Gaza War : युद्ध के दौरान गाजा पट्टी में काफी तबाही हुई है और डोनाल्ड ट्रंप स्थिति को स्पष्ट रूप से देखने के लिए लगातार जॉर्डन और मिस्त्र से फिलिस्तीनियों को बसाने का अनुरोध कर रहे हैं.
Gaza War : हमास और इजराइल के बीच एक वर्ष से ज्यादा चले युद्ध की वजह से गाजा में रहने वाले लोगों का जीवन तबाह हो गया. युद्ध के दौरान स्कूल, अस्पताल, धार्मिक संस्थान से लेकर बिल्डिंग और लोगों के घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं. यही कारण है कि भारी संख्या में फिलिस्तीनी दूसरे देशों में शरणार्थियों के रूप में रहने पर मजबूर हो रहे हैं. इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जॉर्डन और मिस्त्र को गाजा में रहने वाले और अधिक फिलिस्तीनियों को अपने देश में जगह देनी चाहिए, ताकि इस क्षेत्र को साफ किया जा सके क्योंकि यु्द्ध के दौरान पूरे क्षेत्र को विध्वंस स्थल में बदल दिया गया था.
अब्दुल्ला द्वितीय से ट्रंप की हुई बात
शरणार्थियों को जगह देने मामले पर डोनाल्ड ट्रंप ने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय से बात की है और मिस्र के नेता से संवाद करने की योजना बनाई है. उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला द्वितीय से बातचीत शानदार रही और वह मेरा अच्छा दोस्त है. मैं उसको बहुत अच्छी तरह से जानता हूं. साथ ही ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने उनसे बात की है और मैं चाहूंगा कि आप अपने देश में फिलिस्तीनियों की संख्या बढ़ाने का काम करें. उन्होंने आगे कहा कि मैं फिलहाल गाजा पट्टी का निरीक्षण करवा रहा हूं और यहां पर एक गड़बड़ है कि अभी वहां पर काफी लोग मौजूद हैं जिन्हें दूसरे देश में विस्थापित करने के बाद ही पूरी स्थिति का मूल्यांकन किया जा सकता है.
शरणार्थियों को मिले शांति से रहने वाली जगह
डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि इस मामले में मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी से बातचीत करना चाहते हैं और मैं चाहूंगा कि कुछ फिलिस्तीनियों को अब्देल फत्ताह अपने देश में जगह दें. ट्रंप ने माना कि यह वास्तव में अभी एक विध्वंस स्थल है और यहां करीब सबकुछ तबाह हो चुका है. साथ ही यहां पर जो बचे हैं वह तिल-तिल मर रहे हैं और यही वजह है कि मैं कुछ अरब देशों के साथ जुड़ना चाहूंगा जहां पर कुछ शरणार्थी शांति से रह सकें. बता दें कि हमास की तरफ से 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हमला कर दिया था जिसके बाद से यह दोनों के बीच में संघर्ष जारी है. इस हमले में इजराइल में करीब 1200 लोगों की मौत हो गई थी और उस दौरान 250 से अधिक लोगों को बंधक बनाया गया था.
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