Home Lifestyle दुनिया के वो 10 देश जहां 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता है नया साल, क्या आप जानते हैं उनके नाम?

दुनिया के वो 10 देश जहां 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता है नया साल, क्या आप जानते हैं उनके नाम?

by Pooja Attri
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10 Countries where New Year is not celebrated

Introduction

10 Countries where New Year is not celebrated: दुनियाभर में न्यू ईयर यानी साल 2025 को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. नया साल अपने साथ नए अवसर, उम्मीदें, लक्ष्य, रिश्ते और आकांक्षाएं लेकर आता है. यही वजह है कि हर कोई नए साल का जश्न मनाता है, जिसके लोग ग्रेंड पार्टी का आयोजन करते हैं. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के कई ऐसे देश भी हैं जहां न्यू ईयर 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता. बता दें कि पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक 1 जनवरी को नए साल का जश्न मनाया जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि विश्व के वो कौन-कौन से देश हैं, जहां 1 जनवरी को न्यू ईयर सेलिब्रेट नहीं किया जाता.

Table of Content

  • चीन
  • थाईलैंड
  • श्रीलंका
  • रूस और यूक्रेन
  • सऊदी अरब
  • ईरान
  • पाकिस्तान
  • कंबोडिया
  • मंगोलिया
  • इथियोपिया
  • नेपाल
  • क्यों मनाते हैं 1 जनवरी को ही न्यू ईयर
  • कैसे बना जनवरी साल का पहला महीना
  • कैसे बना ग्रेगोरियन कैलेंडर?

चीन

चीन दुनिया के उन देशों में से एक है, जहां 1 जनवरी को नए साल का जश्न नहीं मनाया जाता. नए साल को चाइना में वसंत महोत्सव या चंद्र नव वर्ष के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है, जो वसंत फसल के मौसम की शुरुआत को दर्शाता है. यही वजह है कि चीन में नया साल फरवरी के महीने के पहले हफ्ते में मनाया जाता है. यहां के लोग 20 जनवरी से 20 फरवरी के बीच में नए साल का जश्न मनाते हैं. इस दौरान चीन में रोड शो, रंग-बिरंगे ड्रेगन, लालटेन और कई मनोरंजक गतिविधियां देखने को मिलती हैं.

10 Countries where New Year is not celebrated

थाईलैंड

थाईलैंड भी विश्व के उन्हीं देशों में शामिल है, जहां नए साल का जश्न 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता. यहां के लोग अप्रैल के महीने में न्यू ईयर सेलिब्रेट करते हैं, जिसे जल महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि थाईलैंड के लोग 13 या 14 अप्रैल को न्यू ईयर मनाते हैं. इस दिन थाईलैंड लोग एक दूसरे को ठंडे पानी से भिगोते हुए नए साल की बधाईयां देते हैं.

श्रीलंका

श्रीलंका भी विश्व के उन्हीं देशों में आता है जो 1 जनवरी को नए साल का जश्न नहीं मनाता. इस देश में 14 अप्रैल के दिन न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाता है. बता दें कि 14 अप्रैल का दिन सिंहली नव वर्ष या अलुथ अवुरुद्दा के तौर पर जाना जाता है, जो फसल के मौसम के अंत को दर्शाता है. इस दिन श्रीलंकाई लोग अपने सामने के दरवाजे खुले रखते हैं और अपने दोस्तों, परिवार, करीबियों और यहां तक कि अजनबियों का भी स्वागत करते हैं. इस दिन यहां घर-घर में स्पेशल ट्रेडिशनल डिशेज बनाई जाती हैं. श्रीलंका नए साल के इस खास अवसर नेचुरल चीजों से स्नान करने की प्रथा होती है.

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रूस और यूक्रेन

रूस और यूक्रेन भी दुनिया के उन्हीं देशों की सूची में शामिल है, जहां 1 जनवरी को नया साल नहीं मनाया जाता. यहां के पूर्वी रूढ़िवादी चर्च के लोग ग्रेगोरियन कैलेंडर की बजाय जूलियन कैलेंडर को फॉलो करते हैं. यही वजह है कि रूस और यूक्रेन में नया साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. इस दौरान दोनों देशों में आतिशबाजी और मनोरंजनक गतिविधियां की जाती हैं. इसके साथ ही नए साल पर दोस्तों और परिजनों के बीच मिठाइयां बांटी जाती हैं यानी कि पूरे जोश के साथ नव वर्ष का आगमन किया जाता है.

