15 February 2024
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) एक खाड़ी देश है। वहां की राजधानी अबू धाबी में पीएम मोदी द्वारा 14 फरवरी को पहले हिन्दू मंदिर का उद्घाटन किया गया। अयोध्या के भव्य राम मंदिर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी धार्मिक आयोजन में एक बार फिर से शामिल हुए हैं। बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। दुनियाभर में इस संस्थान के 3,850 से ज्यादा केंद्र हैं। इसमें लॉस एंजिल्स और न्यू जर्सी जैसे स्थान और 1100 मंदिर शामिल हैं। इस मंदिर के निर्माण की परिकल्पना साल 2015 में की गई थी। पीएम मोदी की साल 2015 की यूएई यात्रा के दौरान मंदिर बनाने के लिए जमीन अलोट करने का फैसला किया था। दिसंबर 2023 में पीएम मोदी को अबू धाबी मंदिर के उद्घाटन का इन्विटेशन भेजा गया जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया था।
जानते हैं अबू धाबी मंदिर की विशेषताएं…
- अबू धाबी मंदिर करीब 55,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। 2018 फरवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर के प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था। फिर इसको बनाने का कार्य दिसंबर 2019 में शुरू हुआ। अबू धाबी मंदिर के निर्माण के लिए विशेष भारतीय कारीगरों को नियुक्त किया गया था।
- अबू धाबी मंदिर के डिजाइन को वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरित होकर बनाया गया है। यहां की मूर्तियों को भारतीय कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है। इस मंदिर के अंदर के हिस्से को 40,000 घन फुट संगमरमर से बनाया गया है।
- इस मंदिर के निर्माण में गुलाबी बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। यहां हिंदू धर्म ग्रंथों से जुड़ी जटिल नक्काशी बनाई गई है। इसके साथ ही यहां 7 शिखर और 402 खंभों का निर्माण किया गया है जो यूएई के 7 अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अबू धाबी मंदिर के आगे के हिस्से पर संगमरमर और बलुआ पत्थर की भव्य नक्काशी की गई है जो गुजरात और राजस्थान के कारीगरों द्वारा बनाई गई है। यहां 25,000 से ज्यादा पत्थर की नक्काशी कारीगरों द्वारा तैयार की गई है। अबू धाबी मंदिर के निर्माण के लिए भारी मात्रा में राजस्थान से गुलाबी बलुआ पत्थर भेजे गए हैं।
- अबू धाबी मंदिर को बनाने में करीब 700 करोड़ की लागत लगाई गई है। इस मंदिर के बड़े से परिसर में एक गैलरी, एक बड़ा एम्फीथिएटर, फूड कोर्ट, लाइब्रेरी और 5 हजार लोगों की क्षमता वाले 2 सामुदायिक हॉल हैं। इसके साथ ही मंदिर में बच्चों के खेलने की सुविधाओं पर भी काम किया गया है।