Tipu Sultan: कुछ दिनों पहले सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन के कार्यकर्ताओं को रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गई.
Tipu Sultan: महाराष्ट्र में एक बार फिर से टीपू सुल्तान की जयंती पर रैली निकालने को लेकर सियासत गरमा गई है. कुछ दिनों पहले सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन के नेताओं और कार्यकर्ताओं को रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गई. इस मामले को लेकर AIMIM ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के पूछा कि क्या देश में टीपू सुल्तान की जयंती पर रैली आयोजित करने पर किसी तरह का प्रतिबंध है.
बारामती के SP से भी पूछे सवाल
महाराष्ट्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर कोई प्रतिबंध नहीं. जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया गया कि पुणे पुलिस याचिकाकर्ताओं को टीपू सुल्तान की जयंती पर रैली निकालने की अनुमति नहीं दे रही है. इस पर कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर कोई प्रतिबंध है. इस पर अतिरिक्त सरकारी वकील ने पीठ को बताया कि दूसरे समुदाय के लोगों ने टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का विरोध किया है.
पीठ ने कहा कि अगर कोई अपराध करता है, तो आप FIR दर्ज करा सकते हैं, लेकिन उन्हें रोक नहीं सकते. साथ ही उन्होंने बारामती के SP यानी पुलिस अधीक्षक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का निर्देश जारी किया. इसके बाद SP पंकज देशमुख कोर्ट में पेश हुए और कहा कि हमने उन्हें 26 नवंबर को संविधान दिवस के लिए रैली निकालने की अनुमति दी थी. इस पर पीठ ने कहा कि कानून और व्यवस्था रैली को अनुमति देने से इन्कार करने का आधार नहीं हो सकती. इसके बाद बेंच ने SP से याचिकाकर्ता से मिलकर रैली का रूट आपसी सहमति से तय करने को कहा.
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टीपू सुल्तान को लेकर क्यों है विवाद
बता दें कि देश में टीपू सुल्तान लेकर कई तरह के विवाद देखने को मिलते हैं. कई हिंदू संगठनों का दावा है कि टीपू सुल्तान धर्मनिरपेक्ष नहीं, बल्कि एक निरंकुश राजा था. साल 2015 में RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य में भी टीपू सुल्तान को दक्षिण का औरंगजेब बताया गया था. मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की मौत के बाद कन्नड़ भाषा में उन पर कई लोक गीत और नाटक लिखे गए, जिनमें उन्हें योद्धा के तौर पर पेश किया गया, जो अंग्रेजों से जंग लड़ते हुए शहीद हो गए थे.
‘अमर चित्र कथा’ कॉमिक्स में भी टीपू सुल्तान को महान योद्धा बताया गया. मैसूर की पहली लड़ाई में अंग्रेजों को हराने के बाद पिता ने उन्हें शेर-ए-मैसूर कहा था. बता दें कि 1990 के दशक में विवादित बाबरी ढांचा और राम मंदिर का विवाद चरम पर था, तब टीपू सुल्तान की शख्सियत में बदलाव देखने को मिला. इस दौरान उनकी छवि धर्मनिरपेक्ष और मुस्लिम तानाशाह के बीच मतभेद का कारण बन गई.
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