17 February 2024
18 फरवरी को सरकार से बातचीत से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केन्द्र सरकार के सामने अपनी मांग रखी है। पंधेर ने कहा कि केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश लाए।
किसान नेता पंधेर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब किसान नेता और केन्द्रीय मंत्रियों के बीच 18 फरवरी को चौथे दौर की बातचीत होनी है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि केन्द्र के पास राजनीतिक फैसला लेने का अधिकार है। अगर केन्द्र सरकार चाहे तो वह रातों रात अध्यादेश ला सकती है। अगर सरकार किसान आंदोलन खत्म करवाना चाहती है तो उसे यह अध्यादेश लाना चाहिए। तब बातचीत आगे बढ़ सकती है।
किसान नेता पंधेर ने आगे कहा कि जहां तक तौर तरीकों की बात है तो कोई भी अध्यादेश छह महीने तक वैध होता है। कृषि लोन माफी के मुद्दे पर पंधेर ने कहा कि सरकार कह रही है कि लोन राशि का आकलन करना होगा। सरकार इस बारे में बैंकों से आंकड़े इकट्ठा कर सकती है। यह इच्छाशक्ति की बात है। पंधेर का कहना है कि केन्द्र सरकार कह रही है कि इस पर राज्यों से चर्चा करनी होगी। आप राज्यों को छोड़िए। आप सिर्फ केन्द्र और राष्ट्रीकृत बैकों की बात करिए और इस पर फैसला कीजिए कि किसानों के कर्ज कैसे माफ करने हैं।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं। आज आंदोलन के पांचवे दिन डल्लेवाल ने कहा कि सरकार को इस इरादे से अध्यादेश लाना चाहिए कि यह तत्काल प्रभाव से लागू हो और छह महीने के अंदर इसे कानून में बदला जा सके और इसमें कोई समस्या नहीं है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने ये भी कहा कि सरकार को देश के लोगों को कुछ देने के लिए एक अध्यादेश लाना चाहिए।
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि अगर सरकार उत्पादकों और उपभोक्ताओं को गंभीरता से ले और कॉर्पोरेट पर कम ध्यान दे तो समस्या का हल निकल आएगा। कृषि क्षेत्र 50 प्रतिशत रोजगार पैदा कर रहा है। जीडीपी में कृषि क्षेत्र की 20 फीसदी हिस्सेदारी है। तो फिर सरकार के लिए 2.50 लाख करोड़ रुपये देना क्यों मुश्किल है?
आपको बता दें कि किसानों के साथ कल सरकार की चौथे स्तर की बातचीत होनी है। केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसान संघों की कई मांगों पर जारी बातचीत में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
गौरतलब है कि किसान अपनी कई मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा बॉर्डर्स शंभू और खनूरी में डटे हुए हैं और एमएसपी की कानूनी गारंटी उनकी मुख्य मांग है।