Sambhal Temple: सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी इस पर बड़ा बयान दिया है. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर संभल में क्यों इतनी प्राचीन मूर्तियां मिल रही हैं.
Sambhal Temple: उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर मिलने के बाद हलचल तेज है. भस्म शंकर मंदिर में मंगलवार को भारी संख्या में भक्तों की भीड़ पूजा करने के लिए पहुंची. एक दिन पहले इसी मंदिर के कुंए की खुदाई के दौरान देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती की दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां मिली.
वहीं, एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा था कि पुराण भी कहता है कि श्रीहरि विष्णु का दसवां यानी कल्कि अवतार संभल में होगा. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर संभल में क्यों इतनी प्राचीन मूर्तियां मिल रही हैं और पुराणों में क्या लिखा है.
68 तीर्थों के दर्शन मात्र से मिलती है पापों से मुक्ति
दरअसल, संभल को पुराणों में शम्भलेश्वर नाम दिया गया है. पुराणों में ही जिक्र है कि शम्भलेश्वर में 19 कूप, 36 पुरवे, 52 सराय और 68 तीर्थ मौजूद हैं. मान्यता यहां तक है कि शम्भलेश्वर की संरचना भगवान शंकर के कहने पर भगवान विश्वकर्मा ने की और इसकी रक्षा के लिए खुद भगवान शंकर शहर के तीन कोणों पर विराजमान हुए. यह शिवालय के रूप में थे. पुराणों में दावा किया गया है कि 19 कूप, 36 पुरवे, 52 सराय और 68 तीर्थ के दर्शन मात्र से ही पापों से मुक्ति मिलती है.
हालांकि, अब सिर्फ कुछ ही तीर्थों के बचे होने का दावा किया जाता है. इसी मामले पर योगी आदित्यनाथ ने भी एक दिन पहले विधानसभा में बयान दिया था कि हमारे पुराण स्पष्ट रूप से कहते हैं कि कलियुग के अंत में भगवान विष्णु का दसवां अवतार यानी कल्कि अवतार संभल में होगा में ही होगा. ऐसे में संभल का मामला भी वाराणसी के ज्ञानवापी और मथुरा के शाही मस्जिद की तरह ही अहम माने जाने लगा है.
कभी पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी संभल
बता दें कि हिन्दू धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में सबसे बड़े पुराण स्कंद पुराण में भी संभल/शम्भलेश्वर को लेकर कई चौंकाने वाले उल्लेख किए गए हैं. दावा किया गया है किस संभल में भगवान विष्णु के पौराणिक और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है और यहीं से कल्कि का अवतार होगा. महर्षि वेद व्यास की ओर से रचित श्रीमद भागवत में भी संभल को लेकर विस्तार से उल्लेख मिलता है.
श्रीमद भागवत के 12वें स्कंध के दूसरे अध्याय में भगवान विष्णु के 24वें अवतार कल्कि की बात कही गई है. श्रीमद भागवत के इसी अध्याय में 68 तीर्थ, 52 सराय, 36 पुरवे और 19 कूपों का भी जिक्र किया है. इसके अलावा संभल की ऐतिहासिक भूमि कई अन्य कारणों से भी प्रसिद्ध रही है. एक समय पर यह पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी और डाकखाना रोड पर दीवार पर टंगा चक्की का पाट भी स्थित है, जिसे योद्धा आल्हा-ऊदल ने अपनी वीरता का परिचय देने के लिए किले की दीवार पर एक ही छलांग में टांग दिया था.
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संभल में स्थित कुल 68 तीर्थों के नाम
शास्त्रों में अर्क तीर्थ (सूर्य कुंड तीर्थ), सोनक कूप, पारासारेश्वर कूप, मत्स्योदरी तीर्थ, महिष्मति तीर्थ, हंस तीर्थ, कृष्ण तीर्थ, कुरुक्षेत्र तीर्थ, विष्णोपादोदक तीर्थ, श्वतेद्वीप तीर्थ, ताक्ष्य केशव तीर्थ, संख माधव तीर्थ, दशाश्वमेघ तीर्थ, पिशाच मोचन तीर्थ, चतुर्मुख कूप, नैमिषारण्य तीर्थ, विजय तीर्थ, उर्द्ध रेवा तीर्थ, अवंती तीर्थ, चंद्र तीर्थ, पापक्षय तीर्थ, चुर्त सागर तीर्थ, पंचाग्नि कूप, अशोक कूप, यम तीर्थ, त्रिसंध्या तीर्थ, विमला तीर्थ (भविष्य गंगा), ऋण मोचन तीर्थ, कालोदक तीर्थ, सोम तीर्थ, रत्नयुग्म तीर्थ, गोतीर्थ, अंगारक तीर्थ, आदिगया तीर्थ, चक्र सुदर्शन तीर्थ, रत्न प्रयाग तीर्थ, वासुकी प्रयाग तीर्थ, धरणी व राह कूप, क्षेमक प्रयास तीर्थ, गन्धर्म प्रयाग तीर्थ, पाप मोचन तीर्थ, विमल कूप, तारक प्रयाग तीर्थ, महामृत्युंजय तीर्थ, अत्रिकाश्रम तीर्थ, पुष्कर तीर्थ (ज्येष्ठ व कनिष्ठ), मध्य पुष्कर तीर्थ, ब्रह्मावर्त तीर्थ, नर्मदा तीर्थ, धर्म कूप, सर गोदावरी तीर्थ, वाग्भारती तीर्थ, रसोदक कूप, रेवा तीर्थ, गोपाल तीर्थ, आनन्दसर तीर्थ, चक्र तीर्थ, भागीरथी तीर्थ, मलहानि तीर्थ कूप, यज्ञ कूप, ऋषिकेश महाकूप, अकर्ममोचन तीर्थ कूप, मणिकार्णिका तीर्थ (मनोकामना), मृत्यु कूप, यमदग्नि कूप, विष्णु कूप, कृष्ण कूप, सप्तसागर कूप, वंशगोपाल तीर्थ, पुष्दम तीर्थ, कर्ममोचन तीर्थ, अनन्तेश्वर तीर्थ, स्वर्गद्वीप तीर्थ, विष्णु तीर्थ और देव तीर्थ का नाम शामिल है.
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