सऊदी अरब

सऊदी अरब भी विश्व के उन ही देशों में आता है, जहां 1 जनवरी को नया साल नहीं मनाया जाता है. इसका कारण ये है कि सऊदी अरब और यूएई सहित अधिकतर इस्लामिक देश मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार न्यू ईयर मनाते हैं. रास अस-सनाह अल-हिजरिया यानी इस्लामिक नव वर्ष की डेट हर साल बदलती रहती है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मक्का से मोहम्मद पैगंबर ने मदीना को प्रवास किया था. यही वजह है कि लोग इस दिन जश्न मनाते हैं, जिसे हिजरा के नाम से जानते हैं.

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ईरान

ईरान भी दुनिया के उन्हीं देशों की लिस्ट में शामिल है, जो 1 जनवरी को नए साल का जश्न नहीं मनाते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि ईरान में पारसी कैलेंडर को फॉलो किया जाता है, जिसके मुताबिक न्यू ईयर 21 मार्च से शुरू होता है. बता दें कि 21 मार्च वसंत उत्सव का दिन है और इसी दिन नौरोज़ की भी छुट्टी होती है. ऐसे में देखा जाए तो 1 जनवरी का दिन ईरान में बेहद सामान्य होता है. वहीं, नवरोज से नव वर्ष की शुरुआत होती है.

पाकिस्तान

पाकिस्तान भी विश्व के उन्हीं देशों में आता है, जहां नए साल का जश्न 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता है. इस देश के लोग मुहर्रम के पहले दिन से नया साल मनाते हैं. बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम होता है, जिसे इस्लाम में गम का महीना भी कहा जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, 8 जुलाई 2024 से मुसलमानों के नव वर्ष की शुरुआत हो चुकी है, जो 26 जुलाई 2025 तक रहने वाला है. आपको बता दें कि मुहर्रम (Muharram) का अर्थ ‘अनुमति नहीं होना’ या ‘निषिद्ध’ होता है.

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कंबोडिया

कंबोडिया भी दुनिया के उन देशों में आता है, जो 1 जनवरी को नया साल नहीं मनाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कंबोडिया में बौद्ध कैलेंडर फॉलो किया जाता है. बौद्ध कैलेंडर चन्द्र-सौर कैलेंडर का एक समूह है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कंबोडिया, भारत, तिब्बत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, बांग्लादेश, वियतनाम, मलेशिया, सिंगापुर और लाओस आबादी द्वारा धार्मिक और आधिकारिक अवसरों का पता लगाने के लिए किया जाता है. यही वजह है कि कंबोडिया में 13 या 14 अप्रैल को न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाता है.

मंगोलिया

मंगोलिया भी विश्व के उन देशों में शामिल है, जो नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाता है. वैसे तो आधुनिक मंगोलिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर फॉलो किया जाता है, लेकिन पारंपरिक उत्सवों और कैलेंडर पर आधारित कार्यक्रमों के लिए पारंपरिक कैलेंडर का उपयोग किया जाता है. यही वजह है कि मंगोलिया में नया साल 16 फरवरी को मनाया जाता है. यहां पर न्यू ईयर 15 दिनों तक बड़ी धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है.

इथियोपिया

इथियोपिया भी दुनिया के उन्हीं देशों की लिस्ट में आता है, जहां नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इथियोपिया आज भी अपने प्राचीन कैलेंडर को फॉलो करता है. इस कैलेंडर के अनुसार, एक साल 13 महीने का होता है. यही वजह है कि यह देश दुनिया के बाकी देशों से 7 साल (Country 7 years behind the world) पीछे है. इस देश के पहले महीनों में 30 दिन होते हैं, इसके बाद आखिरी महीने में 5 दिन के साथ ही लीप ईयर वाले साल में 6 दिन भी शामिल होते हैं. साल के इस आखिरी महीने को पेग्यूम कहा जाता है. इसी के चलते इथियोपिया में 11 या 12 सितंबर को नए साल का जश्न मनाया जाता है. हालांकि, इथियोपिया के कई लोग बाकी देशों की तरह ग्रेगोरियन कैलेंडर को ही फॉलो करते हैं.

