19 Feb 2024
तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना बजट पेश कर दिया है। इसमें 49,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व घाटे का अनुमान लगाते हुए कई नई घोषणाएं की गई हैं। वित्त मंत्री थंगम थेन्नारसु ने अपना पहला बजट पेश किया जो कि 7 भव्य तमिल सपने पर आधारित होने के साथ ही कागज रहित ई-बजट है। वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित अनुमान में वित्त घाटे के अनुमान को मामूली बढ़ाकर 92,075 करोड़ रुपये से 94,060 करोड़ रुपये कर दिया गया है। राज्य सकल घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी अनुमान में कमी की वजह से 2023-24 में वित्त घाटा जीडीपी का 3.45 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहले इसके 3.25 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
विभिन्न क्षेत्रों में कई घोषणाएं कीं
थेन्नारसु ने आवास, शिक्षा और बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई घोषणाएं कीं। कुल राजस्व व्यय 3,48,289 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान में प्रतिबद्ध कीमत में मानक वृद्धि के अलावा, सब्सिडी और ट्रांसफ़र के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के आवंटन का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि ये इजाफा खास तौर पर पिछले साल की तुलना में कलैगनार मगलिर उरीमई थोगई थित्तम यानी महिला अधिकार योजना 1000 रुपये प्रति माह के तहत 5,696 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की वजह से है। उन्होंने कहा कुल मिलाकर बजट अनुमान 2024-25 में राजस्व घाटा 49,279 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
गरीबी रेखा से नीचे केवल 2.2 प्रतिशत लोग
बजट में पूर्व सीएम एम. करुणानिधि के नाम पर एक आवासीय योजना ‘कलैग्नारिन कनावु इलम’ शामिल है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत 2030 तक राज्यभर के ग्रामीण इलाकों को ‘झोपड़ी-मुक्त’ बनाने के लिए 8 लाख कंक्रीट के मकान बनाए जाएंगे। सरकार ने कहा कि बजट का लक्ष्य ‘‘7 भव्य तमिल सपने’’ को हासिल करना है। थेन्नारसु ने अपने बजट भाषण में कहा कि सामाजिक न्याय, हाशिये पर पड़े लोगों का कल्याण, तमिल युवाओं को वैश्विक स्तर पर सफल बनाना सात लक्ष्यों में से एक है। कुछ बातों के अलावा उन्होंने नगर निगमों के आसपास के क्षेत्रों की सड़कों के साथ नागरिक सुविधाओं के लिए बजट में 300 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि राज्य ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं के जरिए से गरीबी उन्मूलन में बहुत महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के अनुसार तमिलनाडु में गरीबी रेखा से नीचे केवल 2.2 प्रतिशत लोग हैं।