Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने को लेकर प्रदेश अधिकारियों को युद्धस्तर पर तैयारियां करने का निर्देश दिया है.
Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम को बहुत बड़ी जानकारी सामने आ रही है. उत्तर प्रदेश प्रशासन ने मौनी अमावस्या को लेकर बहुत बड़ा अनुमान जताया है.
प्रशासन को उम्मीद है कि 29 जनवरी यानी मौनी अमावस्या के दिन पवित्र संगम में अमृत स्नान के लिए 8-10 करोड़ श्रद्धालु तीर्थराज प्रयागराज में आ सकते हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी अधिकारियों को युद्धस्तर पर तैयारियां करने का निर्देश दिया है. ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि मौनी अमावस्या का महत्व क्या है.
अब तक 6 करोड़ से अधिक लोगों ने किया स्नान
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महाकुंभ के तीन दिनों की समीक्षा की. इसी दौरान अनुमान जताया गया कि मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में 8-10 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर सकते हैं. साथ ही अभी तक 6 करोड़ से अधिक लोगों ने त्रिवेणी स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त कर लिया है.
दिव्य, भव्य और अलौकिक
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महाकुम्भ 2025
प्रथम अमृत स्नान के अवसर पर महाकुम्भ में हुआ संस्कृति, आस्था और एकता का महासंगम#MahaKumbh2025 #एकता_का_महाकुम्भ pic.twitter.com/11eGZjBRAX
बता दें मौनी शब्द संस्कृत के शब्द मौन से निकला है. इसका अर्थ है मौन और अमावस्या का अर्थ है अमावस्या. पुराणों में मौनी अमावस्या को मौन के आत्मनिरीक्षण का दिन बताया गया है. कई ऋषि और भक्त इस दिन मौन व्रत का पालन करते हैं और गहन ध्यान-साधना में लीन होते हैं. माना जाता है कि इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था. ऐसे में इस दिन ब्रह्मांड में मौजूद सभी ऊर्जाएं अत्यधिक शक्तिशाली मानी जाती हैं. मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के जल में पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और आत्मा को मुक्ति मिलती है.
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पूर्वजों की आत्मा को मिलती है मुक्ति
मौनी अमावस्या पर कुंभ मेले की आध्यात्मिक धड़कनें तीव्र हो जाती हैं. कुंभ मेले में मौनी अमावस्या ब्रह्मांड और आत्मा का संगम माना जाता है. एक ऐसा दिन जब मौन बहुत कुछ कहता है. इसके साथ ही प्रयागराज में गूंजते दिव्य मंत्रों में हृदय अपनी लय पाता है. मौनी अमावस्या का आकर्षण सिर्फ इसके खगोलीय महत्व में ही नहीं, बल्कि यह श्रद्धालुओं के बीच आध्यात्मिक जागृति भी प्रदान करती है. कुंभ मेले के विशाल विस्तार के बीच मौनी अमावस्या का दिन एक प्रकाश स्तंभ के रूप में माना जाता है, जो श्रद्धालुओं को आत्मनिरीक्षण, ध्यान और दिव्य संबंध की ओर मार्गदर्शन करता है.
सनातन का गौरव
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आप भी महाकुम्भ आएं और विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के साक्षी बनें।#MahaKumbhCalling #एकता_का_महाकुम्भ pic.twitter.com/xD00ypmEjg
पुराणों में मौनी अमावस्या का सभी अमावस्याओं में विशेष महत्व माना जाता है, जिसमें पितृ के लिए स्मरण और अनुष्ठान किया जाता है. ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है और उनकी आत्मा को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इस बार का मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रहा है. इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 5:25 से शुरू होकर सुबह 6:18 तक सबसे उत्तम माना गया है.
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