो बजट में विकास केंद्रित खर्च और राजकोष के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है. विकासोन्मुखी बजट जरूरी है.

विशेषताओं को अपनाने की जरुरत

अर्थशास्त्र के अध्यापक नीरज कुमार ने कहा कि अगर भारत को 2047 तक सही मायने में ‘विकसित भारत ‘ और बेहतरीन रक्षा क्षमताओं के अलावा विकसित अर्थव्यवस्था बनना है तो कुशल सार्वजनिक बाजारों के साथ-साथ मुक्त मुद्रा का भी विकास किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष में अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्य से लगभग 1.4 ट्रिलियन रुपये कम रहने की संभावना जताई है, जिससे वित्त वर्ष 2025 में 4.8 प्रतिशत अपेक्षित राजकोषीय घाटा होने की संभावना है, जो बजट में निर्धारित 4.9 प्रतिशत से काफी कम है. इसलिए आगामी बजट में देश के विकास की गति को बनाए रखने के लिए लगातार पूंजी व्यय और खपत को प्रोत्साहित करने में संतुलन बनाने की बड़ी चुनौती वित्त मंत्री के सामने है. बाजार को इस साल बजट में सरकार समावेशी विकास एजेंडे में कृषि, एमएसएमई, घरेलू उपभोग और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दिए जाने की उम्मीद है.

जानें क्या है आम बजट ?

संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक, केंद्र सरकार के किसी एक साल का वित्तीय ब्यौरा आम बजट होता है. इसे केंद्र सरकार को हर साल पेश करना होता है. इससे पता चलता है कि सरकार को सालभर में कुल स्रोतों से कितना राजस्व मिला है और कुल कितनी रकम खर्च की गई है. आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था. इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था.

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