नेपाल

भारत का पड़ोसी देश नेपाल भी उन्हीं देशों की श्रेणी में शामिल है, जो नए साल का जश्न 1 जनवरी को नहीं मनाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि नेपाल ने हमेशा से ही हिंदू कैलेंडर का उपयोग किया है. इसे विक्रम संवत या विक्रमी कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है. यह कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर 57 वर्ष आगे चलता है. यही वजह है कि नेपाल में हर साल न्यू ईयर 14 अप्रैल को ही मनाया जाता है. इस दिन नेपाल भी अवकाश रहता है और लोग ट्रेडिशनल आउटफिट्स पहनकर एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं.

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क्यों मनाते हैं 1 जनवरी को ही न्यू ईयर

रोमन कैलेंडर का चलन 45 ईसा पूर्व में हुआ करता था. रोमन कैलेंडर में रोम के तत्कालीन राजा नूमा पोंपिलुस के समय 10 महीने हुआ करते थे. वहीं, हफ्ते में 8 दिन और साल में 310 दिन होते थे. फिर नूमा ने थोड़े समय के बाद कैलेंडर में थोड़े बदलाव कर दिए और जनवरी माह को कैलेंडर का पहना महीना बना दिया. जानकारी के लिए बता दें कि 1582 ई. के ग्रेगेरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद से ही 1 जनवरी को न्यू ईयर मनाने का चलन शुरू हुआ.

कैसे बना जनवरी साल का पहला महीना

साल 1582 में नूमा पोंपिलुस के कैलेंडर में बदलाव करने से पहले नए साल की शुरुआत मार्च से वसंत ऋतु पर होती थी. लेकिन बदलाव के बाद नया साल जनवरी में मनाया जाने लगा. दरअसल, मार्च का महीना रोमन मार्स, जो युद्ध के देवता हैं उनके नाम पर रखा गया था. वहीं, जनवरी माह रोमन देवता जेनस के नाम पर रखा गया था, जिनके दो मुंह थे, उनका आगे वाला मुंह शुरुआत और पीछे वाला मुंह अंत का प्रतीक माना जाता था. राजा नूमा पोंपिलुस ने नए साल की शुरुआत के लिए रोमन देवता जेनस को चूज किया. यही वजह है कि जनवरी साल का पहला महीना बन गया.

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कैसे बना ग्रेगोरियन कैलेंडर?

रोमन के राजा जूलियस सीजर ने नई गणनाओं के आधार पर जीसस क्राइस्ट के जन्म से 46 साल पहले एक नया कैलेंडर बनाया. इसके बाद से ही जूलियस सीजर ने नए साल के शुरुआत 1 जनवरी से करने का एलान किया. धरती सूर्य की परिक्रमा 6 घंटे करती है और साल में 365 दिन होते हैं. ऐसे में जब जनवरी और फरवरी के महीने को कैलेंडर में जोड़ा गया तो सूर्य की गणना के साथ इसका तालमेल ठीक नहीं बैठ सका, जिसके बाद खगोलविदों द्वारा गहन अध्ययन किया गया.

आपको बता दें कि कोई भी कैलेंडर चंद्र या सूर्य चक्र की गणना के आधार पर तैयार किया जाता है. सूर्य चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 365 दिन और चंद्र चक्र पर बनने वाले कैलेंडर में 354 दिन होते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर बेस्ड है और दुनिया के ज्यादातर देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर ही फॉलो किया जाता है.

Conclusion

वैसे तो नया साल हर किसी के जीवन में नई उम्मीद, खुशियां और उल्लास लेकर आता है, लेकिन हर देश की अपनी अलग-अलग संस्कृति और मान्यताएं होती हैं. यही वजह है कि दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं जो नए साल की शुरुआत 1 जनवरी की बजाय अपनी-अपनी मान्यता और इतिहास से जुड़े दिनों से करना पसंद करते हैं.

यह भी पढ़ें: 10 Most Beautiful Women in the World: ये हैं दुनिया की 10 सबसे खूबसूरत महिलाएं? भारत से सिर्फ एक ने बनाई जगह

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