'चरागों का घराना चल रहा है', पढ़ें राहत इंदौरी के सदाबहार शेर

ख्याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे.

पथराव रोक दें

हमारे मीर-तकी-'मीर' ने कहा था कभी, मियां ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है.

मीर-तकी-'मीर'

सितारों आओ मिरी राह में बिखर जाओ, ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूं मैं.

बिखर जाओ

चरागों का घराना चल रहा है, हवा से दोस्ताना चल रहा है.

चरागों का घराना

तुझ से मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन, आने जाने में किराया भी बहुत लगता है.

तुझ से मिलने

चांद सूरज मिरी चौखट पे कई सदियों से, रोज लिक्खे हुए चेहरे पे सवाल आते हैं.

मिरी चौखट

जा-नमाजों की तरह नूर में उज्लाई सहर रात भर जैसे फरिश्तों ने इबादत की है.

नूर में उज्लाई