Budget 2025-26 : भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समिति के सदस्य नागेश कुमार ने रविवार को बजट को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बजट में आर्थिक विकास को और बढ़ावा देने की जरूरत है.
Budget 2025-26 : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति समिति के सदस्य नागेश कुमार ने रविवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और इसे और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचे के खर्च पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि बुनियादी ढांचे के व्यय को बनाए रखना और इसे आगे बढ़ाना भारत के लिए आर्थिक विकास का और अधिक मजबूत रास्ते को बनाने में बहुत मददगार होगा.
दूसरे तिमाही का क्या है हाल?
इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही में हमने जो मामूली आर्थिक मंदी देखी उसके संदर्भ में विकास को बढ़ावा देने और इसे अधिक मजबूत, अधिक टिकाऊ बनाने की आवश्यकता है. वित्त मंत्री इस गति बजट 2025-26 को जारी रखने के लिए अच्छा काम करेंगी, जैसे उन्होंने खुद दो साल पहले शुरू किया था, जिसमें पूंजीगत व्यय, बुनियादी ढांचे के खर्च पर बहुत जोर दिया गया था और इसे बहुत स्वस्थ स्तर तक बढ़ाया गया था.
कब पेश किया जाएगा बजट?
यहां बता दें कि 2025-26 का केंद्रीय बजट 1 फरवरी, 2025 को निर्मला सीतारमण की ओर से प्रस्तुत किया जाना है. COVID महामारी से पीड़ित होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ, उसके बाद इसमें एक मजबूत सुधार दिखा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारतीय आर्थिक विकास को गति देने वाली यह मांग अब समाप्त हो रही है. इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था उस प्रक्षेपवक्र पर वापस आ गई है जो पूर्व-कोविड समय में थी और अब इसे सार्वजनिक खर्च को थोड़ा बढ़ावा देने की जरूरत है.
पिछले बजट में क्या बोली वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमण ने अपने पिछले साल के बजट में कहा था कि सरकार 2024-25 के लिए पूंजीगत व्यय के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये प्रदान किया था और बुनियादी ढांचे में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण पेश किया था. भारत की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में GDP वृद्धि सात तिमाही के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई. रुपये की कमजोरी को लेकर नागेश कुमार ने कहा कि यह रुपये की गिरावट से ज्यादा डॉलर की मजबूती है.
कई मुद्राएं हो रही है कमजोर
नागेश कुमार के अनुसार सभी विभिन्न रुपये डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं. यह काफी हद तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन और डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले नए प्रशासन की उम्मीद के कारण है. इसलिए रुपये की यह कमजोरी काफी हद तक डॉलर की मजबूती है. जब डॉलर की बहुत अधिक मांग होती है, तो रुपये में गिरावट आती है. मेरी भावना यह है कि रुपये की अभी भी वास्तविक रूप से थोड़ी सराहना की जाती है और उसका अधिक मूल्यांकन किया जाता है.
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