Bihar Deputy Mayor Selling Vegetables : वर्ष 2023 में ही चिंता देवी को डिप्टी मेयर चुना गया था. गया नगर निगम में सफाई कर्मचारी के पद से रियायर्ड हैं. उन्हें 20 हजार रुपये पेंशन के रूप में मिलते हैं.
Bihar Deputy Mayor Selling Vegetables : बिहार के गया जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां पर सड़क किनारे एक महिला सब्जी बेचती नजर आई. कुछ देर बाद ही लोगों ने उस महिला को पहचान लिया. वह गया नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी निकलीं. इसके बाद डिप्टी मेयर को सब्जी बेचता देखकर लोग भी हैरान रह गए. इसके बाद शहर भर में हंगामा मच गया. पूछने पर गया नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी ने बताया कि उन्हें गया नगर निगम (Gaya Municipal Corporation) से अगस्त महीने से ही यात्रा भत्ता नहीं मिला है. उनका कहना है कि उन्हें यात्रा भत्ते के रूप में प्रत्येक महीने 10,000 रुपये मिलते थे, जिससे उनका घर चलता था. अगस्त महीने से यह भत्ता रुका पड़ा है, जिसके बाद उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उधर, कहा जा रहा है कि गया नगर निगम की बैठकों में चिंता देवी को बुलाया नहीं जा रहा है, इसलिए वह विरोध स्वरूप सब्जी बेच रही हैं.
क्या आर्थिक स्थिति नहीं है ठीक ?
भले ही चिंता देवी डिप्टी मेयर के पद पर तैनात हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. कहा जा रहा है कि वह बड़ी मुश्किल से घर-परिवार का गुजारा करती हैं. पिछले साल यानी वर्ष 2023 में ही चिंता देवी को डिप्टी मेयर चुना गया था, क्योंकि सीट अनुसूचित जाति की महिला के लिए रिजर्व है. उनके समाज के लोगों ने ही चिंता देवी को डिप्टी मेयर का चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. पिछले एक साल से वह डिप्टी मेयर के तौर पर लोगों की सेवा कर रही हैं.
पूर्व में सब्जियां बेचतीं थी चिंता देवी
यहां पर बता दें कि बेहद गरीब परिवार से आने वालीं चिंता देवी पूर्व में भी सब्जियां बेचकर अपना और अपने परिवार का गुजारा करती थीं. उधर, इस पूरे मामले में गया के नगर आयुक्त कुमार अनुराग का कहना है कि विभाग द्वारा राशि नहीं देने से डिप्टी मेयर और पार्षदों का यात्रा भत्ता बकाया है. राशि आते ही वह भुगतान की कार्रवाई शुरू करेंगे.
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पेंशन के तौर पर मिलते हैं 20,000 रुपये
डिप्टी मेयर के पद पर चुने जाने से पहले वह गया नगर निगम में ही सफाई कर्मी थीं. रिटायर्ड होने के बाद चिंता देवी गुजर बसर के लिए सब्जियां भी बेचतीं थीं. इस बीच अगस्त महीने से उन्हें यात्रा भत्ता नहीं मिला तो चिंता देवी को सब्जियां बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. वह फिलहाल केदारनाथ मंडी में सब्जी बेच रही हैं. उनका कहना है कि उन्होंने पिछले साल ही अपनी बेटी की शादी की थी तो साथी सब्जी विक्रेताओं ने 500-500 रुपये की आर्थिक मदद की थी. उनका कहना है कि पेंशन के तौर पर 20,000 रुपये मिलते हैं. परिवार बड़ा है. ऐसे में आर्थिक दिक्कत हमेशा रहती है. यात्रा भत्ता नहीं मिलने से उन्हें अब सब्जी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
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