ISRO ने Proba 3 मिशन को लॉन्च कर दिया है. गुरुवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसकी लॉन्चिंग हुई. इस मिशन के तहत कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर नाम के 2 सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा.
05 December, 2024
Proba 3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) ने पीएसएलवी-सी59 रॉकेट के जरिये प्रोबा-3 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया. सटीक उड़ान से जुड़ी अपनी तरह की भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की यह पहली पहल है. ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ की मानें तो लॉन्च होने के करीब 18 मिनट बाद ही दोनों उपग्रहों को सही कक्षा में स्थापित कर दिया गया. उन्होंने बताया कि प्रोबा-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनोमी) में दो उपग्रह हैं, जिनमें 2 अंतरिक्ष यान ने एक साथ सफलतापूर्वक उड़ान भरी. ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) को ईएसए से प्रक्षेपण का ऑर्डर मिला है. ये सैटेलाइट सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेंगे. Proba दरअसल एस लैटिन शब्द है, जिसका मतलब होता है- चलो कोशिश करते हैं.
क्या है मकसद ?
प्रोबा-3 मिशन का मकसद सटीक उड़ान का प्रदर्शन करना है. इसके अलावा उपग्रहों के अंदर मौजूद 2 अंतरिक्ष यान कोरोनाग्राफ (310 किग्रा) और ऑकुल्टर (240 किग्रा) को वांछित कक्षा स्तर पर पहुंचाने के बाद एक साथ ‘स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन’ में प्रक्षेपित किया जाएगा. 44.5 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी59 रॉकेट अपनी 61वीं उड़ान पर और PSLV-XL संस्करण के साथ 26वीं उड़ान पर यहां अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वनिर्धारित समय 4.04 बजे प्रक्षेपित हुआ. 18 मिनट की उड़ान भरने के बाद रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक अलग कर दिया, जिन्हें बाद में बेल्जियम में ईएसए के वैज्ञानिकों द्वारा वांछित कक्षा में स्थापित किया गया. उपग्रहों पर लगे उपकरण एक बार में छह घंटे तक सौर परिधि के करीब यात्रा करेंगे और प्रत्येक अंतरिक्ष यान पृथ्वी के चारों ओर करीब 19 घंटे की परिक्रमा करेगा.
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सूर्य से भी ज्यादा गर्म है कोरोना
बताया जा रहा है कि ISRO की योजना के अनुसार, उपग्रह उच्च पृथ्वी कक्षा में पहुंच गया है और उसकी परिक्रमा अवधि 19.7 किलोमीटर होगी. इसमें 60,530 किमी का अपभू (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) और 600 किमी का उपभू (पृथ्वी से सबसे निकटतम बिंदु) होगा. ‘ऑकुल्टर’ अंतरिक्ष यान सूर्य की सौर डिस्क को अवरुद्ध कर देगा, जिससे ‘कोरोनाग्राफ’ को वैज्ञानिक अवलोकन के लिए सूर्य के कोरोना या आसपास के वातावरण का अध्ययन करने में मदद मिलेगी. कोरोना सूर्य से भी ज्यादा गर्म है और यहीं से अंतरिक्षीय वातावरण की उत्पत्ति होती है. ISRO का ये व्यापक वैज्ञानिक और व्यावहारिक रुचि का विषय भी है. ये प्रक्षेपण अपने पहले मिशन- आदित्य-एल 1 के बाद सूर्य पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए अहम जानकारी देगा, जिसे सितंबर 2023 में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था. Proba 3 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जिसे जनरल सपोर्ट टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के माध्यम से वित्त पोषित किया गया है.
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