Home Religious Makar Sankranti 2025: क्यों खास है 2025 की मकर संक्रांति, स्नान और दान का क्या है महत्व; जानें पूरी डिटेल

Makar Sankranti 2025: क्यों खास है 2025 की मकर संक्रांति, स्नान और दान का क्या है महत्व; जानें पूरी डिटेल

by Live Times
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Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में काफी महत्व रखता है. ये हिंदू धर्म का एक मुख्य त्योहार हैं. इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है.

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में काफी महत्व रखता है. ये हिंदू धर्म का एक मुख्य त्योहार हैं. इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है.

Makar Sankranti 2025: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति त्योहार का बेहद महत्व होता है. मकर संक्रांति का पर्व सूर्य देव से जुड़ी हुई होती है. ऐसा इसलिए साल के 12 महीने सूर्यदेव 12 राशियों में गोचर करते हैं. मकर संक्रांति वाले दिन सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं इसलिए उसे दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का बेहद महत्व है. इसके अलावा दान करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने से सूर्य 6 महीने के लिए उत्तरायण हो जाते हैं, जिसके बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. मान्यताओं की मानें तो इस दिन खिचड़ी खाने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति?

यहां बता दें कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर सूर्य, मकर राशि में प्रवेश करेंगे. ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान दान का शुभ मुहूर्त रहेगा. इसमें सुबह 8 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक का समय पुण्य काल रहेगा. जबकि 8 बजकर 55 मिनट से लेकर 9 बजकर 29 मिनट तक का समय महापुण्य काल रहेगा.

कब होता है उत्तरायण और दक्षिणायन?

ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन से दिन लम्बें और रात छोटी होने लगती हैं. धरती अपनी धूरी पर 23.5 डिग्री तक झुकी हुई है, धरती के इसी झुकाव की वजह से दिन और रात में कई बदलाव देखने को मिलते हैं. धरती का चक्कर सूर्य के चारों तरफ लगता है. ऐसे में साल के अलग-अलग समय में धरती के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध का सूर्य की तरफ झुकाव रहता है. उत्तरायण और दक्षिणायन भी धरती का सूर्य की ओर झुकाव देखकर ही तय किया जाता है. जब धरती का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ झुका रहता है, तो उत्तरायण होता है और जब धरती का दक्षिणी गोलार्द्ध का सूर्य की तरफ झुका रहता है, तो दक्षिणायन होता है. मकर संक्रांति के दिन से धरती के उत्तरी गोलार्द्ध का झुकाव धीरे-धीरे सूर्य की ओर होने लगता है, जिसके कारण दिन लंबे और राते छोटी होने लगती हैं.

क्या है इस दिन दान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान के साथ दान पुण्य का विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जैतै है कि इस दिन गंगा स्नान और दान पुण्य करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन सूर्य देव के साथ-साथ भगवान विष्णु की उपासना भी की जाती है. इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.

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