Dharm sansad In Mahakumbh 2025: 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है, जो 26 फरवरी तक चलेगा. 27 जनवरी को सनातन धर्म संसद का आह्वान किया गया.
Dharm sansad In Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दो दिन बाद आस्था के महाकुंभ की शुरुआत होगी. इसी महाकुंभ में सनातन धर्म संसद का भी आह्वान किया गया है. यह धर्म संसद सनातन न्यास फाउंडेशन के अध्यक्ष देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज की ओर से बुलाई गई है. इस संसद में सनातन बोर्ड गठन, श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्तिकरण और तिरूपति प्रसाद में मिलावट के दोषियों को सजा समेत कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
सनातनियों के अधिकारों की रक्षा है अहम मुद्दा
बता दें कि 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है, जो 26 फरवरी तक चलेगा. इस बीच सनातन न्यास फाउंडेशन के अध्यक्ष देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज की ओर से 27 जनवरी को सनातन धर्म संसद का भी आह्वान किया गया है. इस धर्म संसद में सभी 13 अखाड़े, जगद्गुरु शंकराचार्य, प्रमुख संत, कथाकार, धर्माचार्य, विद्वतजन और सनातनी विचारकों की मौजूदगी में सनातन बोर्ड का प्रारूप प्रस्तुत कर सनातन धर्म से जुड़े लोगों भावना प्रस्तुत की जाएगी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस, प्रयागराज (11/01/2025)
— Devkinandan Thakur Ji ( सनातनी ) (@DN_Thakur_Ji) January 11, 2025
27 जनवरी 2025 को प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर आयोजित होने जा रही सनातन धर्म संसद में सभी 13 अखाड़ों, जगद्गुरु शंकराचार्य जी, प्रमुख संतों, कथाकारों, धर्माचार्यों, विद्वतजनों और सनातनी विचारकों के सानिध्य में, सनातन बोर्ड का प्रारूप… pic.twitter.com/q1cyQqyIgn
सनातन बोर्ड के जरिए सनातन धर्म से जुड़े लोगों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए नियम बनाए जाएंगे. इस बार के धर्म संसद में सनातन बोर्ड के अलावा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिकरण, तिरुपति प्रसाद में दोषियों को सजा, सनातनियों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा, अश्लील फिल्म-कॉमेडी और देवी देवताओं के अपमान समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यह चौथी धर्म संसद 27 जनवरी की दोपहर में सेक्टर 17 में आयोजित की जाएगी. गौरतलब है कि इससे पहले पिछले साल 16 नवंबर को दिल्ली में तीसरी धर्म संसद बुलाई गई थी.
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राम मंदिर के लिए हुई थी पहली धर्म संसद
तीसरी धर्म संसद में सनातन बोर्ड गठन पर जोर-शोर से चर्चा की गई थी. साथ ही 36 राजनीतिक पार्टियों को सनातन बोर्ड पर समर्थन के लिए पत्र भेजा गया था. हालांकि, इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी. बता दें कि धर्म संसद पिछले लंबे समय से सुर्खियों में हैं. इस तरह की धर्म संसदों में हिंदुओं की जनसंख्या और देश में मंदिर को लेकर की जाने वाली मांगी की वजह से सुर्खियों में रहता है. धर्म संसद में साधु-संतों का एक ऐसा खुला मंच जहां सनातन धर्म से जुड़े विषयों और धर्म के अंदर की कुरीतियों को खत्म करने पर चर्चा होती है.
साल 1984 में पहली बार VHP यानी विश्व हिंदू परिषद की ओर से राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में धर्म संसद बुलाई गई थी. इसी संसद में रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया था. इसके बाद साल 1985 कर्नाटक के उडुपी में आयोजित अगली धर्म संसद में रामजन्मभूमि, कृष्णजन्मस्थान और काशी विश्वनाथ परिसर समेत कुल 8 प्रस्ताव पारित किए गए थे. अब देश के कई राज्यों में धर्म संसद का आयोजन होता है. पिछले कई समय से विवादित बयानों को लेकर भी धर्म संसद सुर्खियों में रहता है.
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