Kanpur Industrialist Brothers Settlement: समझौते के बाद अब दोनों परिवार इस बात से पछतावा करते हैं कि इतना लंबा वक्त कानूनी लड़ाई में निकाल दिया. पैसा बर्बाद हुआ वह अलग से.
नई दिल्ली, प्रशांत त्रिपाठी: 22 सालों से कुल 28 मामलों में एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे कानपुर के 2 सगे उद्योगपति भाइयों के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक बहुत ही सुखद खबर आई. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाइयों के बीच समझौता करवा दिया. अब तीसरी पीढ़ी में कानूनी लड़ाई खत्म हो गई. कभी दोनों भाइयों की दुश्मनी का आलम यह था कि इन दोनों ने अपने-अपने बेटों को पढ़ा-लिखा कर सुप्रीम कोर्ट का वकील बनाया था, ताकि मुकदमे की लड़ाई कमजोर नहीं पड़े.
खुद लड़ा केस फिर बेटों को भी उलझाया
अस्थाई रूप से कानपुर के रहने वाले रविंद्र कुमार कोहली और अनिल कुमार कोहली सगे भाई हैं. कानपुर के बड़े उद्योगपतियों में इनके परिवार का नाम शुमार है. परिवार में विवाद की वजह से वर्ष 2002 में दोनों के बीच में ऐसी गलतफहमी हुई कि एक दूसरे के खिलाफ 28 मामले दर्ज करवा दिए. करोड़ के विवाद में दोनों सगे भाइयों के बीच में प्रतिद्वंद्विता इतनी बढ़ गई कि खुद ही मुकदमे को आमने-सामने आकर लड़ने लगे. मामला पहले फौजदारी में फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक आ गया. इस बीच इस लड़ाई में जवानी कब निकल गई? इन लोगों को पता ही नहीं चला.
पूरा जीवन गुजर गया मुकदमों में
आपसी रंजिश का आलम यह था कि दोनों भाइयों ने अपने बच्चों को भी वकालत की डिग्रियां दिलवाईं, ताकि तीसरी पीढ़ी इन मुकदमों को मुकाबले के रूप में आगे बढ़ाती रहे. शिवाली कोहली (अनिल कोहली की पत्नी) की मानें तो उनके पति अनिल कोहली ने पूरा जीवन मुकदमों में गुजार दिया. ऐसे में पूरा का बिजनेस उनको संभालना पड़ा. 22 वर्षों तक खुशियां क्या होती हैं वह जान भी नहीं पाई. यही नहीं बच्चों को समय तक देना मुश्किल रहा. बहन रत्ना ने बताया कि भाई के अलावा बड़े पिता का बेटा भी उसका भाई है. वह अच्छी तरह जानती थी, लेकिन रक्षाबंधन में कभी मिल नहीं पाना उसको खलता है.
संदीप द्विवेदी ने निभाई समझौते में अहम भूमिका
उधर, इतने पुराने केस को सुप्रीम कोर्ट के वकील संदीप द्विवेदी दोनों पक्षों से बात करके मीडिएशन सेंटर में लाए गए. समझौते की कड़ी में सबसे पहले उन्होंने दोनों भाइयों के बच्चों से बात की. ये दोनों भी एडवोकेट हैं. ऐसे में इनको भी लगा की बात बन सकती है. इस तरह से इतने पुराने केस को दोनों ने परिवारों ने मिलकर खत्म किया और अब समय दोनों परिवार इस बात से पछतावा करते हैं कि इतना लंबा वक्त कानूनी लड़ाई में निकाल दिया.
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