Sambhal Temple: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूछा कि उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 साल पहले संभल में नरसंहार किया था.
Sambhal Temple: उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार को 46 सालों से बंद एक मंदिर मिला. मंदिर साल 1978 से ही बंद था. कई लोगों को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि वहां पर चार सौ साल पुराना शिव मंदिर हो सकता है. ऐसे में सबसे अहम सवाल है कि साल 1978 में ऐसा क्या हुआ था, जिससे इस मंदिर पर लोगों ने ताले लगा दिए थे. बता दें कि रविवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 46 साल पहले हुई घटना का जिक्र किया है.
मुख्यमंत्री योगी ने भी नरसंहार पर पूछे सवाल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को एक कार्यक्रम में 46 वर्ष पहले की घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संभल जिले में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातों-रात प्रशासन की ओर से बना दिया गया, क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति क्या रातों-रात ला दी गई? उन्होंने सख्त अंदाज में पूछा कि उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 साल पहले संभल में नरसंहार किया था. उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पर चर्चा क्यों नहीं की जाती है?
संभल में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातों-रात प्रशासन ने बना दिया?
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 15, 2024
क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति रातों-रात आ गई?
उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 वर्ष पहले संभल में नरसंहार किया था? इस पर चर्चा क्यों नहीं होती है? pic.twitter.com/SKA0LFZdAX
बता दें कि रविवार को अवैध अतिक्रमण अभियान के दौरान धूल और मिट्टी से भरे इस मंदिर में भगवान हनुमान, शिवलिंग, नंदी और कार्तिकेय की मूर्तियों के साथ ही एक कुआं भी मिला है. इसे पुलिस प्रशासन ने अवैध कब्जे से आजाद करा लिया है. दरअसल, इस मंदिर के बंद होने की कहानी साल 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़ी है.
मार्च 1978 में संभल में दोबारा भड़की हिंसा
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि संभल में सांप्रदायिक दंगों ने न सिर्फ हिंदुओं से इस मंदिर को छिना, बल्कि हिंदुओं को पलायन करने तक पर मजबूर कर दिया था. दावा किया जा रहा है कि कभी उत्तर प्रदेश का संभल जिला हिंदू और मुस्लिम समुदाय के सौहार्द्र का प्रतीक था. सरकारी आंकड़े के मुताबिक संभल में कुल 14 बड़े दंगे हुए. इनमें 1976 और 1978 के दंगे को सबसे अधिक घातक माना गया.
ये प्राचीन मंदिर था,आक्रांताओं के वंशजों ने क़ब्ज़ा कर इसे बंद कर दिया,मोदीजी योगी जी के राज में दशकों बाद आज इस मंदिर की घंटियाँ बजीं,देवी देवताओं की मूर्ति से धूल छटीं,ये बांग्लादेश नहीं उत्तर प्रदेश का सँभल था जहां ये पाप हुआ
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) December 14, 2024
सपा कांग्रेस राज में UP पूरी तरह बांग्लादेश हो गया… pic.twitter.com/wqGGg1eCyc
SLM प्रेमचंद की साल 1979 में प्रकाशित ‘मॉब वायलेंस इन इंडिया’ किताब के मुताबिक, जामा मस्जिद के मौलाना मुहम्मद हुसैन की हत्या के बाद साल 1976 में दंगे भड़के थे इस दौरान कई लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद साल 29 मार्च 1978 को संभल एक बार फिर से दंगों की आग में झुलस गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रक यूनियन और डिग्री कॉलेज में सांस्कृतिक कार्यक्रम में नाम के मुद्दे को लेकर शुरू हुआ विवाद घातक दंगों में बदल गया. खग्गूसराय, कोट बाजार, सर्राफा बाजार और गंज में इसका सबसे बुरा असर देखने को मिला.
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बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान भी भड़की हिंसा
दावा यहां तक किया जाता है कि दोनों ही घातक दंगों में कई हिंदुओं और मुस्लिम समुदाय के लोगों की मौत हो गई थी. लाखों की सार्वजनिक और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ. साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान संभल में एक बार फिर से हिंसा भड़क गई थी. लगातार होते इन दंगों ने हिंदुओं को पलायन करने पर मजबूर कर दिया था. इसमें सबसे ज्यादा पलायन खग्गूसराय इलाके में हुआ.
एक दिन पहले न्यूज एजेंसी PTI से बात करते हुए नगर हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी ने बताया था कि वह जन्म से ही खग्गूसराय में रहते थे, लेकिन साल 1978 के दंगों के बाद सभी को पलायन करना पड़ा. उनके कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर उसी समय से ही बंद है. बता दें कि यह मंदिर कोट गर्वी इलाके से सिर्फ एक किमी दूर स्थित है, जहां पर 24 नवंबर को मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हिंसा हुई थी.
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