Ambedkar Issue: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के राज्यसभा में भीमराव अंबेडकर पर दिए बयान पर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब आम आदमी पार्टी ने इसका मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है.
Ambedkar Issue: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की ओर से संसद में भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान को आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी भी इस मुद्दे की काट के लिए एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है.
विधानसभा चुनाव के पहले उठा मुद्दा
दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी के पहले हफ्ते में होने की संभावना है. ऐसे में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने भीमराव अंबेडकर के मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साध रहे हैं. फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले A ने इसे बाबा साहब का अपमान बताते हुए चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे में यह मुद्दा दिल्ली की तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों- AAP, कांग्रेस और BJP के लिए केंद्र बिंदु बन गया है.
दिल्ली में 16.7 फीसदी दलित आबादी है. ऐसे में अंबेडकर की विरासत को लेकर आरोप-प्रत्यारोप से चुनावी चर्चा प्रभावित होने की उम्मीद है. खासकर दिल्ली की कुल 70 में से उन 12 सीटों पर जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. चुनावी नुकसान की भरपाई के लिए BJP ने अब बिहार और यूपी से दलित और OBC नेताओं को आगे लाना शुरू कर दिया है.
दिल्ली में क्या है BJP का हाल?
यहा बता दें कि BJP बीते 26 साल से दिल्ली की सत्ता से दूर है. इस बार वह यहां सत्ता हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. जिस दलित वोट बैंक पर कभी कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था अब वो पूरी तरह से AAP की तरफ शिफ्ट हो चुका है. ऐसे में इस विधानसभा चुनाव में BJP का अच्छा प्रदर्शन करना किसी चुनौती से कम नहीं है. BJP ने अपने सभी दलित नेताओं को दिल्ली में चुनावी प्रचार में लगने को कहा है. BJP ने अपने नेताओं को दिल्ली में नाइट शेल्टर के दौरान दलित बस्ती में रात बिताने को कहा है.
दिल्ली में कितनी है दलितों की आबादी?
दिल्ली में दलितों की आबादी 16.7 प्रतिशत है. इस ताने-बाने में कुछ क्षेत्र अपनी दलित आबादी होने के वजह से अलग अलग महत्व रखते हैं. उत्तर पश्चिमी दिल्ली के सुल्तानपुरी विधानसभा क्षेत्र में 44 प्रतिशत मतदाता दलित हैं, जो इसे सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला क्षेत्र बनाता है. इसके ठीक बगल में करोल बाग है, जहां लगभग 41 प्रतिशत मतदाता अनुसूचित जाति समुदाय के हैं.
इसके अलावा, गोकलपुर, सीमापुरी, मंगोलपुरी, त्रिलोकपुरी और अंबेडकर नगर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में 30 प्रतिशत से अधिक दलित निवासी हैं. पूरी दिल्ली में उनकी पर्याप्त उपस्थिति को दर्शाता है. जाहिर है दलित वोटर्स किसी भी राजनीतिक दल के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. इनके बिना दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना मुश्किल है.
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