Bangladesh Liberation War 1971 : भारतीय सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर आशीष कुमार दत्ता ने पश्चिमी क्षेत्र में रोंगटे खड़े कर देने वाले मंजर को याद किया.
16 December, 2024
Bangladesh Liberation War 1971 : वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई सिर्फ 14 दिन चली थी, लेकिन इसने भारतीय उपमहाद्वीप का नक्शा बदल दिया था. बांग्लादेश की मुक्ति के लिए 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट शुरू किया. बहुत कम लोग जानते हैं कि इंदिरा गांधी ने आधी रात को ऑल इंडिया रेडियो से इस युद्ध का एलान किया था. 16 दिसंबर, 1971 को 13 दिनों के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ. 16 दिसंबर को पाकिस्तान की सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया. पाकिस्तान के साथ हुए 1971 की जंग में रिटायर ब्रिगेडियर आशीष कुमार दत्ता पश्चिमी सेक्टर पर तैनात टैंक ब्रिगेड में थे. वो 1967 में सेना में भर्ती हुए थे और युद्ध के मैदान पर उनका पहला अनुभव था.
पाकिस्तानी सेना ने की भारी बमबारी
समाचार एजेंसी पीटीआई से ब्रिगेडियर आशीष कुमार दत्ता दत्ता ने युद्ध की तैयारी और मोर्चे पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर को जब हम पठानकोट के इलाके में थे तो हमने देखा कि पाकिस्तानी जेट उड़ रहे थे, फिर बमबारी के संकेत मिले. हमने विस्फोट की आवाजें सुनीं. उन्हें याद है कि जब उनकी टैंक ब्रिगेड ने रावी नदी को पार किया था तब पाकिस्तानी सेना ने भारी बमबारी की थी.
पाकिस्तान की सेना ने किया था समर्पण
ब्रिगेडियर आशीष कुमार दत्ता बताया कि उसके पास कई किलोमीटर तक रेत की ढेर थी, चारों तरफ रेत फैली हुई थी. ऐसी स्थिति में इंजीनियरों ने ट्रैक बिछाया ताकि हमारे टैंक स्टेबल रहें. फिर जो टूल मौजूद थे, उनको यूज करके हम पार कर गए. 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में आत्मसमर्पण करने वाली पाकिस्तानी सेना को लेकर उनका कहना है कि एक सैनिक के लिए यह बहुत अपमानजनक है. सिविलियन की निगरानी में मुक्ति वाहिनी, जिन पर उन्होंने अत्याचार किया था, अपनी बेल्ट और हथियार निकालकर रखा और जमीन पर गिर पड़े. हमने बाद में तस्वीरों में देखा कि जनरल नियाजी को अपनी बेल्ट, रिवॉल्वर निकालनी पड़ी और भारतीय जनरल के सामने मेज पर रखनी पड़ी.
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